ADVERTISEMENTREMOVE AD

तो मुकुल-हिमंता को ‘BJP में आओ,पवित्र हो जाओ स्कीम’ का मिला फायदा?

CBI VS CBI की अपार सफलता के बाद अब ‘CBI VS ममता दीदी की पुलिस’ शो चल रहा है.

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर- अभीषेक शर्मा

क्या आपने 'फेयर एंड लवली योजना' का नाम सुना है? मतलब गोरेपन की गारंटी वाली स्कीम, कुछ ऐसी ही स्कीम है पवित्रता की गारंटी स्कीम. मतलब बीजेपी में आओ, पवित्र हो जाओ स्कीम. ये स्कीम आज कल फिर चर्चा में है.

पश्चिम बंगाल में शारदा चिट फंड स्कैम की जांच को लेकर कोलकाता पुलिस और सीएम ममता बनर्जी सीबीआई से भिड़ गईं. बीजेपी ने ममता बनर्जी को शारदा चिट फंड स्कैम का गुनहगार मानते हुए भ्रष्ट होने का लेबल चिपका दिया. लेकिन बीजेपी के पास इस बात का कोई सोलिड जवाब नहीं है कि इसी घोटाले के आरोपी और बीजेपी नेता मुकुल रॉय दूध के धुले कैसे हो गए? कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आने के बाद शारदा स्कैम के एक और आरोपी हिमंता बिस्वा शर्मा को पवित्रता का सर्टीफिकेट कैसे मिल गया? ऐसे में लोग तो पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?

CBI VS CBI की अपार सफलता के बाद अब ‘CBI VS ममता दीदी की पुलिस’ शो

जी हां सीबीआई VS सीबीआई की अपार सफलता के बाद अब ‘सीबीआई VS ममता दीदी की पुलिस’ शो हाउसफुल चल रहा है.. चार साल से बेखबर सीबीआई 3 अप्रैल 2019 को शारदा चिट फंड स्कैम मामले में कोलकाता पुलिस कमिश्नर से पूछताछ करने का मन बनाती है. फिर मामला इतना बढ़ता है कि ममता बनर्जी धरने पर और सीबीआई कोर्ट में.

मुकुल रॉय और हिमंता बिस्वा सर्मा पर बीजेपी की खामोशी?

ये तो हुई बात सीबीआई और ममता बनर्जी के बीच की लड़ाई की. लेकिन अब सवाल उठता है कि बंगाल के जिन घोटालों के नाम पर बिना कोर्ट के फैसले के बीजेपी ममता बनर्जी को गुनहगार घोषित कर देती है उन्हीं घोटालों के आरोपी मुकुल रॉय और हिमंता बिस्वा सर्मा बीजेपी में आते ही ईमानदारी की मिसाल कैसे बन जाते हैं?

शारदा केस में टीएमसी सांसद कुणाल घोस और ममता बनर्जी के करीबी मदन मित्रा की गिरफ्तारी के मुद्दे तो बीजेपी को खूब भाते हैं, लेकिन जब शारदा केस के दूसरे आरोपी नेता बीजेपी में आते हैं तो वो हो जाते हैं पाक साफ. मतलब जो कल तक था विलेन वो अब बन चुका है सर्टिफाइड ईमानदार.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुकुल रॉय जब ममता के साथ थे...

मुकुल रॉय की कहानी भी बड़ी दिलचस्प हैं. वो तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य और ममता बनर्जी के बाद टीएमसी के ताकतवर नेताओं में से एक थे. यही नहीं जब टीएमसी यूपीए सरकार में शामिल हुई तो ममता बनर्जी ने मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनवाया. लेकिन साल 2013 में चिट फंड स्कैम की पोल खुलनी शुरू हुई. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में मामला सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई ने 2015 के जनवरी महीने में मुकुल रॉय से पूछताछ की और मुकुल रॉय को शारदा चिट फंड स्कैम में आरोपी बनाया गया.

लेकिन मुकुल रॉय के सब गुनाह जांच से पहले ही गुम हो गए. ना खायेंगे ना खाने देंगे वाली बीजेपी ने रॉय को 3 नवंबर, 2017 को पार्टी में शामिल कर लिया और मुकुल राय को शायद क्वालिटी कंट्रोल का सर्टिफिकेट मिल गया. एक वो दिन था और एक आज का दिन है जो सीबीआई ने मुकुल रॉय से एक बार भी पूछताछ नहीं की और अगर की भी होगी तो वो खबर सुर्खी नहीं बनी.

हिमंता बिस्वा शर्मा को भी मिला पवित्रता का सर्टिफिकेट

अब बात हिमंत बिस्वा शर्मा की, जो कभी कांग्रेस में हुआ करते थे. जनाब का नाम भी शारदा चिट फंड स्कैम से जुड़ा. दरअसल जांच के दौरान शारदा ग्रुप के अध्यक्ष सुदीप्त सेन ने कहा था कि उनकी कंपनी असम कांग्रेस के नेता हिमंता बिस्व शर्मा को हर महीने 20 लाख रुपये दिया करती थी. बस फिर क्या था सीबीआई ने 26 नवंबर 2014 को पहली बार उनसे पूछताछ की. लेकिन असम विधानसभा चुनाव के पहले  28 अगस्त 2015 को हिमंत ने कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए. यानी बिस्वा ने भी गंगा में डुबकी लगा ली.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस केस में सीबीआई ने हिमंता के खिलाफ कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की. न ही अब तक पूछताछ की खबर आई. फिलहाल हिमंता असम सरकार में मंत्री हैं और बीजेपी की नॉर्थ-ईस्ट पॉलिटिक्स के सर्वेसर्वा भी.

यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने शारदा चिट फंड स्कैम की जांच सीबीआई को पांच साल पहले सौंपी थी. लेकिन 5 साल में ना जांच आगे बढ़ी ना चार्जशीट दाखिल हुई और ना ही सीबीआई ने कोर्ट में ये अर्जी लगाई कि साहब बीजेपी को छोड़ देश में कोई भी हमें सहयोग करने को तैयार नहीं है.

अब जब दरवाजे पर टकटकी लगाए चुनाव के वक्त जांच एजेंसियों का हंटर बीजेपी विरोधियों पर चलेगा तो देश तो पूछेगा ही जनाब ऐसे कैसे?

ये भी देखें- देश की राजनीति में नया चैप्टर जोड़ेगी ममता की ये सियासत?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×