वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता
फिर एक बार मोदी सरकार. और वो भी पहले से ज्यादा दमदार.
अब जीत ज्यादा दमदार है तो नई कैबिनेट भी दमदार होनी चाहिए. कुछ पुराने मंत्रियों को बदली हुई जिम्मेदारियों के साथ दोबारा लाया जाएगा तो कुछ की छुट्टी होगी. लेकिन सबसे ज्यादा बेकरारी है उन नए चेहरों को लेकर जिन्हें इस जीत का इनाम मिलेगा. वैसे जिन मंत्रालयों पर सबसे ज्यादा नजर है वो हैं, वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय.
कथा जोर गरम है कि बीजेपी अध्यक्ष, जीत के ‘चाणक्य’ और पीएम नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी अमित शाह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में बड़ा पद मिलेगा.
ये बड़ा पद रायसिना हिल्स का कोई मंत्रालय यानी वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय या गृह मंत्रालय हो सकता है.
शाह गुजरात सरकार में गृह मंत्री रह चुके हैं. चर्चा है कि उन्हें केंद्र में भी यही जिम्मेदारी दी जा सकती है. ऐसा हुआ तो फिर राजनाथ सिंह का मंत्रालय बदलना पड़ेगा. वो आधिकारिक तौर पर पिछली मोदी सरकार में नंबर 2 पोजिशन पर थे. लेकिन गृहमंत्री के तौर पर अमित शाह के नाम पर मोहर लगी तो ये बदलाव मुश्किल नहीं होगा.
बदलेगा अरुण जेटली का रोल?
पुलवामा हमले के बाद हुए बालाकोट अटैक ने मोदी सरकार की छवि को एक मुंहतोड़ जवाब देने वाली सरकार की छवि के तौर पर मजबूत किया. लेकिन आर्थिक मोर्चे पर हालत खराब है. यानी नई सरकार के सामने नई चुनौतियां होंगी और वित्त मंत्रालय में कामकाज बढ़ेगा. लेकिन क्या अरुण जेटली को उनकी सेहत, इतनी मेहनत की इजाजत देगी?
इसी साल जनवरी में उन्हें एक सर्जरी के लिए अमेरिका जाना पड़ा था. दो फॉर्मूलों पर बात हो रही है- पहला ये कि जेटली की मदद के लिए उन्हें माकूल राज्यमंत्री दे दे जाएं या फिर सेहत के मद्देनजर उन्हें कोई कम कामकाज वाला मंत्रालय दे दिया जाए.
इलाज के दौरान जेटली की गैरमौजूदगी में वित्त मंत्रालय का काम देखने वाले पीयूष गोयल का नाम दोबारा से वित्त मंत्रालय के गलियारों में फुसफुसाया जा रहा है.
सहयोगी पार्टियों की हिस्सेदारी?
बीजेपी अपने बूते बहुमत में है लेकिन दरियादिली दिखाते हुए सहयोगियों को भी कैबिनेट में कोटा मिलेगा. बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू को अच्छी कामयाबी मिली है, सो इस पार्टी से 1-2 चेहरे नई सरकार में मंत्री पद पा सकते हैं. रामविलास पासवान की एलजेपी, शिवसेना और पुराने साथी अकाली दल की नुमाइंदगी सरकार में होगी ही. हालांकि नंबर गेम को देखते हुए सहयोगी किसी बड़े मंत्रालय की आस ना ही लगाएं तो अच्छा.
आने वाले विधानसभा चुनावों का असर
केंद्र में जबरदस्त जीत के बाद पहले विधानसभा चुनाव जीतने की चुनौती लेकर आते हैं. इसी साल के आखिर में ये चुनौती पेश करेंगे महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड. पिछली सरकार में इन तमाम राज्यों से मंत्री थे. लेकिन विधानसभा चुनावों पर जीत की मोहर लगाने के लिए पीएम मोदी की नई कैबिनेट में इन राज्यों को नुमाइंदगी बढ़ाई जा सकती है. कोशिश होगी कि इन राज्यों से अपनी पार्टी के नेताओं को मौका मिले और सहयोगियों के लिए भी बर्थ बुक हो.
लोकसभा चुनाव बीजेपी की जीत हैं तो पश्चिम बंगाल उस जीत की ट्राफी है. 2014 में महज दो सीटें जीतने के बाद भी पीएम मोदी ने सांसद बाबुल सुप्रियो को मंत्री बनाया था. तो इस बार तो सांसदों की तादाद कहीं ज्यादा रहने वाली है. साल 2021 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. अब बीजेपी का अगला मिशन, पश्चिम बंगाल में अपनी सरकार बनाना होगा. इस लिहाज से राज्य के सांसद मिठी के साथ मंत्री पद की आस भी लगा सकते हैं.
तीन साल बाद यानी 2022 में यूपी में भी चुनाव हैं. 2014, 2017 और 2019 की बंपर जीत के बाद अब मोदी जी यूपी को अजेय किले में तब्दील करना चाहते हैं. मौजूदा सरकार में भी सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल समेत दर्जन भर लोकसभा सांसद हैं जिनके पास कोई ना कोई मंत्रालय है. तो नई सरकार में यूपी को तो अपना कोटा मिलेगा ही!
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