ADVERTISEMENTREMOVE AD

FIFA Bans India: फीफा ने भारत को किया बैन, महिला U-17 WC टला,क्या है पूरा मामला?

FIFA AIFF Controversy Praful Patel: क्या प्रफुल पटेल की जिद के चलते लगा भारतीय फुटबॉल पर बैन?

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

भारतीय फुटबॉल (Indian Football) के लिए एक बड़ा संकटकाल आ खड़ा हुआ है. फुटबॉल की सबसे बड़ी संस्था 'FIFA', ने भारतीय फुटबॉल संघ (AIFF) और सुप्रीम कोर्ट के बीच त्रिकोणीय विवाद के चलते AIFF (All India Football Federation) को बैन करने का फैसला लिया है. FIFA ने माना कि सुप्रीम कोर्ट के रूप में तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी उसके नियमों के खिलाफ है. फीफा ने कहा,

FIFA ने सर्वसम्मति से अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को तीसरे पक्ष के अनुचित प्रभाव के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का फैसला लिया है, जो फीफा के नियमों का गंभीर उल्लंघन है...निलंबन का मतलब है कि भारत में 11-30 अक्टूबर 2022 तक होने वाला फीफा अंडर -17 महिला विश्व कप 2022, वर्तमान में भारत में योजना के अनुसार आयोजित नहीं किया जा सकता है
FIFA

हम आपको बताते हैं कि ये विवाद कैसे शुरू हुआ और क्यों इसमें भारतीय फुटबॉल पर बैन लगा?

FIFA Bans India: फीफा ने भारत को किया बैन, महिला U-17 WC टला,क्या है पूरा मामला?

  1. 1. कैसे शुरू हुआ विवाद? 

    भारतीय फुटबॉल की दुनिया में उथल-पुथल की धूरी दरअसल प्रफुल पटेल हैं. वही प्रफुल पटेल जो 2004 में कांग्रेस की सरकार में नागरिक विमानन मंत्री थे, लेकिन प्रफुल पटेल की एक और पहचान है जो इस चर्चा के लिए फिलहाल ज्यादा महत्वपूर्ण है. पटेल 2009 में ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) के अध्यक्ष बने थे और 2022 में जब तक सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पद से हटा नहीं दिया तब तक वे अध्यक्ष बने रहे.

    बतौर अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल का तीसरा कार्यकाल दिसंबर 2020 में समाप्त हो गया था. इसके बाद चुनाव के जरिए नए अध्यक्ष की नियुक्ति होनी थी, लेकिन तब से अब तक प्रफुल्ल पटेल बिना चुनाव के ही अध्यक्ष पद पर बने हुए थे.

    इसके अलावा AIFF के नए संविधान को लेकर भी विवाद चल रहा है. इन्हीं विवादों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने प्रफुल्ल पटेल को पद से हटा दिया. पटेल ने एक याचिका दायर करके मांग भी की कि जब तक नए संविधान को स्वीकार नहीं कर लिया जाता और नए अध्यक्ष को नहीं चुना जाता तब तक उनकी एग्जिक्यूटिव काउंसिल का समय बढ़ा दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग को ठुकराते हुए, प्रशासनिक काम काज देखने के लिए एक कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (COA) का गठन कर दिया.

    Expand
  2. 2. क्या है कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (COA)?

    प्रफुल्ल पटेल को हटाए जाने के बाद ये सवाल उठा कि अब न कोई अध्यक्ष है और न ही जल्दी में कोई चुनाव हो रहे हैं, तो AIFF का प्रशासन कौन देखेगा. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी ऑफ ए़डमिनिस्ट्रेटर्स का गठन किया. सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व जज एआर दबे इस कमेटी के मुखिया बनाए गए, इसके अलावा पूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्नर एसवाई कुरैशी और भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान भास्कर गांगुली इसमें शामिल हैं.

    कमेटी का काम AIFF के प्रशासन को देखना तो है ही साथ में उसके नए संविधान को भी स्पोर्ट्स कोड और मॉडल गाइडलाइन्स के तहत लागू करवाने की जिम्मेदारी है.

    FIFA की एंट्री और बैन

    AIFF के 85 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि इसका कोई अध्यक्ष नहीं है. ये भी पहली ही हुआ कि इसका चुनाव समय पर न हुआ हो, और पहली बार सुप्रीम कोर्ट की कोई कमेटी इसका प्रशासन संभाल रही है. इसी के चलते FIFA ने AIFF को बैन कर दिया है.

    दरअसल प्रफुल्ल पटेल 3 बार AIFF के अध्यक्ष बने, इस तरह उन्होंने अध्यक्ष के तौर पर कुल 12 साल बिताए. भारत के स्पोर्ट्स कोड के अनुसार कोई भी व्यक्ति 3 बार से ज्यादा अध्यक्ष नहीं बन सकता, लेकिन प्रफुल्ल पटेल इसके बाद भी अपना पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे.

    Expand
  3. 3. AIFF बैन का अब क्या असर होगा? 

    अब यहां FIFA की एंट्री के 3 कारण हैं

    • पहला, AIFF की स्वायत्ता पर सवाल है. फीफा के अनुसार किसी भी देश में फुटबॉल को गवर्न करने वाली बॉडी पूरी तरह से स्वतंत्र होनी चाहिए. उसमें सरकार या किसी अन्य एजेंसी का दबान नहीं होना चाहिए.

    • दूसरा, फीफा के अनुसार समय पर चुनाव होने चाहिए, लेकिन AIFF में 2020 के बाद से चुनाव नहीं हुए हैं.

    • तीसरा, फीफा सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स को बाहरी दखलअंदाजी यानी थर्ड पार्टी इंटरफेरेंस मान सकता है.

    AIFF पर बैन लगा लग चुका है. भारत पर बैन का मतलब है. अपने यहां फुटबॉल पर पूरी तरह रोक. किसी भी देश की टीम भारत के साथ खेलने से परहेज करेगी. इसे आप ऐसे समझ लीजिए कि अगर ICC, BCCI पर बैन लगा दे तो क्या होगा.

    इसी साल अक्टूबर में भारत को फुटबॉल में अंडर-17 महिला विश्व कप होस्ट करना था. अब भारत इसे होस्ट नहीं कर पाएगा और ये टूर्नामेंट कहीं और शिफ्ट करना पड़ेगा. अगले साल AFC एशियन कप होना है, इसमें भी भारत भाग नहीं ले पाएगा. इसका सिर्फ एक मतलब होगा, भारतीय फुटबॉल पर पूरी तरह ब्रेक.

    हो सकता है बैन के बाद भी ISL जैसे घरेलू लीग होते रहें, लेकिन संभावना है कि इनमें कोई विदेशी खिलाड़ी खेलने नहीं आ पाएगा, क्योंकि FIFA या उनके देश का फेडरेशन उन्हें भारत में खेलने की अनुमति नहीं देगा.

    Expand
  4. 4. FIFA ने इससे पहले भी किया है देशों को बैन

    • 2014 में, इंडोनेशिया में भी ऐसा ही मामला सामने आया था. खेल मंत्रालय और फुटबॉल फेडरेशन इस बात को लेकर आमने-सामने थे कि वहां फुटबॉल फेडरेशन चला कौन रहा है.

    • फीफा प्रतिबंध का एक और उदाहरण 2015 में दिखा जब कुवैत फुटबॉल एसोसिएशन पर बैन लगाया गया था. फीफा का कहना था कि फेडरेशन के स्वतंत्र अस्तित्व के अधिकार का उल्लंघन हो रहा था.

    • हाल ही में जिम्बाब्वे और केन्या को भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के बाद प्रतिबंध लगा दिया गया है.

    भारतीय फुटबॉल की हालत पहले से कोई बहुत अच्छी नहीं है, फिलहाल भारतीय फुटबॉल टीम दुनिया भर में 106 रैंक पर पर है.

    (हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

    Expand

कैसे शुरू हुआ विवाद? 

भारतीय फुटबॉल की दुनिया में उथल-पुथल की धूरी दरअसल प्रफुल पटेल हैं. वही प्रफुल पटेल जो 2004 में कांग्रेस की सरकार में नागरिक विमानन मंत्री थे, लेकिन प्रफुल पटेल की एक और पहचान है जो इस चर्चा के लिए फिलहाल ज्यादा महत्वपूर्ण है. पटेल 2009 में ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) के अध्यक्ष बने थे और 2022 में जब तक सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पद से हटा नहीं दिया तब तक वे अध्यक्ष बने रहे.

बतौर अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल का तीसरा कार्यकाल दिसंबर 2020 में समाप्त हो गया था. इसके बाद चुनाव के जरिए नए अध्यक्ष की नियुक्ति होनी थी, लेकिन तब से अब तक प्रफुल्ल पटेल बिना चुनाव के ही अध्यक्ष पद पर बने हुए थे.

इसके अलावा AIFF के नए संविधान को लेकर भी विवाद चल रहा है. इन्हीं विवादों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने प्रफुल्ल पटेल को पद से हटा दिया. पटेल ने एक याचिका दायर करके मांग भी की कि जब तक नए संविधान को स्वीकार नहीं कर लिया जाता और नए अध्यक्ष को नहीं चुना जाता तब तक उनकी एग्जिक्यूटिव काउंसिल का समय बढ़ा दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग को ठुकराते हुए, प्रशासनिक काम काज देखने के लिए एक कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (COA) का गठन कर दिया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या है कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (COA)?

प्रफुल्ल पटेल को हटाए जाने के बाद ये सवाल उठा कि अब न कोई अध्यक्ष है और न ही जल्दी में कोई चुनाव हो रहे हैं, तो AIFF का प्रशासन कौन देखेगा. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी ऑफ ए़डमिनिस्ट्रेटर्स का गठन किया. सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व जज एआर दबे इस कमेटी के मुखिया बनाए गए, इसके अलावा पूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्नर एसवाई कुरैशी और भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान भास्कर गांगुली इसमें शामिल हैं.

कमेटी का काम AIFF के प्रशासन को देखना तो है ही साथ में उसके नए संविधान को भी स्पोर्ट्स कोड और मॉडल गाइडलाइन्स के तहत लागू करवाने की जिम्मेदारी है.

FIFA की एंट्री और बैन

AIFF के 85 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि इसका कोई अध्यक्ष नहीं है. ये भी पहली ही हुआ कि इसका चुनाव समय पर न हुआ हो, और पहली बार सुप्रीम कोर्ट की कोई कमेटी इसका प्रशासन संभाल रही है. इसी के चलते FIFA ने AIFF को बैन कर दिया है.

दरअसल प्रफुल्ल पटेल 3 बार AIFF के अध्यक्ष बने, इस तरह उन्होंने अध्यक्ष के तौर पर कुल 12 साल बिताए. भारत के स्पोर्ट्स कोड के अनुसार कोई भी व्यक्ति 3 बार से ज्यादा अध्यक्ष नहीं बन सकता, लेकिन प्रफुल्ल पटेल इसके बाद भी अपना पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे.

0

अब यहां FIFA की एंट्री के 3 कारण हैं

  • पहला, AIFF की स्वायत्ता पर सवाल है. फीफा के अनुसार किसी भी देश में फुटबॉल को गवर्न करने वाली बॉडी पूरी तरह से स्वतंत्र होनी चाहिए. उसमें सरकार या किसी अन्य एजेंसी का दबान नहीं होना चाहिए.

  • दूसरा, फीफा के अनुसार समय पर चुनाव होने चाहिए, लेकिन AIFF में 2020 के बाद से चुनाव नहीं हुए हैं.

  • तीसरा, फीफा सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स को बाहरी दखलअंदाजी यानी थर्ड पार्टी इंटरफेरेंस मान सकता है.

AIFF बैन का अब क्या असर होगा? 

AIFF पर बैन लगा लग चुका है. भारत पर बैन का मतलब है. अपने यहां फुटबॉल पर पूरी तरह रोक. किसी भी देश की टीम भारत के साथ खेलने से परहेज करेगी. इसे आप ऐसे समझ लीजिए कि अगर ICC, BCCI पर बैन लगा दे तो क्या होगा.

इसी साल अक्टूबर में भारत को फुटबॉल में अंडर-17 महिला विश्व कप होस्ट करना था. अब भारत इसे होस्ट नहीं कर पाएगा और ये टूर्नामेंट कहीं और शिफ्ट करना पड़ेगा. अगले साल AFC एशियन कप होना है, इसमें भी भारत भाग नहीं ले पाएगा. इसका सिर्फ एक मतलब होगा, भारतीय फुटबॉल पर पूरी तरह ब्रेक.

हो सकता है बैन के बाद भी ISL जैसे घरेलू लीग होते रहें, लेकिन संभावना है कि इनमें कोई विदेशी खिलाड़ी खेलने नहीं आ पाएगा, क्योंकि FIFA या उनके देश का फेडरेशन उन्हें भारत में खेलने की अनुमति नहीं देगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

FIFA ने इससे पहले भी किया है देशों को बैन

  • 2014 में, इंडोनेशिया में भी ऐसा ही मामला सामने आया था. खेल मंत्रालय और फुटबॉल फेडरेशन इस बात को लेकर आमने-सामने थे कि वहां फुटबॉल फेडरेशन चला कौन रहा है.

  • फीफा प्रतिबंध का एक और उदाहरण 2015 में दिखा जब कुवैत फुटबॉल एसोसिएशन पर बैन लगाया गया था. फीफा का कहना था कि फेडरेशन के स्वतंत्र अस्तित्व के अधिकार का उल्लंघन हो रहा था.

  • हाल ही में जिम्बाब्वे और केन्या को भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के बाद प्रतिबंध लगा दिया गया है.

भारतीय फुटबॉल की हालत पहले से कोई बहुत अच्छी नहीं है, फिलहाल भारतीय फुटबॉल टीम दुनिया भर में 106 रैंक पर पर है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×