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पटना के मजदूरों ने पूछा,’आयुष्मान भारत’, पेंशन स्कीम क्‍या चीज है?

क्या पेंशन स्कीम के बारे में जानते हैं मजदूर?

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वीडियो एडिटर: मोहम्‍मद इब्राहिम

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सुबह के 7.30 बजे, पटना के बोरिंग रोड पर मौजूद पंचमुखी मंदिर के चौराहे पर हर रोज की तरह कुछ लोग हाथ में कुदाल, छेनी-हथौड़ा, बेलचा लिए खड़े थे. तभी हमने उनसे बात करना शुरू किया. ये लोग दिहाड़ी मजदूर हैं, जो काम की तलाश में यहां आते हैं. हमने इन लोगों से जानने की कोशिश की कि क्या चुनाव से इनकी जिंदगी बदलती है? आखिर 2019 चुनाव को लेकर क्या हैं इनके मुद्दे?

दिहाड़ी मजदूर, मुन्ना शर्मा बताते हैं, “हम यहां इसलिए आए हैं, ताकि हमें काम मिल सके. हम घर बनाने के लिए ईंट, बालू, सीमेंट सब ढोते हैं, बस काम मिलना चाहिए. 350-400 रुपए दिहाड़ी मिलता है, लेकिन काम रोज मिल जाए, इस बात की कोई गारंंटी नहीं है.

मुन्ना शर्मा की तरह कई लोग यहां इस उम्मीद में बैठे हैं कि कोई आएगा और उन्हें मजदूरी के लिए ले जाएगा. एक और लेबर बिट्टू कहते हैं:

‘’एक दिन काम मिलता है और चार दिन बैठते हैं, क्या इस तरह से हमारी बीवी-बच्चे का पेट भरेगा? मेरे परिवार में तीन लोग हैं. पटना में हम किराए का मकान लेकर रहते हैं. दो हजार रुपए किराया देना होता है. मुश्किल से महीने में 5 हजार रुपए कमाई होती है. कैसे गुजारा होगा?’’

क्या पेंशन स्कीम के बारे में जानते हैं मजदूर?

अभी हाल ही में असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए सरकार ने पेंशन स्कीम का ऐलान किया है. सरकार की मानें, तो इस सेक्टर में काम करने वाले कुछ शर्तों को पूरा करेंगे और हर महीने निश्चित रकम जमा करेंगे, तो 60 साल की उम्र के बाद उन्हें हर महीने 3 हजार रुपए की पेंशन मिलेगी.

हमने भी यहां मौजूद मजदूरों से जानने की कोशिश की कि क्या उन्हें इन स्कीम के बारे में पता है? 62 साल के नरेश राय कहते हैं कि जब 70 रुपए मजदूरी मिलती थी, वे तबसे काम कर रहे हैं. अब 400 रुपए रोज मिल जाते हैं.

‘’सरकार की किसी भी योजना के बारे में नहीं पता है. 60 साल से ज्यादा उम्र हो गई, लेकिन किसी भी सरकार ने पेंशन नहींं दी. हमेशा चुनाव होता है, इससे हम लोगों की जिंदगी में कुछ नहीं हुआ. जहां पहले थे, आज भी वही हैं.’’

यहां मौजूद लगभग सभी मजदूरों की एक ही शिकायत है कि उनके पास न लेबर कार्ड है, न उन्हें किसी भी तरह की स्कीम का फायदा हुआ. मनरेगा में भी काम किया, लेकिन समय से पैसा नहीं मिलता.

बता दें कि 23 मई को लोकसभा चुनाव का नतीजा आना है. ऐसे में एक सवाल है कि क्या आने वाली सरकार इन मजदूरों की जिंदगी बेहतर कर सकेगी?

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