इसमें कोई दोराय नहीं कि भारत ने पिछले कुछ सालों में क्रिकेट (Cricket) में वो उपलब्धि और मुकाम हासिल किया जिसका सपना हम दशकों से देखते आए हैं. विदेशी जमीं पर जीतने का हुनर भारत ने विराट कोहली की कप्तानी में सीखा. लेकिन अर्श पर पहुंचने के बाद जब कोई कम अनुभवी टीम आपको चारों खाने चित कर दे तो ये सवाल उठने लगता है कि क्या हमने पिछले सालों में जो भी कमाया वो सब गंवाने की प्रक्रिया शुरु हो रही है.
भारत ने पिछले कुछ सालों में बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग में अपना लोहा मनवाया. लेकिन अब ऐसा लगता है कि उस सुनहरे दौर की चमक घटने लगी है और साउथ अफ्रीका (South Africa Tour) दौरा इसकी शुरुआत है.
बल्लेबाजी में नहीं दिख रहा कॉन्फिडेंस
रन चेज में मास्टर कहलाने वाली भारतीय टीम ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 3 में से 2 मैचों में दूसरी पारी में बल्लेबाजी की लेकिन जीत किसी में नसीब नहीं हुई. समस्याएं इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि भारत अपने बल्लेबाजों में उलझा हुआ नजर आ रहा है. न तो खिलाड़ी फिक्स हैं न उनका बैटिंग ऑर्डर.
शिखर धवन ने इस दौरे पर अच्छी बल्लेबाजी की और उनका अगले दौरे पर सेलेक्शन लगभग पक्का है. ऐसे में टीम में रोहित, राहुल और धवन तीन ओपनर हो जाएंगे. साफ है राहुल को बल्लेबाजी क्रम में नीचे खेलना पड़ेगा और अगर राहुल के लिए धवन को टीम से ड्रॉप किया जाता है तो ये अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा.
बात केएल राहुल की करें तो उन्होंने कप्तान रहते हुए इस दौरे पर तीनों मैचों में कुल मिलाकर 76 रन बनाए. एक मैच में उनका अर्धशतक जरूर आया लेकिन उस अर्धशतक के लिए उनको 3 बार जीवनदान मिला. दूसरी तरफ ऋषभ पंत का खेल समझ से परे है. वो एक मैच में शतक बनाकर 5 मैचों में लापरवाह दिखने लगते हैं. उनके खराब शॉट सेलेक्शन का खामियाजा भारतीय टीम लगातार भुगत रही है. हर मैच के साथ सीनियर हो रहे पंत को लेकर टीम इंडिया उलझन में है.
भारत का मिडिल ऑर्डर क्या है?
भारत को सबसे ज्यादा जिसने निराश किया वो मिडिल ऑर्डर है. मिडल ऑर्डर में भारत के पास कई विकल्प हैं, लेकिन समस्या ये है कि किसको खिलाया जाए किसको बैठाया जाए क्योंकि इन सब पर अलग-अलग राय है. रोहित और शिखर को ओपनर मान लें और विराट को नंबर 3 पर तो अब श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत, सुर्यकुमार यादव, ईशान किशन, रुतुराज गायकवाड़, केएल राहुल ये 6 खिलाड़ी 3 स्थान के दावेदार हैं.
भारत के साथ समस्या ये है कि इनमें से कोई भी लगातार अपनी छाप नहीं छोड़ पा रहा. रुतुराज गायरवाड़ इस सीजन रणजी में टॉप स्कोरर रहे लेकिन उन्हें मैदान पर उतरने का मौका ही नहीं मिला. आगे आने वाले मौकों पर इन सवालों का समाधान नहीं किया गया तो जैसे साउथ अफ्रीका में हुआ, लाज बचानी फिर मुश्किल हो जाएगी.
इस तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता कि एक रोहित शर्मा को छोड़कर पूरी भारतीय टीम अपने टॉप 6 बल्लेबाजों के साथ उतर रही है फिल भी बैटिंग से लय गायब है.
हार्दिक को घर बैठाया तो वैंकटेश को क्यों नहीं भुनाया?
भारत लंबे अरसे से एक फास्ट बॉलिंग ऑलराउंडर की तलाश में है. हार्दिक पंड्या के मिलने के बाद ये लगा कि ये तलाश पूरी हो गई, लेकिन फिर हार्दिक और चोट का चोली दामन वाला साथ हो गया. अंत में उन्हें टीम से ड्रॉप किया गया और तलाश फिर जाकर रुकी वेंकटेश अय्यर पर.
लेकिन साउथ अफ्रीका के खिलाफ ओडीआई सीरीज के पहले मैच में उनसे गेंदबाजी कराई ही नहीं गई, जबकि गेंदबाज लगातार रन पड़वा रहे थे. इसकी खूब आलोचना हुई तो अगले मैच में उनसे 5 ओवर फिकवाए गए लेकिन तीसरे मैच में वो टीम से ही बाहर हो गए. ऐसे में भारत एक बेहतर ऑलराउंडर की तलाश कैसे कर पाएगा जब मौके ही इस तरह से दिए जाएंगे.
भारत की स्थिती ये है कि जो गेंदबाज थोड़ी बहुत बल्लेबाजी कर ले उसी में ऑलराउंडर नजर आने लगता है. कुछ ऐसा ही अब दीपक चाहर के बारे में कहा जाने लगा है क्योंकि उन्होंने आखिरी वनडे में एक शानदार अर्धशतक जड़ा. इसमें कोई दोराय नहीं कि उनमें प्रतिभा है लेकिन सवाल है कि इस प्रतिभा को ऑलराउंडर के रूप में निखारा जाएगा या सिर्फ जरूरत पड़ने पर बैट थमा के भेज दिया जाएगा.
भुवनेशवर कुमार की विदाई तय, अश्विन को भी भय
पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर का मानना है कि टीम इंडिया को अब 2023 वनडे वर्ल्ड कप के लिए टीम को तैयार करना चाहिए और भुवनेश्वर उस टीम में फिट नहीं बैठते. गावस्कर ने कहा कि उनमें अब पहले जैसी धार नहीं रही और दीपक भी उन्हीं की तरह स्विंग गेंदबाज हैं.
देखिए पिछले 6 मैचों में भुवनेश्वर का प्रदर्शन
फॉर्मेट- विपक्षी टीम- प्रदर्शन
वनडे दक्षिण अफ्रीका 0/67
वनडे दक्षिण अफ्रीका 0/64
टी20 न्यूजीलैंड 0/12
टी20 न्यूजीलैंड 1/39
टी20 न्यूजीलैंड 2/24
टी20 पाकिस्तान 0/25
भूवी पिछले 6 मैचों में सिर्फ 3 विकेट ले पाए हैं. दीपक चाहर उनके विकल्प के रूप में उभर रहे हैं और क्योंकि वो बल्लेबाजी में भी योगदान दे सकते हैं तो जाहिर है वो टीम की पहली पसंद बनेंगे.
कुछ ऐसा ही हाल अश्विन का भी है. वॉशिंगटन सुंदर के चोटिल होने के बाद अश्निन 4 साल बाद व्हाइट बॉल क्रिकेट में लौटे लेकिन अपना प्रभाव छोड़ पाने में नाकाम ही रहे.
जैसे सुंदर को अश्विन का विकल्प देखा गया वैसे ही अब कुलदीप यादव को भी अश्विन का विकल्प माना जाने लगा है. यानी कौन फिल्हाल भारत का स्थाई स्पिनर है जिसपर आंख मूंदकर भरोसा किया जा सके ये कहा नहीं जा सकता. चहल भी इस दौरे पर फीके ही नजर आए हैं.
राहुल को कप्तानी देना मजबूरी थी?
आखिरी सवाल ये कि क्या अभी केएल राहुल भारतीय टीम की कप्तानी करने लायक हैं ?. इसका जवाब है नहीं. खुद चीफ सेलेक्टर चेतन शर्मा ने कहा है कि हम राहुल को भविष्य के कप्तान के तौर पर तैयार करेंगे, मतलब साफ है कि वो अभी तैयार नहीं है. साउथ अफ्रीका के खिलाफ ये दिख भी गया.
पहले वनडे के बाद कमेंटेटर ने कहा कि "राहुल खुद में ही खो जाते हैं, वो नहीं पकड़ पाते कि मैच किस ओर जा रहा है. कप्तान को थोड़ा प्रोएक्टिव रहना चाहिए." साफ है राहुल अभी तैयार नहीं है और रोहित जब-जब चोटिल होंगे राहुल को ही कप्तानी थमाई जाएगी. यानी आने वाले टाइम में रोहित को जब-जब चोट लगेगी तो दर्द भारतीय क्रिकेट को भी होगा.
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