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राघव चड्ढा बोले, तिरंगा नहीं फहराने वाले हमें राष्ट्रवाद सिखा रहे

आम आदमी पार्टी के साउथ दिल्ली से कैंडिडेट राघव चड्ढा को PM मोदी क्यों अहंकारी लगते हैं?

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कैमरा: अभिषेक रंजन

वीडियो एडिटर: पुर्णेन्दु प्रीतम

आम आदमी पार्टी ने साउथ दिल्ली से 30 साल के राघव चड्ढा को लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारा है. राघव चड्ढा के चुनावी कैंपेन के दौरान क्विंट ने उनसे 'गैर-राजनीतिक' राजनीतिक चर्चा की.

एक चार्टेड अकाउंटेंट से लेकर राजनीति में आने तक साथ ही कैसे वो अपने विरोधियों से लड़ रहे हैं और राष्ट्रवाद पर राघव चड्ढा क्या सोचते हैं उसपर उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी.

आपके हिसाब से चुनाव के लिए असल मुद्दा क्या है?

दो तरह के मुद्दे हैं, कुछ मैक्रो लेवल पर कुछ माइक्रो लेवल पर. दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना मैक्रो लेवल मुद्दा है. हमने चुनाव में कहा है, जिस तरह लोगों ने 2015 में आम आदमी पार्टी के लिए प्यार दिखाया था. अगर वो इसी तरह का प्यार और आशीर्वाद देते हैं, तो हम दिल्ली को दो साल में पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाएंगे.

माइक्रो लेवल का जो मुद्दा है वो बेसिक है. पिछले 70 सालों में कांग्रेस और बीजेपी ने साउथ दिल्ली के लोगों को बिजली, पानी, सड़क, नाला इन सबकी बेहतर सुविधा नहीं दी है. लेकिन पिछले पांच सालों में अरविंद केजरीवाल ने वो सब किया. हम उसी को आगे बढ़ाएंगे.

कुछ लोग राष्ट्रवाद की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं उसपर आप क्या सोचते हैं?

ये एक बेकार तरीके के कैंपेन है, जिसमें जो भी पीएम मोदी और अमित शाह से सहमत नहीं होता है उसे देशद्रोही कह दिया जाता है. एक एजेंसी नई नई खुली है जो राष्ट्रवाद का सर्टिफिकेट बांट रहे हैं. जिन लोगों ने 52 साल तक नागपुर में अपने मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फैराया, जो लोग अलगावादियों के साथ कश्मीर में सरकार बनाते हैं, जो लोग बिन बुलाए पाकिस्तान जाकर नवाज शरीफ के जन्मदिन पर केक काटते हैं, जो अभिनंदन के नाम पर वोट मांगते हैं उन लोगों को हिम्मत नहीं होनी चाहिए किसी को देश भक्ति का सर्टिफिकेट बांटने की.

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आपकी उम्र 30 साल है. आप 22-23 साल की उम्र में एक्टिविज्म में आ गए, 27 साल की उम्र में राजनीति में. ऐसा वो कौन सा पल था जब आपने फैसला किया कि अब मुझे नेता बनना है?

मैं नहीं बता सकता वो कौन सा पल था, जब मैंने राजनीति में आने का फैसला किया. ये अचानक हुआ. मैं एक चार्टेड अकाउंटेंट था, दिल्ली में ही पला बढ़ा, नौकरी भी कर रहा था. तब मेरी मुलाकात अरविंद केजरीवाल से हुई, मैंने एक रिसर्चर के तौर पर उनके साथ काम करना शुरू किया. इसके बाद पार्टी बनी और फिर पार्टी ने मुझे जिम्मेदारी देनी शुरू की. स्कूल के 12 साल के दौर में मैं आर्मी में जाकर देश की सेवा करना चाहता था, लेकिन अब वो आर्मी के रूप में नहीं, बल्कि नेता के रूप में हो रही है.

बता दें कि दिल्ली में 12 मई को चुनाव होने हैं. राघव चड्ढा के सामने कांग्रेस ने ओलिंपिक मेडलिस्ट बॉक्सर विजेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने इपने सांसद रमेश बिधूड़ी को दोबारा टिकट दिया है.

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