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चौपाल: आजमगढ़ के लोग बोले, चौकीदार नहीं रोजगार चाहिए

आजमगढ़ के लोगों ने पूछा, जब चुनाव भारत की राजनीतिक पार्टियां लड़ रही हैं, तो फिर चुनाव राष्ट्रवाद पर कैसे हो गया?”

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वीडियो एडिटर- विशाल कुमार

प्रोड्यूसर- वैभव पलनीटकर

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“क्या भारत के 69% लोग देशद्रोही हैं? इस देश में चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कैसे हो सकता है? क्या ये चुनाव पाकिस्तान के साथ हो रहा है? क्या पाकिस्तान भारत के लोकसभा चुनाव में अपने कैंडिडेट उतार रहा है? जब ये चुनाव भारत की राजनीतिक पार्टियां और आम लोग लड़ रहे हैं, तो ये चुनाव राष्ट्रवाद के नाम पर कैसे हो सकता है?” ये बातें आजमगढ़ के रहने वाले लॉयर विनोद यादव ने क्विंट की चौपाल में कही.

दरअसल 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए क्विंट की चुनावी यात्रा पहुंची यूपी के शहर आजमगढ़. इसी दौरान क्विंट ने जनता की राय जानने के लिए आजमगढ़ रेलवे स्टेशन के बाहर अपनी चौपाल लगाई.

क्विंट की चौपाल में हमने जानने की कोशिश की कि लोकसभा चुनाव 2019 में आजमगढ़ के लोगों के क्या हैं मुद्दे? अखिलेश यादव Vs दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' कौन करेगा आजमगढ़ के दिलों पर राज?

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बता दें कि आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं. अखिलेश के सामने हैं भोजपुरी स्टार और बीजेपी के दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’. इससे पहले 2014 में इस सीट से अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव जीते थे. 

आजमगढ़ में नहीं काम आती है किसी की लहर

आजमगढ़ की जनता पर किसी भी पार्टी या नेता का लहर काम नहीं आता है . चाहे 2014 में मोदी लहर हो या 1978 में कांग्रेस विरोधी लहर या फिर 1992 के बाद राम मंदिर का मुद्दा. 2014 में जब देश में मोदी लहर की बात हो रही थी तब यहां की जनता ने मुलायम सिंह यादव को चुना था. 1978 में देश में कांग्रेस के खिलाफ लहर थी तब भी यहां कांग्रेस की मोहसिना किदवई को जीत मिली थी.

आजमगढ़ के रहने वाले रूपेश बताते हैं कि यहां के लोगों के लिए धर्म या कोई नेता नहीं, बल्कि आपसी भाईचारा और शांति ज्यादा महत्व रखती है. यहां लोग उसी को चुनते हैं जो समाज को साथ लेकर चल सके.

राष्ट्रवाद का मुद्दा करेगा काम या स्थानीय दिक्कतों पर पड़ेंगे वोट?

पिछले कुछ दिनों से देश में राष्ट्रवाद भी मुद्दा बनता जा रहा है, ऐसे में जब हमने इस सवाल का जवाब जानना चाहा, तो चौपाल में मौजूद दिनानाथ सिंह का कहना था कि इस चुनाव में बीजेपी का कोई भी उम्मीदवार जीतेगा तो वो पीएम मोदी के नाम पर.

निरहुआ ने ऐसा कुछ किया नहीं है लेकिन फिर भी उन्हें मोदी जी के नाम पर वोट पड़ेगा. ये चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर हो रहा है.

दिनानाथ सिंह के इसी बात पर चौपाल में मौजूद विजय यादव ने नाराजगी जाहिर करते हिए कहा कि क्या इस देश में जो बीजेपी के खिलाफ वो देशद्रोही है? कभी राष्ट्रवाद तो कभी चौकीदार के नाम पर वोट मांगा जा रहा है, लेकिन कोई रोजगार पर बात नहीं कर रहा है. ये चुनाव पाकिस्तान नहीं लड़ रहा है, ये इस देश की जनता और इसी देश की पार्टियां लड़ रही हैं, अगर ऐसे में अगर कोई राष्ट्रवाद के नाम पर वोट मांगता है तो उससे हमारा बस इतना ही सवाल है कि क्या 2014 में बीजेपी को वोट नहीं देने वाले 69% लोग देशद्रोही हैं?

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