मध्य प्रदेश के बाद कांग्रेस के लिए राजस्थान के आसमान में काले घने बादल छाने लगे, ऐसा लगा कि अब जो आंधी आएगी वो गहलोत सरकार को गिराकर ही शांत होगी. राजस्थान से लेकर दिल्ली तक हलचल देखी गई. लेकिन अब मौजूदा समीकरण देखकर लगता है कि गहलोत ने साबित कर दिया कि वो इस खेल के पुराने खिलाड़ी हैं. सचिन पायलट की तरफ से 30 विधायकों के समर्थन वाले दावे के बाद सोमवार को राजस्थान कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई. गहलोत के घर पर हुई इस बैठक में 107 विधायकों के शामिल होने की बात कही गई. यानी बहुमत के आंकड़े से काफी आगे.
जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई. न्यूज एजेंसी ANI ने बताया कि विधायक दल की बैठक में 107 विधायक शामिल हुए हैं. मीडिया के सामने बाकायदा विधायकों की परेड कराई गई. बता दें कि राजस्थान विधानसभा में 200 सीट हैं. कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के 72 विधायक हैं. वहीं निर्दलीय 13 और अन्य 8 हैं. यानी बहुमत का आंकड़ा 101 का है, मतलब अगर कांग्रेस को सरकार में रहना है तो कम से कम 101 विधायकों का समर्थन जरूरी है. और गहलोत ने फिलहाल इससे ज्यादा विधायकों को खड़ा कर दिया है.
केंद्र से जो तीन पर्यवेक्षकों का दल पहुंचा वो भी गहलोत के साथ खड़ा दिखा. रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह दिया कि अगर पायलट को कोई परेशानी हैं तो बात करें, पार्टी न तोड़ें. कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा है कि उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट फोन कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं. तो ऐसा लग रहा है कि गहलोत ने न सिर्फ अपनी सरकार बचाई बल्कि केंद्रीय नेतृत्व को भी भरोसे में रखा है. याद रखना चाहिए कि राज्यसभा चुनाव के बाद से ही गहलोत एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रहे थे. पहले उस चुनाव में तीन में से दो सीटें निकाल ले गए. फिर बाकायदा SOG को बागियों और दुश्मनों के पीछे लगाया. खरीद फरोख्त की कोशिश में कुछ लोग गिरफ्तार भी हुए.
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