वीडियो एडिटर : पूर्णेंदु प्रीतम
कैमरा : शिव कुमार मौर्या
सलमान खान का एक गाना है- सब करें तो रासलीला, मैं करुं तो कैरेक्टर ढीला. आजकल ये गाना अपने शैरी पा जी, यानी नवजोत सिंह सिद्धू गा रहे हैं. और तुर्रा ये कि वो गाने के बाद ये भी नहीं कह पा रहे कि- गुरु.. ठोको ताली.
कथा जोर गरम है कि बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में गए पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में जाकर देश की नाक कटा दी. चलो, जनाब गए तो गए लेकिन पाकिस्तान आर्मी के चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा के गले लगाने और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके के राष्ट्रपति के बगल में बैठने की क्या जरूरत थी?
अब देशभक्ति के इस सवाल पर बीजेपी को तो सख्ती दिखानी ही थी. लेकिन बीजेपी तो बीजेपी, पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी सिद्धू और बाजवा की झप्पी को लेकर लाल झंडा उठा लिया. कहा कि सरहद पर हर रोज हमारे जवान शहीद हो रहे हैं और उसके जिम्मेदार और कोई बल्कि खुद जनरल बाजवा हैं जो पाकिस्तानी रेंजरों को गोली चलाने का ऑर्डर देते हैं. यानी सिद्धू ने हमारे जवानों के हत्यारे को गले लगा लिया.
हैशटेग का हमला #$*&..@%
बस फिर क्या था, हमारे क्राइम-टाइम यो... माफ कीजिएगा, प्राइम-टाइम योद्धाओं ने सिद्धू के खिलाफ युद्ध का एलान कर दिया.उधर अपने मैदान-ए-जंग उर्फ ट्विटर में तैनात ट्रोल आर्मी के ‘राष्ट्रवादी’ जवानों ने तो शब्दों की तोप का मुंह ही सिद्धू के खिलाफ खोल दिया. लिखा- सिद्धू को शर्म आनी चाहिए.
#SidhuHugsBajwa, #ShameOnSidhu, #थू_सिद्धू_थू- जैसे हैशटेग ट्रेंड करने लगे. बीजेपी में लंबा वक्त बिता चुके सिद्धू अब कांग्रेस में हैं तो कांग्रेस पार्टी भला कैसे बचती. हैशटेग का हमला हुआ- #CongressWithTerrorists
पीएम मोदी भी गए थे पाकिस्तान
लेकिन अब आते हैं जरा सिक्के के दूसरे पहलू पर. सिद्धू एक पॉलिटीशियन हैं. पूर्व क्रिकेटर हैं और वो इमरान खान के साथ क्रिकेट खेल चुके हैं. तो इमरान के न्यौते पर पाकिस्तान जाकर उन्होंने ऐसा कौन सा गुनाह कर दिया?
रही बात पाकिस्तानी फौज के जनरल बाजवा को गले लगाने की तो 25 दिसबंर 2015 की तस्वीरों को याद कीजिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी तीन देशों की यात्रा से लौटते वक्त अचानक, बिना किसी कार्यक्रम और बिना किसी बुलावे के अचानक लाहौर जा पहुंचे. स्वागत में उस वक्त के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मोदी जी को गले लगा लिया. क्या उस वक्त सरहद पर पाकिस्तानी सैनिक हिंदुस्तानी सैनिकों से दोस्ती की कसमें खा रहे थे? अगर नहीं तो वो झप्पी कूटनीति और सिद्धू की झप्पी देशद्रोह कैसे?
विवाद पर सिद्धू वाणी: मैं बुलाने पर गया था, PM मोदी तो बगैर बुलाए चले गए
और छोड़िए. 19 फरवरी, 1999 की इन तस्वीरों को देखिए. बस में बैठकर उस वक्त के प्रधानंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान गए थे और नवाज शरीफ ने यूं उनका स्वागत किया था. वही नवाज शरीफ जिन्होंने कुछ ही महीने बाद करगिल युद्ध की शक्ल में भारत की पीठ में छुरा घोंप दिया.
तो क्या मोदी जी और अटल जी के लिए भी ‘दुश्मन’ से हाथ मिलाने के जुर्म में अदालत-ए-ट्विटर पर किसी सजा का ऐलान कर दिया जाना चाहिए?
जी नहीं, सजा सिद्धू या इन नेताओं को नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर पगलाए उन ट्रोल्स को मिलनी चाहिए जो राष्ट्रवाद के नशे में किसी को भी गलियाते-लतियाते चलते हैं.
वैसे सवाल तो आप लोगों से भी होना चाहिए, जो ये समझते ही नहीं कि ये पूरा प्रोपेगैंडा किसी एजेंडा को बढ़ाने से ज्यादा आपकी सोच को कुंद करने और उस पर पहरा बिठाने के लिए होता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)