वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
चुनावी यात्रा के दौरान क्विंट की चौपाल लगी उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में. लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में सबकी निगाहें इस सीट पर रहेगी क्योंकि 2014 में योगी आदित्यनाथ ने यहां से जीत हासिल की थी. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें इस सीट से इस्तीफा देना पड़ा था.
योगी आदित्यनाथ का गढ़ माने जाने के बावजूद पिछले साल बीजेपी को इस सीट के उपचुनाव में एसपी-बीएसपी गठबंधन के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
चौपाल में चर्चा के दौरान हमने जनता का मूड टटोलने के साथ-साथ ये जानने की कोशिश की कि क्या यहां फिर से बीजेपी का कमल खिलेगा? बीजेपी ने भोजपुरी इंडस्ट्री के जाने माने एक्टर रवि किशन को चुनावी मैदान में उतारा है.
राहुल राय कहते हैं कि भले ही उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन 2019 में यहां फिर से बीजेपी ही जीत दर्ज करेगी क्योंकि लोगों को कैंडिडेट से मतलब नहीं है, जनता नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहती है.
लेकिन गोरखपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डाॅ प्रमोद शुक्ला कहते हैं कि रवि किशन को कैंडिडेट बनाए जाने से लोगों में नाराजगी है.
“बीजेपी ने बाहर से प्रत्याशी उतारा है. अगर स्थानीय या जनता के बीच का उम्मीदवार उतारा जाता तो बेहतर होता.”डाॅ प्रमोद शुक्ला, प्रोफेसर, गोरखपुर यूनिवर्सिटी
लोगों का ये भी कहना है कि बेरोजगारी और धर्म के नाम पर राजनीति, पुलवामा शहीद के नाम पर राजनीति से लोगों में नाराजगी है. बीजेपी ने घोषणापत्र के मुताबिक काम नहीं किया.
कौन-कौन से उम्मीदवार मैदान में?
गोरखपुर में इस बार मुख्य मुकाबला एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन के प्रत्याशी राम भुआल निषाद, बीजेपी से रवि किशन और कांग्रेस उम्मीदवार मधुसूदन त्रिपाठी के बीच माना जा रहा है.
19 मई को यहां वोटिंग होगी.
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