वीडियो एडिटर- वरुण /आशुतोष
कैमरा- शिव कुमार मौर्य
वो करे तो 'ठगबंधन' हम करे तो जय गठबंधन. अरे वाह पीएम मोदी की तरह मैं भी तुकबंदी सीख गया. भई वाह. विपक्षी पार्टियों का कोइलिशन महामिलावट है लेकिन बीजेपी करे तो यह जीतने की स्ट्रेटजी.
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ 'पवित्र' गठबंधन कर लिया है. यही नहीं तमिलनाडु में बीजेपी और AIADMK के बीच सीटों पर समझौता हो गया है. देश के विकास की सेहत के लिए जिस महागठबंधन को बीजेपी हानिकारक बता रही थी, वो अब खुद जब गठबंधन के बंधन का सहारा ले रही है तो देश तो पूछेगा ही जनाब ऐसे कैसे?
पीएम मोदी ने संसद से लेकर चुनावी भाषणों में एक नहीं कई बार विपक्षी पार्टियों के गठबंधन को निशाने पर लिया है. चाहे ममता बनर्जी की कोलकाता रैली में विपक्ष का जमावड़ा हो या बीएसपी-एसपी का यूपी में मिलन. विपक्ष के अलायंस की चर्चा भी चल जाए तो पीएम मोदी उसे कभी महामिलावट तो कभी देश को बीमार करने वाली बीमारी कहने से नहीं चूकते हैं. खुद पढ़ लीजिए विपक्ष के गठबंधन पर क्या कहते हैं पीएम.
देश की जनता ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनी है और देश अनुभव करता है कि जब मिलावटी सरकार होती है तब क्या हाल होता है.. और अब तो महामिलावट आने वाला है.. महामिलावट यहां पहुंचने वाले नहीं हैं..ये महा मिलावट का हाल देखो.पीएम मोदी
अब ये सुनने के बाद सवाल उठता है कि क्या बीजेपी इस चुनावी जंग में सबसे अकेले ही लड़ रही है? क्या इसबार बीजेपी 11 vs ऑल पार्टी मैच है? बिल्कुल ही नहीं. शुरुआत करते हैं महाराष्ट्र से.
महाराष्ट्र में क्या बीजेपी अकेली है?
एक दूसरे पर सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली बीजेपी ने महाराष्ट्र में गले लगकर शिवसेना के साथ गठबंधन का ऐलान किया.
महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में बीजेपी 25 पर तो शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जबकि विधानसभा की 288 सीटों पर दूसरी पार्टियों का हिस्सा निकालकर बीजेपी और शिवसेना आधी-आधी सीटों पर लड़ेगी.
मतलब कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के सामने यहां बीजेपी-शिवसेना साथ होंगे. तो अकेले मैच खेलने की बीजेपी की बात तो यहां नो बॉल हो गया.
तमिलनाडु में बीजेपी की टीम
तमिलनाडु में भी बीजेपी एआइएडीएमके और पट्टाली मक्कल कत्ची (पीएमके) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने जा रही है. समझौते के तहत तमिलनाडु और पुडुचेरी को मिलाकर लोकसभा की कुल 40 सीटों पर बीजेपी 5 और पीएमके 7 सीटों पर लड़ेगी. मतलब यहां बीजेपी एंड टीम का मुकाबला कांग्रेस और डीएमके गठबंधन से होगा.
बिहार में क्या ‘BJP is Alone’?
बिहार को कैसे भूल सकते हैं, जहां गठबंधन के कंधे पर चढ़कर ही बीजेपी सत्ता की कुर्सी तक पहुंची है.
बिहार की 40 लोकसभा सीट के लिए बीजेपी, जेडीयू और लोकजनशक्ति पार्टी साथ हैं. बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, वहीं रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी 6 सीटों पर अपने कैंडिडेट खड़ा करेगी.
मतलब कांग्रेस और आरजेडी के सामने पीएम मोदी इज नॉट अलोन. उनके पास भी अपनी बड़ी टीम है.
पंजाब में कौन किसके साथ?
पंजाब में शिरोमणि अकाली दल मोदी सरकार के साथ खड़ा है. यहां उल्टा कांग्रेस अकेले है, बल्कि बीजेपी गठबंधन के साथ. इस बार लड़ाई कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बीजेपी-अकाली दल गठबंधन के बीच है. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी-अकाली दल गठबंधन ने एक साथ मिलकर पंजाब में 6 सीटें हासिल की थी. मतलब यहां भी पीएम मोदी की ‘हम अकेले हैं’ वाली कहानी सही नहीं बैठती है.
ये भी सच है कि लोकसभा की 142 सीटों पर बीजेपी गठबंधन में है. तो क्या ये सारी सीटें मिलावटी हैं. इतना ही नहीं नॉर्थ ईस्ट की 25 और केरल की 20 सीटों पर बीजेपी बहुत हद तक सहयोगियों के भरोसे ही है. टोटल सीट्स हो गए 187.
इसके अलावा यूपी में अपना दल और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी जैसे छोटे-छोटे सहयोगी भी बीजेपी के साथ हैं. इसके अलावा तकरीबन हर राज्यों में बीजेपी की बी टीम यानी वोट कटुआ पार्टियों की बड़ी फौज है-- बीजेपी की टीम में आधे प्लेयर उसी तरह से मिलावटी हैं जैसे वो दूसरे पर आरोप लगा रही है.
आधा दर्जन सीटों पर BJP कांग्रेस में डायरेक्ट फाइट
'अकेले हम अकेले तुम' की बात करें तो करीब देश में आधा दर्जन राज्य ऐसे हैं, जहां बीजेपी और कांग्रेस बिना किसी को साथ लिए आमने सामने हैं. इनमें राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, शामिल हैं.
दिल्ली-हरियाणा में ट्राइएंगुलर है मामला
इसके अलावा 7 सीटों वाली दिल्ली लोकसभा के लिए केजरीवाल की आप, कांग्रेस और बीजेपी में ट्राइएंगुलर फाइट है. 10 लोकसभा सीटों वाली हरियाणा लोकसभा में भी चौटाला ब्रदर्स, कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे से दंगल करेंगे.
35 से ज्यादा दल BJP की NDA के साथ
यही नहीं बीजेपी की नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स (एनडीए) में करीब 35 से ज्यादा दल शामिल हैं, भले ही वो सब चुनाव ना लड़ते हो, लेकिन बीजेपी के लिए बूंद बूंद कर तालाब भरने का काम तो करते ही हैं.
इन सब बातों को सुनने के बाद जनता इस नतीजे पर पहुंची है कि आगर महामिलावट जीत की आहट है, तो फिर ये कॉन्फिडेंस है या घबराहट है. अरे ये तो फिर तुकबंदी हो गई. खैर जो भी हो इस वीडियो को देखने के बाद जनता महामिलवाट या ठगबंधन जैसे शब्द सुनेगी तो पूछेगी जरूर जनाब ऐसे कैसे?
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