Agnipath Recruitment Scheme को लॉन्च करते वक्त जाहिर सी बात है कि सरकार को इतनी हिंसा की आशंका नहीं होगी. बिहार में लगातार दो दिन से ट्रेनें जलाई जा रही हैं..यूपी में भी बवाल हो रहा है, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान...कई जगह हिंसा हुई है. लेकिन छात्र क्यों उबाल पर हैं? किस बात पर हैं खफा? सात कारण समझ में आ रहे हैं.
अग्निपथ स्कीम (Agnipath Recruitment Scheme) के तहत 'अग्निवीरों' की भर्ती चार साल के लिए सशस्त्र बलों में होगी. इसमें साढ़े 17 से 21 साल (अधिकतम उम्र सीमा कल रात 21 साल से बढ़ा कर 23 साल कर दिया गया) के बीच के युवा ही अप्लाई कर सकते हैं. वहीं 4 साल के बाद 75 फीसदी अग्निवीरों को घर भेज दिया जाएगा, बाकी बचे 25 फीसदी को स्थायी नौकरी मिलेगी. हालांकि इसके लिए भी अलग से नियम होंगे.
विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि सेना में भर्ती के लिए वो सालों मेहनत करते हैं. इतनी मेहनत के बाद सिर्फ 4 साल की ही नौकरी? क्या मतलब है इसका?
छात्रों की शिकायत है कि सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भी कम से कम 10 से 12 साल की सर्विस होती है. फिर आंतरिक भर्तियों इन्हें मौका भी मिलता है. लेकिन यहां सिर्फ 25 फीसदी को ही मौके की बात कही जा रही है.
छात्र परेशान हैं कि सिर्फ 4 साल की नौकरी के बाद उनके पास कोई प्रोफेशनल डिग्री नहीं होगी तो उन्हें कैसी नौकरियां मिलेंगी?
छात्र इस बात से भी खफा हैं कि अग्निवीरों को न तो पेंशन मिलेगी और न ही ग्रेच्युटी.
कोविड की वजह से पिछले 2 सालों में भर्तियां नहीं हुईं. ऐसे में जिनकी उम्र निकल गई वो अग्निपथ स्कीम में भी पीछे छूट जाएंगे. छात्रों की मांग कि सरकार को उम्र में छूट देनी चाहिए थी. हालांकि सरकार ने अब पहली भर्ती के लिए दो साल उम्र की छूट दी है.
छात्रों का सवाल ये भी है कि जब सवा लाख से ज्यादा पद खाली हैं, तो ऐसे में सिर्फ 46000 पद निकालने का क्या मतलब है?
सरकारी नौकरी के इंतजार में मेहनत कर रहे छात्रों को इस बात का भी शक है कि सरकार इस तरह की अस्थाई नौकरी देकर सरकारी नौकरी खत्म कर रही है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)