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पिछली दो हार भूलकर ‘अंत भला तो सब भला’ है टीम इंडिया का मिशन

वनडे में लगातार दो हार के बाद टीम इंडिया का कंगारुओं से अगला मुकाबला अब दिल्ली में है.

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रांची और मोहाली वनडे में लगातार दो हार के बाद टीम इंडिया का कंगारुओं से अगला मुकाबला अब दिल्ली में है. सीरीज अभी 2-2 की बराबरी पर है. जाहिर है कोटला में एक तरह का फाइनल मैच खेला जाना है.

ऑस्ट्रेलियाई टीम ने आखिरी बार भारत में 2009 में, यानी दस साल पहले वनडे सीरीज जीती थी. 2-0 से पिछड़ने के बाद भले ही उसने कभी वनडे सीरीज जीती नहीं है, लेकिन पिछले दो मैचों की जीत ने कंगारुओं के सीरीज जीतने के इरादों को मजबूत किया है.

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पांच वनडे मैचों की आखिरी सीरीज

दिलचस्प बात ये भी है कि दोनों टीमों के बीच पांच वनडे मैचों की ये आखिरी सीरीज है. अगली बार से जब भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें आमने-सामने होंगी, तो मुकाबला तीन मैचों का हुआ करेगा, जिसकी शुरुआत 2020 से होगी. लिहाजा दोनों ही टीमों के लिए इस सीरीज को जीतने का मजा ही अलग है. ये जीत यादगार रहेगी. क्रिकेट के इतिहास में दोनों टीमों के बीच पांच मैचों की आखिरी सीरीज को जीतने वाली टीम का नाम दर्ज होगा.

ये मैच इसलिए भी खास है, क्योंकि ये कप्तान कोहली का घरेलू मैदान है. अपने घरेलू मैदान में विराट कोहली अलग ही जोश के साथ उतरेंगे. कप्तान बनने के बाद वो पहली बार कोटला में उतरने वाले हैं. शिखर धवन और ऋषभ पंत भी दिल्ली के इसी स्टेडियम से टीम इंडिया तक पहुंचे हैं.

पिछले दो मैचों में हार की कई वजह

पिछले दो मैचों में हार की कई वजह रही. इनमें से एक ओस यानी ड्यू भी है. दोनों मैच में टॉस भारत ने जीता था. विराट ने दोनों विकल्प आजमाकर देख लिए. रांची में टॉस जीतकर उन्होंने पहले फील्डिंग की थी. मोहाली में उन्होंने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की. रांची में ड्यू फैक्टर से कहीं ज्यादा भारी पड़ा बल्लेबाजों का ‘फेल्योर’.

आपको याद दिला दें कि तीसरे वनडे में 314 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए विराट कोहली को छोड़कर टीम का कोई भी बल्लेबाज नहीं चला. पूरे के पूरे टॉप और मिडिल ऑर्डर के किसी भी बल्लेबाज को 30 रन का आंकड़ा पार करने में कामयाबी नहीं मिली. विजय शंकर ने 32 रन बनाए. जाहिर है विराट का शानदार शतक भी जीत नहीं दिला पाया.

इसके बाद मोहाली में तो कहानी ही पलट गई. अव्वल तो शानदार शुरुआत के बाद भारतीय टीम चार सौ के करीब पहुंचने की बजाए 359 तक ही पहुंच पाई. इसके साथ ही ‘ड्यू फैक्टर’ भी मैच पर बहुत भारी पड़ा.

आपको बता दें कि ड्यू की वजह से गेंदबाजों को बहुत दिक्कत होती है. गेंद गीला रहता है, इसलिए उसे पकड़ना और मनचाही जगह पर फेंकना मुश्किल काम होता है. स्पिनर्स के लिए ये दिक्कत और ज्यादा होती है.

मोहाली में ड्यू के अलावा एस्टन टर्नर भी बेकाबू ही थे. उन्होंने 43 गेंद पर 84 रनों की पारी खेलकर सभी को चौंका दिया. ये भी मानना होगा कि स्पिनर्स के खिलाफ कंगारुओं ने कड़ी मेहनत की है. इसकी वजह से यजुवेंद्र चहल और कुलदीप यादव की जोड़ी बेअसर रही. इन दोनों गेंदबाजों ने 20 ओवर में 144 रन दिए. कुल मिलाकर नतीजा भारत के पक्ष में नहीं रहा.

अपने ही घर में दांव पर विराट की साख

2019 विश्व कप से पहले ये टीम इंडिया का आखिरी मैच है. पिछले तीन साल में लिमिटेड ओवर क्रिकेट में टीम इंडिया का रिकॉर्ड शानदार रहा है. करीब एक दर्जन सीरीज का नतीजा टीम इंडिया के पक्ष में रहा है. हाल ही यही टीम इंडिया इसी ऑस्ट्रेलियाई टीम को उसी के घर में टेस्ट और वनडे सीरीज में हराकर आई है. इस सीरीज में भी टीम इंडिया ने पहले दो मैचों में शानदार जीत हासिल की थी.

लेकिन उसके बाद टीम की लय बिगड़ गई. इसकी एक वजह ये भी है कि पिछले कई मैचों से टीम इंडिया अपनी ‘फुल स्ट्रेंथ’ के साथ मैदान में नहीं उतरी है.

लगातार खेलने वाले खिलाड़ियों को बीच-बीच में आराम दिया गया है. धोनी जैसे खिलाड़ी को आराम दिया गया है. नंबर चार के बल्लेबाज को लेकर प्रयोग भी किए गए हैं. हार्दिक पांड्या के चोट की वजह से बाहर होने को छोड़ दें, तो बाकी सारे फैसले बतौर कप्तान विराट कोहली के हैं. ऐसे में जीत का श्रेय या हार की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है. वो भी उनके अपने मैदान पर.

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