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IND Vs NZ: पहले T-20 में ऐसी गलतियों के बाद जीत की बात सोचना बेकार

न्यूजीलैंड को वनडे सीरीज में बुरी तरह धोने वाली टीम इंडिया को आखिर वेलिंगटन में क्या हुआ?

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न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टी-20 मैच में भारत को हार का सामना करना पड़ा. हार भी छोटी-मोटी नहीं, 80 रनों की बड़ी हार. इस जीत के साथ ही मेजबान न्यूजीलैंड की टीम तीन टी-20 मैचों की सीरीज में 1-0 से आगे हो गई है.

फिलहाल स्थिति ऐसी नहीं कि ‘पैनिक बटन’ दबाया जाए, लेकिन बुद्धिमानी इसी में है कि उन गलतियों को पहचान लिया जाए, जिनकी वजह से इतनी बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा.

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सवाल ये है कि न्यूजीलैंड को वनडे सीरीज में बुरी तरह धोने वाली टीम इंडिया को आखिर वेलिंगटन में क्या हुआ? इस सवाल का जवाब है- एक के बाद एक गलती. टीम इंडिया ने इस मैच में तीन बड़ी गलतियां कीं.

महंगी साबित हुई एक के बाद एक गलती

गलती नंबर एक

  • गलत प्लेइंग 11 का चुनाव

गलती नंबर दो

  • पहले 6 ओवर में खराब गेंदबाजी

गलती नंबर तीन

  • गलत बल्लेबाजी क्रम

अब इन गलतियों को बारीकी से समझ लेते हैं. बतौर कप्तान रोहित शर्मा ने पहले टी-20 मैच के लिए सही प्लेइंग 11 का चुनाव नहीं किया. सीमित ओवरों के मैच में कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की जोड़ी को बहुत ही सोच समझकर तोड़ना चाहिए.

न्यूजीलैंड को वनडे सीरीज में बुरी तरह धोने वाली टीम इंडिया को आखिर वेलिंगटन में क्या हुआ?
टीम इंडिया के लिए ये वक्त परेशान होने का नहीं बल्कि गलतियों को पहचानने का है
(फोटो: ट्विटर/बीसीसीआई)

रोहित शर्मा ने खलील अहमद को प्लेइंग 11 में चुना. खलील अहमद बाएं हाथ से गेंदबाजी में ‘वेरिएशन’ जरूर लाते हैं लेकिन अब तक वो बहुत औसत गेंदबाज ही दिखे हैं. इस मैच में भी उन्होंने 4 ओवरों में 48 रन दिए.

इससे बेहतर होता कि कुलदीप यादव को प्लेइंग 11 में जगह दी गई होती. वो बीच के ओवरों में बल्लेबाजों को बांधने में माहिर हैं. साथ ही वो जमी-जमाई जोड़ी को तोड़ने की काबिलियत रखते हैं.

कुलदीप यादव के दूसरे छोर से गेंदबाजी करने पर युजवेंद्र चहल का आत्मविश्वास भी अलग ही दिखाई देता है. खलील अहमद की बजाए रोहित शर्मा भुवनेश्वर कुमार के साथ हार्दिक पांड्या से गेंदबाजी की शुरुआत करा सकते थे.

हार्दिक पांड्या खलील अहमद से बेहतर विकल्प साबित होते. इसके अलावा कप्तान रोहित शर्मा जरूरत पड़ने पर विजय शंकर से भी गेंदबाजी करा सकते थे. उन्होंने इस विकल्प को नहीं आजमाया.

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न्यूजीलैंड को वनडे सीरीज में बुरी तरह धोने वाली टीम इंडिया को आखिर वेलिंगटन में क्या हुआ?
T20 में तीसरे और चौथे ओवर में खूब बरसे रन
(फोटो: ट्विटर/बीसीसीआई)

इसके बाद बड़ी गलती रही पहले 6 ओवरों में कीवी बल्लेबाजों पर अंकुश न लगा पाना. टी-20 मैचों में पहले 6 ओवर का खेल ही ज्यादातर मौकों पर मैच का नतीजा तय कर देता है. आप पहले 6 ओवर में दोनों टीमों के प्रदर्शन की तुलना कर लें. जो 6 ओवर में जीता होगा, ज्यादातर मौकों पर मैच भी वही जीता होगा.

वेलिंगटन टी-20 में भी ऐसा ही हुआ. पहले 6 ओवरों में न्यूजीलैंड ने 66 रन जोड़ लिए. पहले चार ओवरों के बाद रोहित शर्मा ने गेंदबाजी में बदलाव कर क्रुनाल पाड्या और हार्दिक पांड्या को गेंद तो सौंपी, लेकिन तब तक बल्लेबाज हाथ खोल चुके थे. इस दौरान तीसरा और चौथा ओवर टीम इंडिया को बहुत भारी पड़ा. ये आंकड़े देखिए

तीसरे और चौथे ओवर में खूब बरसे रन

  • भुवनेश्वर कुमार ने पारी की तीसरा ओवर किया. इसमें 1 छक्के और 1 चौके को मिलाकर 15 रन बने
  • पारी का चौथा ओवर खलील अहमद ने फेंका. न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों ने 2 छक्के समेत 16 रन इस ओवर में बनाए.

टीम इंडिया की तीसरी बड़ी गलती रही गलत बैटिंग ऑर्डर. टीम इंडिया 220 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही थी. टी-20 मैच में 220 रनों का लक्ष्य खासा बड़ा होता है. इस मुश्किल लक्ष्य को पाने की कोशिश में कप्तान रोहित शर्मा जल्दी आउट हो गए.

इसके बाद विजय शंकर को नंबर तीन पर भेजने का कोई तुक नहीं था. विजय शंकर ने 18 गेंद पर 27 रनों की पारी जरूर खेली, लेकिन नंबर तीन की पोजीशन पर बल्लेबाजी करते समय पारी को किस तरह ‘क्राफ्ट’ किया जाना चाहिए, मैच को कैसे आगे बढ़ाना चाहिए, ये अभी उन्हें सीखना होगा.

ये सच है कि आखिरी वनडे मैच में मुश्किल परिस्थितियों में विजय शंकर ने रन बनाए थे. लेकिन यहां बड़ा फर्क फॉर्मेट का था. साथ ही साथ बुधवार को टीम लक्ष्य का पीछा कर रही थी, जिसका दबाव अलग ही होता है. विजय शंकर से बेहतर होता कि ये जिम्मेदारी दिनेश कार्तिक को सौंपी गई होती. दिनेश कार्तिक के अलावा महेंद्र सिंह धोनी भी इस रोल को निभा सकते थे. वो विकेट के एक छोर को संभालना जानते हैं.

ऋषभ पंत को जिस मिशन के लिए लाया गया है, वो उस मिशन को पूरा करने के पहले इम्तिहान में पास नहीं हुआ. नतीजा टीम इंडिया को 80 रनों की बड़ी हार का सामना करना पड़ा. टीम इंडिया के लिए ये वक्त परेशान होने का नहीं, बल्कि गलतियों को पहचानने का है.

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