ADVERTISEMENTREMOVE AD

#MeToo पर एक मर्द का दर्द: बंद करो ये अत्याचार!

भारतीय मर्दों के लिए नई आफत बन कर आया है #MeToo

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

ये बहुत गलत हो रहा है. औरतों से हमें ये उम्मीद नहीं थी. इन्होंने सरासर जुल्म कर दिया है. सारे मर्द निशाने पर हैं. आज मैं फंस सकता हूं. तो कल आप फंस सकते हैं. कोई सुरक्षित नहीं है. देश के 65 करोड़ मर्द निशाने पर हैं. इस तरह से तो सारे मर्द बर्बाद हो जाएंगे. क्या मर्द इस देश के नागरिक नहीं हैं? क्या उनका कोई अधिकार नहीं है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जिस औरत को मन किया, वही दस, बीस, तीस साल पुराने मामले को उछाल दे रही है. उनके पास सबूत क्या है? सबूत है, तो वे उस समय पुलिस के पास क्यों नहीं गईं? आज भी वे सोशल मीडिया पर शिकायत कर रही हैं. कोर्ट या पुलिस में नहीं जा रही हैं. ये देश क्या आरोपों के सहारे चलेगा? और फिर हमने किया क्या है?

 भारतीय मर्दों के लिए नई आफत बन कर आया है #MeToo
जिस औरत को मन किया, वही दस, बीस, तीस साल पुराने मामले को उछाल दे रही है
(फोटो: iStock)

जैसे कि आप कॉलेज से निकल कर आईं. मेरे पास काम मांगने. आपको काम चाहिए था. लेकिन मेरा क्या? आपको काम मिल जाएगा और मैं? तो मुझे भी तो कुछ चाहिए. तो मैंने तुम्हारी टांग पर टांग रख ही दी या कंधे पर हाथ रखकर उसे फिसल जाने दिया, तो मैंने कौन सा जुल्म कर दिया? जबर्दस्ती किस कर ही लिया तो क्या? बदले में मैंने तुम्हें नौकरी पर भी तो रख लिया. या अगर तुम नौकरी पर थी, तो नौकरी पर बने रहने की कोई तो कीमत होती है. काम का क्या है, वह तो कोई भी कर लेगा. तुम्हें नौकरी से न निकालने के बदले मैंने तुम्हें पीछे से दबोच लिया, तो क्या उसके लिए मुझे बीस साल बाद बदनामी झेलनी पड़ेगी? ये कैसा न्याय है? फिल्म में तुमको रोल दिया और बदले में रात में तुम्हें घर पर बुला लिया, तो कौन सा अपराध कर दिया मैंने. इसकी तुम शिकायत करोगी?

0

इस देश की सबसे बड़ी समस्या यह है कि औरतों का मन बहुत बढ़ गया है!

मर्दों का यह सचमुच बहुत बुरा समय चल रहा है. वे देश में दूसरे दर्जे के नागरिक बनकर रह गए हैं. कितने तरह के कष्ट हैं उनकी जिंदगी में. पहले सारी नौकरियां मर्दों के पास थीं. कॉलेज और यूनिवर्सिटी की सारी सीटें हमारी थीं. औरतें घर पर रहती थीं. खाना बनाती थीं. बच्चे पैदा करती थीं. पालती थीं और हम जब मन करे और जैसे मन करे, वैसे हम औरतों से सेक्स करते थे. इसमें औरत की मर्जी की क्या बात है?

औरतों को आजादी नहीं देनी चाहिए?

भारतीय कानून में मैरिटल रेप का जिक्र तक नहीं है. पति अगर पत्नी से रोज जबर्दस्ती सेक्स करे, तो ये बलात्कार थोड़ी न है. कानून की किताब पढ़ लो. सरकार भी नहीं चाहती कि शादी में रहते हुए जबरन किए गए सेक्स को बलात्कार माना जाए.

सरकार को सही लगता है कि औरतों को ऐसे आरोप लगाने की छूट मिल गई, तो परिवार टूट जाएंगे. औरत नीचे दबी रहेगी, तभी तो परिवार बचेगा, लेकिन इस देश की कुछ औरतों का दिमाग खराब हो गया है. वे पश्चिम के बुरे प्रभाव में हैं. वे चाहती हैं कि पति जब जबर्दस्ती सेक्स करे, तो उसे बलात्कार माना जाए.

ये औरतें भारत की पवित्र विवाह संस्था को बर्बाद करके ही मानेंगी. इनको इतनी आजादी नहीं देनी चाहिए. इनको संविधान में आजादी क्या मिल गई, वे बेलगाम हो गईं.

 भारतीय मर्दों के लिए नई आफत बन कर आया है #MeToo
औरतों को संविधान में आजादी क्या मिल गई, वे बेलगाम हो गईं.
(फोटो: iStock)

एक तो औरतें स्कूल, कॉलेज और नौकरियों में हमारी सीटें ले ले रही हैं और अत्याचार इतना कि हम उन्हें छेड़ भी नहीं सकते. जबर्दस्ती तक नहीं कर सकते. रात में अकेली घूमती औरत तक का बलात्कार इस देश के मर्द नहीं कर सकते. आप समझ सकते हैं कि भारतीय मर्द कितना जुल्म सह रहा है.

मतलब कि अगर कोई सेक्स वर्कर सामने आ जाए, तो भी हम उसका बलात्कार नहीं कर सकते. इन अत्याचारों के खिलाफ भारत के मर्दों को एकजुट होना पड़ेगा, वरना ये जुल्म लगातार बढ़ता जाएगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या समय आ गया है?

#MeToo भारतीय मर्दों के लिए नई आफत बन कर आया है. अभी इसमें पूरे देश में दसेक लोग फंसे हैं. उनमें से भी किसी को भी पुलिस पकड़ नहीं रही है, जबकि औरतों के साथ जबर्दस्ती करना दंडनीय अपराध है. फिर भी कोई गिरफ्तार नहीं हुआ है. लेकिन खतरा 65 करोड़ भारतीय मर्दों पर है. वे कभी भी फंस जाएंगे. उनको #MeToo से डरना चाहिए.

आप देखिए तो सही कि #MeToo की वजह से किसी मर्द की बदनामी हो रही है, तो किसी को फिल्म से हटा दिया जा रहा है. किसी को माफी मांगनी पड़ रही है. आप समझ रहे हैं? क्या समय आ गया है? मर्दों को औरतों से माफी मांगनी पड़ रही है. आप सावधान हो जाइए. आपके साथ भी ये नौबत आ सकती है.

बेचारे मर्द:

 भारतीय मर्दों के लिए नई आफत बन कर आया है #MeToo
#MeToo भारतीय मर्दों के लिए नई आफत बन कर आया है
(फोटो: iStock)

इस देश में बेचारे मर्दों का कोई अधिकार ही नहीं है. वे दहेज के लिए पत्नी पर अत्याचार तक नहीं कर सकते. इसके लिए भी 498 (A) जैसा काला कानून है. पत्नी की दहेज के लिए पिटाई करने और जला देने पर गिरफ्तारी तक हो जा रही है. इतना जुल्म मर्दों पर कब तक होता रहेगा? सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने मर्दों को थोड़ी राहत देने की कोशिश की और कहा कि सिविल सोसायटी के लोगों के लेकर एक कमेटी बनाई जाए और उसकी जांच के बाद ही गिरफ्तारी हो. लेकिन हकीकत यह है कि पूरा देश पुरुष विरोधी है.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने 498 (A) को फिर से पुराने रूप में बहाल कर दिया. अब अगर हम अपनी पत्नी को जलाएंगे या उस पर जुल्म करेंगे, तो हमें गिरफ्तार किया जा सकता है. ये बर्दाश्त के बाहर की बात है.

ये सच है कि हजारों में से एक पुरुष ही कभी इस धारा में गिरफ्तार होता है. लेकिन एक की भी गिरफ्तारी क्यों हो? मर्दों का औरतों पर अत्याचार करने का जो नैसर्गिक अधिकार है, उसे संविधान और कानून बाधित कर रहा है. इसके खिलाफ भारत के 65 करोड़ मर्दों को एकजुट होना चाहिए.

आरोप लगाने वाली महिलाएं खुद ही कैसे चरित्र की हैं?

 भारतीय मर्दों के लिए नई आफत बन कर आया है #MeToo
#MeToo का आरोप लगाने वाली महिलाएं खुद ही कैसे चरित्र की हैं
(फोटो: iStock)

#MeToo का आरोप लगाने वाली महिलाएं खुद ही कैसे चरित्र की हैं, आप जानते हैं. जो औरतें बच्चा पालने और खाना बनाने और पति के लिए सेक्स उपलब्ध कराने के अलावा घर से बाहर आकर काम करती हैं, उनका करेक्टर ठीक नहीं होता. संस्कारी औरतें घर से बाहर अकेली नहीं निकलतीं. और जो निकलती हैं, वैसी औरतों के साथ तो मर्द को छेड़खानी करने का हक है. ये हक हमसे कोई कैसे छीन सकता है?

हम अपने अधिकार के लिए लड़ेंगे. एकजुटता बनाएंगे. हर जगह मेरी तरह सोचने वाले लोग हैं. हम सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया में #MeToo को बदनाम करने का अभियान चलाएंगे. भारतीय मर्द के इस दर्द को शेयर कीजिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें