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Team Jorge ने क्या कई देशों के चुनाव में कराई धांधली? कैसे खुली जॉर्ज की पोल

टीम जॉर्ज ने 30 से ज्यादा देशों के चुनाव में धांधली की है: रिपोर्ट

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पत्रकारों की एक अंतरराष्ट्रीय कंसोर्शियम की जांच में खुलासा हुआ है कि इजरायल (Israel) की एक खुफिया कंपनी कई देशों के चुनावों में धांधली करवाने का काम करती है. यह इजरायल की एक ग्लोबल दुष्प्रचार (डिसइंफॉर्मेशन) यूनिट है, जिसका नाम 'टीम जॉर्ज' (इजरायली भाषा में उच्चारण अलग होगा) है. इस पर भारत समेत कई देशों के चुनावों में धांधली करवाने का आरोप है.

टीम जॉर्ज (Team Jorge) के पास एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो कई देशों में फर्जी सोशल मीडिया कैंपेन चला सकता है. द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, टीम जॉर्ज ने 30 से ज्यादा देशों के चुनाव में धांधली की है.

टीम जॉर्ज क्या है, इसका पर्दाफाश कैसे हुआ और भारत पर इसका क्या असर है, सबकुछ समझते हैं.

Team Jorge ने क्या कई देशों के चुनाव में कराई धांधली? कैसे खुली जॉर्ज की पोल

  1. 1. टीम जॉर्ज क्या है?

    टीम जॉर्ज के पीछे तल हनान नाम का व्यक्ति है. 50 वर्षीय तल हनान इजरायल की स्पेशल फोर्स में काम कर चुका है. हनान इस काम को अंजाम देने के लिए बदले हुआ नाम 'जॉर्ज' का इस्तेमाल करता है.

    तल हनान इजरायली आर्मी स्पेशल फोर्सेस में काम कर चुका है. वह एक्सप्लोसिव ऑर्डिनेंस डिसपोजल (EOD) अधिकारी के रूप में काम करता था. इस दौरान हनान ग्लोबल सिक्योरिटी, डिफेंस, इंटेलिजेंस और लॉ इंफोर्समेंट जैसे काम करता था.

    टीम जॉर्ज में कई हैकर्स शामिल हैं, जो दो दशकों से भी ज्यादा समय से विदेशों में हो रहे चुनावों में गुप्त रूप से काम कर रहे हैं. एक लीक हुए ई-मेल से पता चलता है कि हनान काम के बदले 4 लाख से 6 लाख डॉलर्स हर महीने चार्ज करता है.
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  2. 2. टीम जॉर्ज का खुलासा कैसे हुआ?

    पत्रकारों को एक कंसोर्शियम यानी समूह ने टीम जॉर्ज की जांच की थी. इस कंसोर्शियम में 30 अलग-अलग मीडिया संस्थान के पत्रकार शामिल थे. इसमें Le Monde, Der Spiegel, और El País संस्थान भी शामिल थीं, जिसे फॉर्बिडन स्टोरीज का समर्थन है जो की पेरिस की एक गैर लाभकारी संस्था है.

    कंसोर्शियम ने तल हनान का पर्दाफाश करने के लिए उसका क्लाइंट बनकर जाने की योजना बनाई. इसलिए कंसोर्शियम के तीन पत्रकारों को चुना गया जो की द मार्कर से Gur Megiddo, रेडियो फ्रांस से Frédéric Métézeau और हारेट्ज से Omer Benjakob थे.

    तल हनान के सामने इन तीनों पत्रकारों ने अपने आप को कंसल्टेंट बताया जो एक बिजनेसमैन के लिए काम करते हैं और ऐसा बताया गया कि वह बिजनेसमैन अफ्रीका के बड़े और अस्थिर देश के चुनाव में देरी करवाना चाहता है.

    धीरे-धीरे इन पत्रकारों ने तल हनान से क्लाइंट का रिश्ता स्थापित किया और फिर खुद हनान ने ही बताया कि यह टीम जॉर्ज है और कैसे इनके पास गुप्त रूप से किसी भी जीमेल आईडी तक पहुंच हैं. जब हनान यह सब बता रहा था तभी पत्रकारों ने सबकुछ गुप्त कैमरे से रिकॉर्ड कर लिया.

    टीम जॉर्ज ने धीरे-धीरे यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने कैसे हैकिंग, बॉट्स, साइबर एसपाइनेज और तमाम तरीकों से दुनिया के 30 चुनाव में धांधली की है.
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  3. 3. टीम जॉर्ज के खुलासे में क्या-क्या निकला? 

    टीम जॉर्ज का प्राइवेट ऑफिस राजधानी तेल अवीव में इंडस्ट्रियल पार्क में हैं. हनान ने कथित तौर पर राष्ट्रपति स्तर के 33 चुनावों में छेड़छाड़ का दावा किया, जिनमें से 27 मामले में वह सफल हुआ है.

    तल हनान के साथ तीनों पत्रकारों की 6 घंटे की मीटिंग चली, जिसे गुप्त तरीके से रिकॉर्ड किया गया, इसमें हनान ने कई ऑफर दिए.

    गार्डियन के मुताबिक यह ऑफर थे: ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT), साइबर सिक्यॉरिटी, स्पेशल ऑपरेशन, इंटेलिजेंस, हैंकिग; पॉलिटल कैंपेन, प्राइवेट कंपनी और इंटेलिजेंस एजेंसियों की खुफिया जानकारियों तक पहुंच ताकी चुनाव में धांधली की जा सके.

    रिपोर्ट के मुताबिक टीम जॉर्ज ने ऐसे कामों को करने की क्षमता को साबित करने के लिए लाइव डेमो भी दिया. इसके लिए टीम जॉर्ज ने कथित तौर पर अफ्रीका में उच्च अधिकारियों के ई मेल को हैक करके बाताया.

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  4. 4. टीम जॉर्ज कौन से सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करता है?

    टीम जॉर्ज का मुख्य हथियार एम्स कहलाता है यानी एडवांस इंपेक्ट मीडिया सॉल्युशन (AIMS). ये सॉफ्टवेयर 30 हजार से ज्यादा फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल को चलाता है और इससे फर्जी जानकारी भी फैलाई जा सकती है. यह प्रोफाइल पूरी तरह से ऑटोमेशन पर काम करती है, इन प्रोफाइल का शिकार कभी नहीं जान पाएगा कि वह किसी फर्जी बॉट से बात कर रहा है. यहां तक ये फर्जी प्रोफाइल वेरिफाइड हैं, कुछ क्रेडिट कार्ड से भी लिंक किए गए हैं.

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  5. 5. कैसे टीम जॉर्ज और कैम्ब्रिज एनालिटिका ने नाइजीरिया के चुनाव में धांधली की?

    जांच के दौरान पता चला कि टीम जॉर्ज ने नाइजीरिया के राष्ट्रपति चुनाव में काफी धांधली की. 17 जनवरी, 2015 को कथित तौर पर टीम जॉर्ज ने कैम्ब्रिज एनालिटिका को ई मेल किया और अफ्रीका के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में दखल देने के लिए प्लान बनाया.

    द गार्जियन ने जिन ईमेल को एक्सेस किया, उसमें मुहम्मदु बुहारी को बदनाम करने और 2015 में गुडलक जोनाथन को फिर से निर्वाचित करने की विफल योजना का पता लगा.

    रिपोर्ट के अनुसार टीम जॉर्ज को विपक्ष के बारे में पूरी तरह से रिसर्च करना था और कैम्ब्रिज एनालिटिका को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बुहारी को लेकर छप रही खबरों को सामने लाना था ताकि जोनाथन को फायदा हो.

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  6. 6. क्या टीम जॉर्ज ने भारतीयों के डेटा के साथ भी छेड़छाड़ की?

    वैसे गार्डियन की रिपोर्ट में कहीं भी ये जिक्र नहीं है कि टीम जॉर्ज ने भारत के चुनाव में दखलअंदाजी की है, लेकिन एक कथित वीडियो में दिखाया गया है कि इजरायली समूह के साइबर टूल्स का इस्तेमाल भारत में भी किया गया था.

    कांग्रेस पार्टी ने इजरायल स्थित फर्म के तौर-तरीकों और बीजेपी के आईटी सेल के बीच समानताएं दिखाईं. कांग्रेस ने भारतीय चुनावों में कथित हस्तक्षेप की जांच की मांग की और सरकार से इस पर जवाब देने को कहा है.

    कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने पूछा, “हम पूछना चाहते हैं कि क्या सरकार इस मामले में जांच कराने का इरादा रखती है. क्या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होगी?”

    "अगर सरकार इस पर कुछ नहीं कर रही है, तो इसका मतलब है कि वह देश के लोकतंत्र और चुनावों में हस्तक्षेप करने के लिए मदद मांग रही है. भारतीयों के डेटा को एक विदेशी फर्म को सौंपकर समझौता किया जा रहा है."
    कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत

    श्रीनेत ने आरोप लगाया और कहा कि, यह पहली बार नहीं हो रहा है कि डेटा चोरी के आरोपों से नरेंद्र मोदी सरकार परेशान है. उन्होंने कहा कि, "गंभीर आरोपों में से एक है कि यह सरकार डेटा चोरी और वास्तव में चुनावी प्रक्रिया से छेड़छाड़ करने के लिए डेटा हेरफेर करती है. आपने देखा कि कर्नाटक में क्या हुआ. यह सरकार अपने लाभ के लिए डेटा के साथ खेलती है. यह लोकतंत्र की हत्या के अलावा और कुछ नहीं है."

    कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने हालिया अडानी समूह विवाद पर ध्यान दिलाते हुए पूछा, “अडानी की कितनी कंपनियों ने मोदी सरकार को पैसा दिया? उन्होंने इसे कहां खर्च किया है? पेगासस या जॉर्ज पर?

    उन्होंने आरोप लगाया कि देश की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा भारत के लोकतंत्र को "हाईजैक" किया जा रहा है.

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टीम जॉर्ज क्या है?

टीम जॉर्ज के पीछे तल हनान नाम का व्यक्ति है. 50 वर्षीय तल हनान इजरायल की स्पेशल फोर्स में काम कर चुका है. हनान इस काम को अंजाम देने के लिए बदले हुआ नाम 'जॉर्ज' का इस्तेमाल करता है.

तल हनान इजरायली आर्मी स्पेशल फोर्सेस में काम कर चुका है. वह एक्सप्लोसिव ऑर्डिनेंस डिसपोजल (EOD) अधिकारी के रूप में काम करता था. इस दौरान हनान ग्लोबल सिक्योरिटी, डिफेंस, इंटेलिजेंस और लॉ इंफोर्समेंट जैसे काम करता था.

टीम जॉर्ज में कई हैकर्स शामिल हैं, जो दो दशकों से भी ज्यादा समय से विदेशों में हो रहे चुनावों में गुप्त रूप से काम कर रहे हैं. एक लीक हुए ई-मेल से पता चलता है कि हनान काम के बदले 4 लाख से 6 लाख डॉलर्स हर महीने चार्ज करता है.
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टीम जॉर्ज का खुलासा कैसे हुआ?

पत्रकारों को एक कंसोर्शियम यानी समूह ने टीम जॉर्ज की जांच की थी. इस कंसोर्शियम में 30 अलग-अलग मीडिया संस्थान के पत्रकार शामिल थे. इसमें Le Monde, Der Spiegel, और El País संस्थान भी शामिल थीं, जिसे फॉर्बिडन स्टोरीज का समर्थन है जो की पेरिस की एक गैर लाभकारी संस्था है.

कंसोर्शियम ने तल हनान का पर्दाफाश करने के लिए उसका क्लाइंट बनकर जाने की योजना बनाई. इसलिए कंसोर्शियम के तीन पत्रकारों को चुना गया जो की द मार्कर से Gur Megiddo, रेडियो फ्रांस से Frédéric Métézeau और हारेट्ज से Omer Benjakob थे.

तल हनान के सामने इन तीनों पत्रकारों ने अपने आप को कंसल्टेंट बताया जो एक बिजनेसमैन के लिए काम करते हैं और ऐसा बताया गया कि वह बिजनेसमैन अफ्रीका के बड़े और अस्थिर देश के चुनाव में देरी करवाना चाहता है.

धीरे-धीरे इन पत्रकारों ने तल हनान से क्लाइंट का रिश्ता स्थापित किया और फिर खुद हनान ने ही बताया कि यह टीम जॉर्ज है और कैसे इनके पास गुप्त रूप से किसी भी जीमेल आईडी तक पहुंच हैं. जब हनान यह सब बता रहा था तभी पत्रकारों ने सबकुछ गुप्त कैमरे से रिकॉर्ड कर लिया.

टीम जॉर्ज ने धीरे-धीरे यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने कैसे हैकिंग, बॉट्स, साइबर एसपाइनेज और तमाम तरीकों से दुनिया के 30 चुनाव में धांधली की है.
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टीम जॉर्ज के खुलासे में क्या-क्या निकला? 

टीम जॉर्ज का प्राइवेट ऑफिस राजधानी तेल अवीव में इंडस्ट्रियल पार्क में हैं. हनान ने कथित तौर पर राष्ट्रपति स्तर के 33 चुनावों में छेड़छाड़ का दावा किया, जिनमें से 27 मामले में वह सफल हुआ है.

तल हनान के साथ तीनों पत्रकारों की 6 घंटे की मीटिंग चली, जिसे गुप्त तरीके से रिकॉर्ड किया गया, इसमें हनान ने कई ऑफर दिए.

गार्डियन के मुताबिक यह ऑफर थे: ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT), साइबर सिक्यॉरिटी, स्पेशल ऑपरेशन, इंटेलिजेंस, हैंकिग; पॉलिटल कैंपेन, प्राइवेट कंपनी और इंटेलिजेंस एजेंसियों की खुफिया जानकारियों तक पहुंच ताकी चुनाव में धांधली की जा सके.

रिपोर्ट के मुताबिक टीम जॉर्ज ने ऐसे कामों को करने की क्षमता को साबित करने के लिए लाइव डेमो भी दिया. इसके लिए टीम जॉर्ज ने कथित तौर पर अफ्रीका में उच्च अधिकारियों के ई मेल को हैक करके बाताया.

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टीम जॉर्ज का मुख्य हथियार एम्स कहलाता है यानी एडवांस इंपेक्ट मीडिया सॉल्युशन (AIMS). ये सॉफ्टवेयर 30 हजार से ज्यादा फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल को चलाता है और इससे फर्जी जानकारी भी फैलाई जा सकती है. यह प्रोफाइल पूरी तरह से ऑटोमेशन पर काम करती है, इन प्रोफाइल का शिकार कभी नहीं जान पाएगा कि वह किसी फर्जी बॉट से बात कर रहा है. यहां तक ये फर्जी प्रोफाइल वेरिफाइड हैं, कुछ क्रेडिट कार्ड से भी लिंक किए गए हैं.

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कैसे टीम जॉर्ज और कैम्ब्रिज एनालिटिका ने नाइजीरिया के चुनाव में धांधली की?

जांच के दौरान पता चला कि टीम जॉर्ज ने नाइजीरिया के राष्ट्रपति चुनाव में काफी धांधली की. 17 जनवरी, 2015 को कथित तौर पर टीम जॉर्ज ने कैम्ब्रिज एनालिटिका को ई मेल किया और अफ्रीका के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में दखल देने के लिए प्लान बनाया.

द गार्जियन ने जिन ईमेल को एक्सेस किया, उसमें मुहम्मदु बुहारी को बदनाम करने और 2015 में गुडलक जोनाथन को फिर से निर्वाचित करने की विफल योजना का पता लगा.

रिपोर्ट के अनुसार टीम जॉर्ज को विपक्ष के बारे में पूरी तरह से रिसर्च करना था और कैम्ब्रिज एनालिटिका को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बुहारी को लेकर छप रही खबरों को सामने लाना था ताकि जोनाथन को फायदा हो.

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क्या टीम जॉर्ज ने भारतीयों के डेटा के साथ भी छेड़छाड़ की?

वैसे गार्डियन की रिपोर्ट में कहीं भी ये जिक्र नहीं है कि टीम जॉर्ज ने भारत के चुनाव में दखलअंदाजी की है, लेकिन एक कथित वीडियो में दिखाया गया है कि इजरायली समूह के साइबर टूल्स का इस्तेमाल भारत में भी किया गया था.

कांग्रेस पार्टी ने इजरायल स्थित फर्म के तौर-तरीकों और बीजेपी के आईटी सेल के बीच समानताएं दिखाईं. कांग्रेस ने भारतीय चुनावों में कथित हस्तक्षेप की जांच की मांग की और सरकार से इस पर जवाब देने को कहा है.

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने पूछा, “हम पूछना चाहते हैं कि क्या सरकार इस मामले में जांच कराने का इरादा रखती है. क्या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होगी?”

"अगर सरकार इस पर कुछ नहीं कर रही है, तो इसका मतलब है कि वह देश के लोकतंत्र और चुनावों में हस्तक्षेप करने के लिए मदद मांग रही है. भारतीयों के डेटा को एक विदेशी फर्म को सौंपकर समझौता किया जा रहा है."
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत

श्रीनेत ने आरोप लगाया और कहा कि, यह पहली बार नहीं हो रहा है कि डेटा चोरी के आरोपों से नरेंद्र मोदी सरकार परेशान है. उन्होंने कहा कि, "गंभीर आरोपों में से एक है कि यह सरकार डेटा चोरी और वास्तव में चुनावी प्रक्रिया से छेड़छाड़ करने के लिए डेटा हेरफेर करती है. आपने देखा कि कर्नाटक में क्या हुआ. यह सरकार अपने लाभ के लिए डेटा के साथ खेलती है. यह लोकतंत्र की हत्या के अलावा और कुछ नहीं है."

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने हालिया अडानी समूह विवाद पर ध्यान दिलाते हुए पूछा, “अडानी की कितनी कंपनियों ने मोदी सरकार को पैसा दिया? उन्होंने इसे कहां खर्च किया है? पेगासस या जॉर्ज पर?

उन्होंने आरोप लगाया कि देश की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा भारत के लोकतंत्र को "हाईजैक" किया जा रहा है.

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