आपने नाम सुना है- 'National Tension Agency', सॉरी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी का. हां, वही जो एग्जाम कम कराती है और टेंशन ज्यादा देती है. जब नवंबर 2017 में एनटीए को कैबिनेट से मंजूरी मिली तब इसे एतिहासिक फैसला बताया गया. शिक्षा सुधार कहा गया. लेकिन 5 साल बाद यही National Testing Agency 'राष्ट्रीय तनाव एजेंसी' बन गई है. डॉक्टर बनने के लिए नीट एग्जाम हो या फिर पीएचडी के लिए नेट, सब में NTA है लेट. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
NTA के जरिए होने वाले एग्जाम में गड़बड़ी की लिस्ट लंबी होती जा रही है. कभी यूजीसी की नेशलन एलिजिबिलिटी टेस्ट पोस्टपोन हो रहा है तो कभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के सभी अंडर ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए होने वाले कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) रद्द कर दिए जा रहे हैं.
जिस एनटीए का गठन देश की शैक्षणिक प्रणाली में बड़े सुधार के मकसद से किया गया वो खुद सुधार की मांग कर रहा है.
नाम न छापने की शर्त पर रायबरेली के रहने वाले एक छात्र ने बताया कि कैसे उसे कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के सेंटर की जानकारी आखिरी समय पर मिली. यश (बदला हुआ नाम) का कहना है,
“पहले, मुझे रायबरेली के सेंटर पर 30 अगस्त को या लखनऊ में 14 और 18 अगस्त को परीक्षा देने का विकल्प दिया गया था. मैंने रायबरेली विकल्प को प्राथमिकता दी क्योंकि यह मेरे घर के करीब है. लेकिन एग्जाम की सुबह एडमिट कार्ड देखकर मैं हैरान रह गया. मैं इतने कम समय में लखनऊ की यात्रा कैसे कर सकता था? अब मुझे चिंता है कि कहीं मैं दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) या बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पढ़ने के अपने सपने को साकार न कर पाऊं
जिस दिन यश का एग्जाम था उसी दिन उसे एडमिट कार्ड मिला. एग्जाम सेंटर उसके घर से 100 कीलोमीटर दूर. अब आप ही बताइए क्या एनटीए ने छात्रों के लिए बुलेट ट्रेन का इंतजाम कर रखा है जो इस तरह से मनमाने ढंग से सेंटर दिए जा रहे हैं?
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी
साल 2017-18 का बजट पेश करते हुए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के गठन की घोषणा की थी. फिर पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने एनटीए के गठन की मंजूरी दे दी. मतलब हाइयर स्टडीज के लिए अहम एंट्रेस एग्जाम करवाने की जिम्मेदारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को दी गई.
जैसे इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (JEE-Mains), मेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET), मैनेजमेंट कोर्स के लिए CMAT, फॉर्मेसी कोर्स के लिए GPAT, यूनिवर्सिटी में टीचिंग और फेलोशिप के लिए यूजीसी नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी NET, कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी करती है.
अब डॉक्टर से लेकर इंजीनियर, प्रोफेसर सब एनटीए के एग्जाम के सहारे बनते हैं, लेकिन एनटीए लाखों छात्रों को बेसहारा छोड़ रहा है. आपको एनटीए के करामात से एक-एक कर मिलवाते हैं.
1. कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट - अंडर ग्रेजुएट में टेक्निकल एरर, एग्जाम रद्द
17 अगस्त 2022 को यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यानी यूजीसी ने बताया कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट-यूजी के चौथे फेज के एग्जाम 13 सेंटर्स पर "unavoidable technical reasons" से रद्द कर दिया गया. जिसकी वजह से 1,45,885 उम्मीदवारों में से कुल 8693 कैंडिडेट प्रभावित हुए.
अब शायद कुछ लोग कहेंगे कि टेक्निकल गड़बड़ी है, हो जाता है. लेकिन सच तो ये है कि ये पहली बार नहीं हुआ, बल्कि वो गाना है न अब तो आदत सी है मुझको ऐसे जीने में.... हां, एनटीए को भी आदत हो गई है ऐसी कहानी बनाने में.
इससे पहले भी तकनीकी गड़बड़ियों के कारण परीक्षा को कई बार इसी तरह स्थगित किया गया था. CUET के दूसरे फेज में भी इसी तरह टेक्निकल गड़बड़ी का नाम लेकर कई सेंटर्स पर एग्जाम कैंसिल किया गया था.
5 अगस्त 2022 को दिल्ली के एक सेंटर पर छात्रों को Sociology की परीक्षा में Psychology के सवाल पूछे गए.
2. UGC-NET के दूसरे फेज की परीक्षा रद्द
ये तो टेक्निकल एरर वाली कहानी थी, अब तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख वाली कहानी भी सुन लीजिए.
एनटीए को असिस्टेंट प्रोफेसर और 'जूनियर रिसर्च फेलोशिप' के लिए यूजीसी-नेट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट आयोजित कराने का काम भी सौंपा गया है. जो एग्जाम जून में होना था वो बार-बार पोस्टपोन होता जा रहा है.
12 अगस्त 2022 से होने वाली परीक्षा के बारे में 8 अगस्त को बताया जाता है कि सेकंड फेज की परीक्षा रद्द कर दी गई है. अब ये एग्जाम 20 से 30 सितंबर के बीच आयोजित की जाएगी.
यूजीसी-नेट हर साल दो बार आयोजित किया जाता है. लेकिन कोरोना का हवाला देकर दिसंबर 2021 सेशन स्थगित हो गया. फिर दिसंबर 2021 और जून 2022 सेशन को मर्ज कर दिया गया. थोड़ा और पीछे चलिए, इससे पहले एनटीए ने यूजीसी नेट परीक्षा मई 2021 में होनी थी, लेकिन वो भी कोरोना की भेट चढ़ गई.
आप खुद सोचिए जिन छात्रों का आखिरी अटेंम्ट होगा उनके साथ क्या ये इंसाफ है? एग्जाम में बार-बार देरी से क्या छात्र साल दर साल पीछे नहीं हो रहे हैं? और तो और जो एग्जाम साल में दो बार होता था वो एक बार हो रहा है.
3. एक और एग्जाम देखिए- JEE mains
इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई मेन्स) की तारीख भी कई बार बदली गई.
कहीं टेक्निकल एरर है, तो कहीं, एग्जाम रद्द किया जा रहा है, कभी सेंटर आखिरी समय में बदल दिया जा रहा है तो कहीं एग्जाम किसी और सब्जेक्ट का है और पेपर किसी और सब्जेक्ट का मिल रहा है.
देश में चाहे कोरोना आए, लाखों लोग मर जाएं, लेकिन फिर भी चुनाव होता है, रैलियां होती हैं, डिजिटल कैंपेन में करोड़ों रुपए फूंक दिए जाते हैं, लेकिन बस कुछ नहीं होता है तो सही समय पर और सही से एग्जाम. सवाल है कि क्या शिक्षा मंत्रालय इन सबसे बेखबर है? क्यों NTA बार-बार एक ही तरह की गलती कर रहा है? क्यों लाखों छात्रों के भविष्य की टेंशन सरकारों को नहीं है? अगर अभी भी NTA, सब चलता है मोड में काम करेगा तो हम पूछेंगे जरूर, जनाब ऐसे कैसे?
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