ADVERTISEMENTREMOVE AD

परिभाषा नहीं,डेटा नहीं, तो फिर लव-जिहाद पर कानून बनना कितना जायज?

एक तरफ लव जिहाद के दोषी को मौत की सजा का सुझाव दिया जा रहा है. दूसरी तरफ लव जिहाद की परिभाषा तक तय नहीं है.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

रिपोर्ट: फबेहा सय्यद
सीनियर डेस्क राइटर: वैभव पलनीटकर
म्यूजिक: बिग बैंग फज

निकिता हत्याकांड के बाद लव जिहाद चर्चा में आया और खबरों में बना रहा. ऐसा ही कुछ तनिष्क ज्वेलरी ब्रांड के एक विज्ञापन के विरोध के दौरान 'लव जिहाद' की चर्चा चल पड़ी. इन घटनाओं के बाद अब लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की बातें शुरू हो गईं हैं. कई बीजेपी शासित राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा से लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनाने के पक्ष में काफी संकेत आने लगे, और अब इन राज्यों में मध्य प्रदेश भी शामिल हो चुका है.

लेकिन नेशनल काउंसिल फॉर वीमेन यानी NCW का कहना है कि उसके पास लव-जिहाद का कोई डेटा नहीं है. यहां तक कि सरकार की तरफ से भी पार्लियामेंट में कई बार लव जिहाद की परिभाषा के बारे में पूछा गया है, तो जवाब में यही बताया है कि इसकी कोई डेफिनिशन नहीं है? तो एक तरफ तो लव जिहाद के लिए मौत की सजा का सुझाव दिया जा रहा है. दूसरी तरफ लव जिहाद कैसा अपराध है, इसकी परिभाषा क्या है, ये तक तय नहीं हो पाया है.

तो आज पॉडकास्ट में लव जिहाद की पॉलिटिक्स को समझेंगे - ये एक अपराध है या सिर्फ महज कांस्पीरेसी थ्योरी?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×