वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह
वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया
सरकार के खिलाफ लगातार कार्टून के जरिए अपनी बात कहने वाले मशहूर कार्टूनिस्ट मंजुल (Manjul) को 4 जून 2021 को ट्विटर से नोटिस आया. Twitter Notice में कहा गया कि उनका पोस्ट भारतीय कानून का उल्लंघन करता है. इस पूरे मामले पर क्विंट से खास बातचीत में मंजुल कहते हैं कि, ‘सरकार उन्हें खत्म करना चाहती है जो उनकी आलोचना करते हैं’.
चौंकाने वाला था ट्विटर का नोटिस- मंजुल
मंजुल का कहना है कि जब उन्हें ट्विटर से नोटिस आया तो वो चौंक गए थे, उन्हें शॉक लगा था. मंजुल कई सालों से सरकार और उनकी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाते आए हैं. लेकिन ये पहली बार है जब उन्हें ऐसा कुछ नोटिस आया है जिसमें ये कहा गया कि वो भारतीय कानून का उल्लंघन कर रहे हैं.
मुझे झटका लगा जैसे ही मैंने देखा कि मुझे ट्विटर से नोटिस मिला है, मेरी जिंदगी में ऐसे नोटिस कभी नहीं आए, अगर ऐसा कोई लेटेर या मेल आता है तो ये चीजें मुझे परेशान करने वाली होती हैं
मंजुल ने क्विंट को बताया है कि उनके जैसे कई और कार्टूनिस्ट पर पिछले कुछ सालों से ये दबाव बनाया जा रहा है कि कुछ लोगों के कार्टून नहीं बनाने हैं.
ये जाहिर है कि कोई भी सरकार खुद की आलोचना को पसंद नहीं करती है, ये हमेशा से रहा है. लेकिन उस आलोचना को दबाने का मामला बहुत कम देखने को मिला है. मैंने अपने करियर में इस तरह की चीजें बहुत कम देखी हैं. लेकिन अब आवाजों को लगातार दबाया जा रहा है.
अब आलोचनाओं को जगह नहीं दे रहा मीडिया
क्विंट से खास बातचीत में मंजुल बताते हैं कि इससे पहले की सरकार को लेकर भी लोगों में गुस्सा था, लगातार आलोचना हो रही थी, साथ ही मीडिया भी उन आलोचनाओं को जगह दे रहा था, लोगों तक लगातार पहुंचा रहा था. लेकिन अब ये बहुत कम हो रहा है, जो भी आलोचना देखने को मिलती है वो सिर्फ डिजिटल मीडिया पर देखने को मिल रही हैं. मंजुल आगे कहते हैं-
सरकार की नीतियों के खिलाफ लोग लगातार आवाज उठा रहे हैं लेकिन ये सिर्फ डिजिटल मीडिया में देखने को मिल रहा है, समाज में आज भी ऐसे लोग हैं, ऐसा तबका है जिन्हें मालूम ही नहीं है कि नाए कानून क्या हैं, नीतियां क्या हैं और उन्हें ये कैसे प्रभावित कर सकती हैं. आज भी ‘सब ठीक है’ वाला माहौल बनाया जा रहा है
रचनात्मक तरीके से विरोध दर्ज कैसे किया जा सकता है? इस सवाल पर मंजुल कहते हैं कि कला तभी सुरक्षित रहती है जब समाज उसे रखना चाहता है, अगर समाज भी आंखे बंद कर लेगा तो कोई भी कला जीवित नहीं रह सकती.
मंजुल कहते हैं कि, ‘सरकार और उनकी नीतियों का विरोध करने के लिए कई तरह के रास्ते हो सकते हैं, व्यंग लिखा जाता है, व्यंगात्मक कार्टून भी बनाए जाते हैं, लेकिन सरकार को इसमें दखल नहीं देना चाहिए, महामारी के दौर में सरकार लोगों की आवाज दबाने में लगी है, और कुछ लोग जो सरकार को बता रहे हैं कि आप इस जगह गलत है, या आपने वहां झूठ बोला तो सरकार उसी को खत्म करने में लगी है. ऐसा नहीं होना चाहिए.
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