वर्ल्ड कप खत्म होने के बाद भारत की पहली सीरीज का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. भारतीय टीम 3 अगस्त से वेस्टइंडीज में टी-20, वनडे और टेस्ट सीरीज खेलेगी. इस दौरे के लिए रविवार 21 जुलाई को भारतीय टीम का ऐलान भी हो गया.
टीम के ऐलान के बाद मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने वर्ल्ड कप और वेस्टइंडीज दौरे के लिए हुए सलेक्शन से जुड़े सवालों पर जवाब और सफाई दी, लेकिन अपने आप में कई सवाल खड़े होते हैं, जिनका जवाब नहीं मिल पाया.
मयंक अग्रवालः वर्ल्ड कप में बैकअप, अब जगह नहीं
एमएसके प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि किन वजहों के चलते ऋषभ पंत और मयंक अग्रवाल को चोटिल शिखर धवन विजय शंकर के बदले भेजा गया. शंकर के बदले मिडिल ऑर्डर के लिए एक भी वनडे नहीं खेलने वाले ओपनिंग बल्लेबाज मयंक अग्रवाल को भेजने पर प्रसाद ने सफाई में कहा-
“जब शंकर चोटिल हुए उसके बाद एक मैच में राहुल भी बाउंड्री के पास गिर गए इसलिए हमारे सामने एक मेडिकल इमर्जेंसी आई कि वो खेलना जारी रख पाएंगे या नहीं. उस समय लिखित में सलामी बल्लेबाज की मांग की गई और हम मयंक की तरफ गए.”एमएसके प्रसाद, मुख्य चयनकर्ता BCCI
अब यहां पर 2 सवाल उठते हैं-
- अगर एक भी वनडे इंटरनेशनल नहीं खेलने वाले खिलाड़ी को बतौर बैकअप भेजा जाता है, तो उस खिलाड़ी को वेस्टइंडीज दौरे के लिए क्यों मौका नहीं दिया गया? जो खिलाड़ी भविष्य की स्कीम में ही नहीं है उसे वर्ल्ड कप जैसे सबसे बड़े इवेंट में भेजने का क्या मतलब?
- अगर सिर्फ ‘बैकअप ओपनर’ के लिहाज से ही मयंक को भेजने का फैसला किया गया, तो क्या कोई ‘अनुभवी ओपनर’ मौजूद नहीं था, जिसे टीम में मौका दिया जाता? क्या अजिंक्य रहाणे ज्यादा बेहतर विकल्प नहीं होते? रहाणे को इंग्लैंड में खेलने का भी अच्छा अनुभव है.
रहाणे ने ओपनिंग करते हुए वनडे की 54 पारियों में 1937 रन बनाए हैं, जिसमें 3 शतक और 15 अर्धशतक शामिल हैं. रहाणे ने आखिरी बार सितंबर 2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में ओपनिंग की थी और लगातार 4 अर्धशतक लगाए थे.
रहाणे जरूरत पड़ने पर मिडिल ऑर्डर में भी बेहतर बल्लेबाजी कर सकते थे, क्योंकि चौथे नंबर पर भी कई बार खेलने उतर चुके हैं. वैसे भी रहाणे वर्ल्ड कप खत्म होने तक इंग्लैंड में ही मौजूद थे और हैंपशायर काउंटी के लिए खेल रहे थे.
साहा या पंत! टेस्ट में कीपर कौन?
टेस्ट टीम के लिए एक तरफ ऋषभ पंत को जगह मिली, तो साथ ही सीनियर विकेटकीपर ऋद्धिमान साहा की भी चोट के बाद वापसी हुई. एमएसके प्रसाद ने इस दौरान 2 बातों कहीं- पहला, ऋषभ पंत तीनों फॉर्मेट में टीम में रहेंगे. दूसरा, पंत का वर्कलोड बांटने के लिए ऋद्धिमान साहा और केएस भरत लाइन में रहेंगे.
साहा को शामिल करने पर प्रसाद ने कहा था- “भारतीय टीम में अलिखित नियम है कि चोट से वापस आए खिलाड़ी को एक मौका और दिया जाता है, इसलिए साहा को मौका दिया गया है.”
प्रसाद ने जो सफाई दी, उसमें कुछ बड़े सवाल रह गए, जिनका जवाब नहीं मिल पाया-
- पंत टेस्ट सीरीज में भी खेलेंगे और साथ ही साहा को भी वापसी का मौका मिलेगा, तो दोनों में से टीम का मेन विकेटकीपर कौन होगा? ये प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ नहीं हुआ.
- अगर साहा बतौर विकेटकीपर प्लेइंग इलेवन में शामिल किए जाते हैं, तो क्या इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दो बड़ी सीरीज में दो शतक लगाने वाले पंत को टीम में जगह मिलेगी भी या नहीं? अगर मिलेगी तो किस रोल में?
- अगर साहा बैकअप विकेटकीपर रहते हैं तो उन्हें वापसी का मौका किस तरह मिलेगा? अगर सिर्फ बैकअप ही रहना है तो रणजी में अच्छा प्रदर्शन कर रहे युवा विकेटकीपर केएस भरत को ही क्यों नहीं शामिल किया गया?
जाधव ‘इन, तो कार्तिक ‘आउट’ क्यों?
वर्ल्ड कप में भारत का मिडिल ऑर्डर को जब भी मौका मिला वो प्रदर्शन करने में पूरी तरह नाकाम रहा. फिर चाहे बात अफगानिस्तान के खिलाफ मैच की हो या इंग्लैंड के खिलाफ नाकाम ‘चेज’ की, मिडिल ऑर्डर के बाकी बल्लेबाजों समेत जाधव भी कोई असर नहीं डाल पाए.
अफगानिस्तान के खिलाफ जरूर अर्धशतक लगाया था, लेकिन वो भी बेहद धीमा था. गेंदबाजी के नाम पर 6 मैच में सिर्फ 6 ओवर कराए, लेकिन विकेट नहीं मिला.
वहीं जाधव के बदले जब दिनेश कार्तिक को 2 पारियों में मौका मिला तो वो भी उसी तरह नाकाम रहे. ऐसे में सवाल ये है-
- कार्तिक को सिर्फ 2 बार बैटिंग का मौका मिला, जबकि जाधव को 6 बार. दोनों ही नाकाम रहे, तो एक जैसे प्रदर्शन के लिए जाधव और कार्तिक पर अलग-अलग फैसला क्यों?
- प्रसाद का कहना था कि जाधव ने कुछ भी गलत नहीं किया, जो उनको टीम में शामिल न किया जाए. इस हिसाब से कार्तिक ने जाधव के मुकाबले क्या ‘गलत’ किया था और क्यों वो प्लान का हिस्सा नहीं बन पाए?
भविष्य के रोडमैप पर ही सवाल!
चयन समिति के प्रमुख एमएसके प्रसाद ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बार भविष्य के रोडमैप का जिक्र किया. टी-20 में तो उन्होंने इसको सही साबित किया, लेकिन वनडे में कुछ हद तक वो इसे आजमाने से चूक गए.
34 साल के दिनेश कार्तिक को तो बाहर कर दिया, लेकिन 34 साल के ही केदार जाधव को टीम में बरकरार रखा. दोनों वर्ल्ड कप के दौरान नाकाम रहे थे. इसके पीछे प्रसाद ने कुछ ये वजह बताई-
“‘वर्ल्ड कप तक हमारे कुछ प्लान थे और वर्ल्ड कप के बाद हमने सोचा कि उन युवा खिलाड़ियों को मौका दिया जाए, जो लंबे समय तक भारत के लिए खेलेंगे.”
जब पूछा गया कि जाधव से ज्यादा बेहतर बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे, जो अभी 31 साल के ही हैं, उन्हें क्यों नहीं मौका दिया गया? इस पर प्रसाद ने कहा-
“रहाणे उनकी स्कीम का हिस्सा तो थे, लेकिन इंडिया ‘ए’ के खिलाड़ियों को भी उनके प्रदर्शन का ईनाम देना था, इसलिए रहाणे को मौका नहीं मिला.”
कार्तिक और रहाणे को इग्नोर करने के पीछे जो कारण दिए गए, वो खुद में कुछ बुनियादी सवाल पूछते हैं, जिन पर एमएसके प्रसाद का जवाब कोई तस्वीर साफ नहीं कर पाया.
- अगर भविष्य को देखते हुए खिलाड़ियों को मौका दिया जाना है, तो 34 साल के जाधव को फेलियर के बाद भी क्यों रखा गया? क्यों नहीं रहाणे या शुभमन गिल को एक और मौका दिया गया?
- दूसरी बात, अगर वेस्टइंडीज ‘ए’ के खिलाफ इंडिया ‘ए’ के प्रदर्शन के कारण रहाणे को नहीं शामिल किया गया, तो शुभमन गिल ने भी ‘ए’ टीम के साथ अच्छा प्रदर्शन किया. उन्हें क्यों नहीं मौका मिला?
हालांकि शुभमन गिल पर प्रसाद ने सफाई देने की कोशिश में कहा कि वो वेटिंग लिस्ट में हैं और भविष्य में मौका मिलेगा, लेकिन उम्रदराज हो रहे खिलाड़ियों को अगर टीम में रखा जाएगा तो कैसे भविष्य का रोडमैप लागू हो पाएगा?
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