वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को मंगलवार को श्रीनगर एयरपोर्ट से जबरन लौटा दिया गया. वहां क्या हुआ? जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने किस आधार पर उन्हें वापस दिल्ली लौटने को कहा? और कश्मीर पर सरकार के रुख पर उनका क्या कहना है, ये समझने के लिए क्विंट हिंदी ने उनसे खास बातचीत की.
'मुझे बलपूर्वक दिल्ली की फ्लाइट में बिठाया'
यशवंत सिन्हा ने बताया कि जब वो श्रीनगर एयरपोर्ट पर पहुंचे तो पहले उनसे मौखिक कहा गया कि उन्हें एयरपोर्ट से बाहर जाने की इजाजत नहीं. जब उन्होंने लिखित में ये आदेश मांगा तो उन्हें एक ऑर्डर दिया गया, जिसमें लिखा था कि चूंकि इलाके में धारा 144 लागू है, इसलिए बाहर जाने की इजाजत नहीं है. जब यशवंत सिन्हा ने कहा कि ठीक है वो एयरपोर्ट पर ही रुक जाएंगे तो उन्हें दूसरा ऑर्डर दिया गया और कहा गया कि चूंकि ये सैन्य एयरपोर्ट है इसलिए यहां रुकने की भी इजाजत नहीं है.
यशवंत सिन्हा ने बताया कि फिर उन्हें धोखे से डिपार्चर की तरफ ले जाया गया और फिर जबरन दिल्ली की फ्लाइट में बिठाकर वापस भेज दिया गया.
क्या सुप्रीम कोर्ट जाएंगे यशवंत सिन्हा?
इस सवाल के जवाब में यशवंत सिन्हा ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएंगे क्योंकि ये कोई वीजा देने वाली संस्था नहीं है.
देश में लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है और सुप्रीम कोर्ट कोई सख्त कदम नहीं उठा रहा, इस बात से मुझे नाराजगी है. सुप्रीम कोर्ट का ये कहना भी गलत है कि कश्मीर जाने की इजाजत मिलेगी लेकिन कोई राजनीतिक एक्टिविटी न करें.यशवंत सिन्हा, पूर्व वित्त मंत्री
'कश्मीर पर देश-दुनिया को बरगला रही सरकार'
यशवंत सिन्हा ने कहा - 'देश के गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बताया कि एनसी नेता फारूक अब्दुल्ला को नजरबंद नहीं किया गया है, बाद में पता चला कि उन्हें वाकई में हिरासत में लिया गया. सरकार कहती है कि कश्मीर में हालात सामान्य हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल सरकार देश और दुनिया को कश्मीर के मामले पर बरगला रही है. '
आज कश्मीर में जो हो रहा है उसे देखकर भी देश के लोग चुप हैं, लेकिन उन्हें ये भी याद रखना चाहिए कि आज जो कश्मीर में हो रहा है वो कल कहीं भी हो सकता है.यशवंत सिन्हा, पूर्व वित्त मंत्री
इस इंटरव्यू में यशवंत सिन्हा ने ये आशंका भी जताई कि कश्मीर में सरकार और आवाम का संघर्ष अभी लंबा चलेगा. उन्होंने कहा कि आज कश्मीर में सिविल कर्फ्यू है...क्योंकि लोग खुद ही दुकानें नहीं खोल रहे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)