ADVERTISEMENTREMOVE AD

फाइनल में हार और उसका बदला, ये है वर्ल्ड कप में IndvsAus का इतिहास

भारत और ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड कप में 12वीं बार आमने-सामने होंगे.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

रविवार 9 जून को लंदन के ओवल स्टेडियम में जब भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें आमने-सामनें होंगी, तो वो किसी सामान्य मैच की तरह नहीं होगा. वो मुकाबला होगा, पिछले 2 वर्ल्ड चैंपियनों का. वो मुकाबला होगा, इस वर्ल्ड कप के दो बड़े दावेदारों. इससे भी बढ़कर, ये मुकाबला होगा, पुराने हिसाब बराबर करने का.

5 बार की वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया ने वर्ल्ड कप में कमाल की शुरुआत की और अपने दोनों मैच जीते. टीम ने दिखाया कि वो खराब स्थिति से उबर कर भी जीत सकते है. वहीं भारत ने भी साउथ अफ्रीका को हराकर अच्छा आगाज किया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इतिहास और रिकॉर्ड्स गवाही देते हैं कि ऑस्ट्रेलिया इस फॉर्मेट में भी भारत पर हावी रहा है. बात चाहे ओवरऑल वनडे मैचों की हो या वर्ल्ड कप की, भारत पीछे ही रहा है.

दोनों टीमों के बीच अब तक 136 वनडे खेले गए हैं. इसमें से भारत ने 49 जीते हैं, जबकि 77 में ऑस्ट्रेलिया को जीत मिली है. वहीं वर्ल्ड कप के 11 मैचों में से भारत सिर्फ 3 जीत पाया है और ऑस्ट्रेलिया ने 8 बार भारत को हराया है. यहां तक कि 1992 से लेकर 2003 के बीच भारत एक भी मैच नहीं जीता था.

इन 11 मैच में से 7 मैच ऐसे हैं, जिनमें एक न एक सेंचुरी लगी है. भारत की तरफ से सिर्फ एक सेंचुरी अजय जड़ेजा के नाम है, जो उन्होंने 1999 वर्ल्ड कप में चेज करते हुए मारी थी. भारत ये मैच 77 रन से हार गया था. ये मैच लंदन के ओवल स्टेडियम में ही हुआ था, जहां ये टीमें फिर टकराएंगी.

दोनों टीमों के बीच वर्ल्ड कप में हुए कुछ बेहद यादगार मुकाबलों पर एक नजर-

वर्ल्ड कप-1987 (ग्रुप स्टेज)

1987 वर्ल्ड कप में चेन्नई में हुआ मुकाबला वर्ल्ड कप के सबसे करीबी मुकाबलों में से एक है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए इस मैच में टीम कपिल देव की टीम को आखिरी ओवर में सिर्फ एक रन से हार गई.

पहले बैटिंग करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम को डेविड बून और ज्यॉफ मार्श ने बेहतरीन शुरुआत दिलवाई. दोनों ने 110 रन जोड़े. इसके बाद मार्श और डीन जोंस ने तेजी से रन जोड़े. मार्श ने यादगार शतक लगाया और इसकी मदद से ऑस्ट्रेलिया ने 50 ओवर में 270 का मजबूत स्कोर खड़ा किया.

इस मैच में एक खास बात हुई, जो आखिरी में निर्णायक साबित हुआ.

डीन जोंस ने मनिंदर सिंह की एक गेंद पर स्ट्रेट बाउंड्री की ओर ऊंचा शॉट मारा. गेंद रवि शास्त्री के ऊपर से निकलकर बाउंड्री के पार गई. ऐसा लगा कि वो छक्का था. अंपायर डिकी बर्ड ने रवि शास्त्री से पूछा तो शास्त्री ने इसे चौका बताया. ऑस्ट्रेलिया ने इसका विरोध किया. ऑस्ट्रेलिया की बैटिंग खत्म होने के बाद इस पर चर्चा हुई और आखिरकार इसे छक्का माना गया. ऑस्ट्रेलिया के स्कोर में 2 रन जुड़े.

हालांकि, सुनील गावस्कर और क्रिस श्रीकांत ने शुरू से ही आक्रामक बल्लेबाजी की. गावस्कर 37 रन बनाकर आउट हुए. इसके बाद आए नवजोत सिंह सिद्धू. ये सिद्धू के करियर का पहला वनडे मैच था और उन्होंने निराश नहीं किया. सिद्धू ने श्रीकांत (70) के साथ हमलावर रुख जारी रखा.

भारत को आखिरी 15 ओवर में 70 रनों की जरूरत थी और उसके 8 विकेट बचे थे. यहां पर क्रेग मैक्डरमॉट ने अपने दूसरे स्पैल में कहर बरपा दिया. मैक्डरमॉट ने सिर्फ 26 रन के भीतर सिद्धू (73), अजहर और वेंगसरकर को आउट कर दिया. मैक्डरमॉट ने मैच में 4 विकेट लिए.

आखिरी ओवर में भारत को जीत के लिए 8 रन चाहिए थे और सामने थे युवा स्टीव वॉ. लेकिन पहले मनोज प्रभाकर रन आउट हुए और फिर पांचवीं गेंद पर वॉ ने मनिंदर सिंह को बोल्ड कर मैच खत्म कर दिया. 1983 की वर्ल्ड चैंपियन भारतीय टीम के सफर की निराशाजक शुरुआत हुई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वर्ल्ड कप-1992 (लीग स्टेज)

1987 के बाद 1992 वर्ल्ड कप में भी दोनों टीमों के बीच एक और बेहद करीबी मुकाबला हुआ और दुर्भाग्य से इस बार भी भारत को सिर्फ 1 रन से हार का सामना करना पड़ा.

ब्रिस्बेन में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग की, लेकिन कपिल देव और मनोज प्रभाकर ने बल्लेबाजों को ज्यादा मौके नहीं दिए. डीन जोंस के 90 रन की मदद से ऑस्ट्रेलिया 50 ओवर में सिर्फ 237 रन बना पाया. कपिल और प्रभाकर ने 3-3 विकेट लिए. इस बीच हुई बारिश ने भारत के लिए सब कुछ बदल दिया.

बारिश के कारण भारतीय पारी से 3 ओवर काटे गए लेकिन टारगेट में सिर्फ 2 रन की कमी हुई. भारत को 47 ओवर में 236 रन चाहिए थे. शुरुआत भी खराब रही. श्रीकांत बिना रन बनाए आउट हो गए. हालांकि, कप्तान अजहरुद्दीन के 93 और संजय मांजरेकर के 42 गेंद पर 47 रन की बदौलत भारत लक्ष्य के करीब पहुंचा.

आखिरी ओवर में भारत को जीत के लिए 14 रन की जरूरत थी. किरण मोरे ने पहली दो गेंद पर चौके जड़े, लेकिन तीसरी गेंद पर आउट हो गए. आखिरी 2 बॉल पर 2 रन की जरूरत थी, लेकिन पहले प्रभाकर और आखिरी गेंद पर वेंकटपति राजू रन आउट हो गए और भारत सिर्फ 1 रन से मैच हार गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वर्ल्ड कप-2003 (फाइनल)

ये कोई नजदीकी मुकाबला नहीं था. भारत को 125 रन से हार झेलनी पड़ी. इसके बावजूद ये मैच इसलिए खास है, क्योंकि भारत 20 साल बाद वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचा था और उस दौर में दुनिया की सबसे बेहतरीन टीम से हारा था.

23 मार्च को जोहानेसबर्ग में सौरव गांगुली ने टॉस जीता और गेंदबाजी का फैसला कर सबको चौंका दिया. इसका असर मैच की शुरुआत से आखिर तक दिखा. अपना पहला वर्ल्ड कप खेल रहे 25 साल के जहीर खान के लिए वर्ल्ड कप शानदार गुजरा था, लेकिन फाइनल में शायद दबाव झेल नहीं पाए और पहले ही ओवर में कई वाइड समेत 15 रन दे दिए. इसके बाद भारतीय टीम को उबरने का मौका नहीं मिला.

पहले एडम गिलक्रिस्ट और हेडन ने तेजी से रन बनाए और उसके बाद रिकी पोंटिंग ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर धुनाई की. पोंटिंग ने वर्ल्ड कप फाइनल के इतिहास की सबसे बेहतरीन पारियों में से एक खेली और 140 रन बनाकर भारत के सामने 360 जैसा असंभव टारगेट रखा. आज तक भी वर्ल्ड कप में इतना बड़ा टारगेट कोई टीम हासिल नहीं कर पाई है.

भारतीय टीम की सबसे बड़ी उम्मीद और वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले सचिन तेंदुलकर पहले ही ओवर में पैविलियन लौट गए. उसके बाद तो बस विकेट गिरने का सिलसिला जारी रहा. सहवाग (82) एक तरफ डटे रहे और द्रविड़ (47) ने भी कुछ कोशिश की, लेकिन लक्ष्य बहुत बड़ा था. चालीसवें ओवर में 234 के स्कोर पर पूरी टीम ढेर हो गई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वर्ल्ड कप-2011 (क्वार्टर फाइनल)

भारत ने आखिरी बार ऑस्ट्रेलिया को इसी वर्ल्ड कप में हराया था. ये वर्ल्ड कप और ये जीत हर हिंदुस्तानी क्रिकेट फैन के जहन में आज भी ताजा होगी. मैच के आखिर युवराज सिंह का पिच पर बैठकर पूरे जोश में बैट लहराना नहीं भुलाया जा सकता.

अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में 24 मार्च को ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. ऑस्ट्रेलिया ने धीमी शुरुआत की,लेकिन ब्रैड हैडिन (53) ने पोंटिंग के साथ मिलकर पारी को आगे बढ़ाया. हालांकि इसके बाद कोई भी बल्लेबाज पोंटिंग को सपोर्ट नहीं कर पाया. ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने अपना शतक (104) लगाया और टीम को 260 रन तक पहुंचाया.

भारत के लिए लक्ष्य ज्यादा बड़ा नहीं था, लेकिन सामने वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया थी. भारत की भी शुरुआत अच्छी नहीं रही और सहवाग जल्दी आउट हो गए.

इसके बाद सचिन (53), गंभीर (50) और युवराज सिंह (57 नॉट आउट) ने मिलकर टीम को 48वें ओवर में ही जीत दिला दी. इस वर्ल्ड कप में टीम के हीरो रहे युवराज, इस मैच में भी अहम साबित हुए. पहले गेंदबाजी में 2 विकेट लेने के बाद युवी ने अर्धशतक लगाकर ऑस्ट्रेलिया को टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता दिखाया.

दोनों टीमें इसके बाद 2015 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भी भिड़ीं, जहां स्टीव स्मिथ के शतक की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने 328 रन बनाए. जवाब में भारतीय टीम सिर्फ 233 रन बना पाई. ऑस्ट्रेलिया फाइनल में पहुंचा, जहां न्यूजीलैंड को हराकर पांचवी बार खिताब जीता.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×