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किताब विवाद पर सलमान- हिंदू धर्म की प्रशंसा के लिए कोर्ट में घसीटा जा रहा है?

salman khurshid पहली बार पूरे विवाद पर विस्तार से बोले- मेरी किताब में हिंदु-मुस्लिम सद्भाव बढ़ाने पर जोर

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कांग्रेस के सीनियर लीडर और लेखक सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) इन दिनों अपनी किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या : नेशनहुड इन अवर टाइम्स' (Sunrise over Ayodhya : Nationhood in Our Times) को लेकर विवादों में घिरे हुए हैं. उन पर एफआईआर दर्ज कराने से लेकर उनके घरों में आगजनी तक की जा चुकी है. किताब विवाद को लेकर सलमान खुर्शीद ने अपना पक्ष भी रखा है. आइए जानते हैं क्या पूरा विवाद और खुर्शीद का पक्ष...

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पहले जानते हैं आखिर हल्ला किस बात पर मचा है?

सलमान खुर्शीद की नई किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन अवर टाइम्स' के एक हिस्से को लेकर विवाद है जिसमें लिखा है कि "सनातन धर्म और क्लासिकल हिन्दुत्व जो संतों के लिए जाना जाता है, हिंदुत्व के एक असभ्य रूप द्वारा एक तरफ धकेला जा रहा है, सभी मानकों पर हाल के कुछ वर्षों में आईएसआईएस (ISIS) और बोको हराम जैसे समूहों के जिहादी इस्लाम की तरह पॉलिटिकल वर्जन है."

इन्हीं पंक्तियों के लेकर सलमान खुर्शीद पर निशाना साधा जाने लगा. खुर्शीद पर FIR दर्ज कराई गई हैं. नैनीताल स्थित उनके घर पर पत्थबाजी और आगजनी की घटना को भी अंजाम दिया गया. बीजेपी ने सलमान खुर्शीद पर निशाना साधते हुए कहा कि खुर्शीद की इस टिप्पणी से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है.

विवादों के बीच खुर्शीद क्या कह रहे हैं? 

इंडियन एक्सप्रेस में अपने कॉलम के जरिए सलमान खुर्शीद ने लिखा है कि 300 से ज्यादा पृष्ठों वाली इस पूरी पुस्तक में मैंने अयोध्या के फैसले का समर्थन किया और उसका ही पक्ष लिया. कुछ कानूनी सहयोगियों ने इसकी कानूनी यथार्थता पर संदेह भी किया था, लेकिन बावजूद इसके मैं इसमें हिंदू धर्म के दर्शन को स्वीकार किया और उसकी प्रशंसा करते हुए सनातन धर्म के मानवतावादी आयामों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया.

इस पुस्तक में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक सद्भाव को बढ़ाने पर जोर दिया गया है. साथ ही अयोध्या फैसले को लेकर पुरानी कड़वी यादों को भुलाकर आगे साझा भविष्य के अवसर तलाशने की बात की गई है.

लेकिन अफसोस की बात है कि इन सब पर नेशनल मीडिया और सत्ताधारी दल के सदस्यों का ध्यान बहुत कम गया. इन सब बातों को छोड़कर उन्होंने चैप्टर VI के एक वाक्य पर तूल दिया. जिसमें हिंदुत्व और हिंदू धर्म के बीच अंतर को बताया गया है. इसमें लिखा है :- "सनातन धर्म और क्लासिकल हिन्दुत्व जो संतों के लिए जाना जाता है, हिंदुत्व के एक असभ्य रूप द्वारा एक तरफ धकेला जा रहा है, सभी मानकों पर हाल के कुछ वर्षों में आईएसआईएस (ISIS) और बोको हराम जैसे समूहों के जिहादी इस्लाम की तरह पॉलिटिकल वर्जन है."

इसी वाक्य को लेकर मेरे खिलाफ आक्रोश फैला है. आरोप लगाया जा रहा है कि इसमें हिंदुत्व और बोको हराम की तुलना की गई है. इसको लेकर मीडिया द्वारा बार-बार मुझसे सवाल पूछे जा रहे हैं. कुछ सवाल ऐसे भी हैं जिसमें कहा गया कि मैंने हिंदुत्व पर आतंकवादी जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया.

लेकिन जब मैंने उनसे यह कहकर जवाब देता हूं कि "आतंकवादी" शब्द का कहीं भी प्रयोग नहीं किया है तो तुरंत ही वे (मीडिया) इस सवाल में लगाए आरोप वापस ले लेते हैं. धर्म की गलत व्याख्या करने और मानवता को चोट पहुंचाने के मामले में मैंने आईएसआईएस (ISIS) और हिंदुत्व को काफी हद तक समान (similar) बताया था ना कि एक उनको एक जैसा (same) कहा था.

कल्कि धाम में कल्कि महोत्सव के आखिरी दिन मैं वहां विशेष अतिथि के तौर पर शामिल हुआ था. मुझे वहां काशी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य नरेंद्रनंद गिरिजी सरस्वती महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिन्होंने मानव जाति की एकता और धर्म या जाति को हमें विभाजित नहीं करने देने के बारे में विस्तार से बात की उसी मंच से की थी.

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क्या हिंदू धर्म की प्रशंसा करने के लिए कोर्ट में घसीटा जा रहा है? 

खुर्शीद ने लिखा है कि वहां महोत्सव के दौरान मैंने शंकराचार्य के प्रति श्रद्धा व्यक्त की, सनातन धर्म की प्रशंसा की, अयोध्या फैसले का समर्थन किया, सुलह की अपील की लेकिन इन सबके बावजूद इमाम-ए-हिंद के रूप में राम की भूमिका को दोहराने का कोई मलतब नहीं है जब तक कि मैं एक महान धर्म के राजनीतिक दुरुपयोग का समर्थन और समर्पण नहीं करता.

जब मेरे विरोधी किताब पर प्रतिबंध लगाने की बात करते हैं, तो वे भूल जाते हैं कि इस तरह के बैन से उस फैसले पर असर पड़ेगा जो किताब में व्यापक रूप से लिखा गया है. यह हमारे समय की विडंबना हो सकती है या फिर भगवान राम की प्रशंसा करने के लिए मुझे क्रिमिनल कोर्ट में घसीटा जाना चाहिए.

खुर्शीद लिखते हैं कि इन सबके बीच मेरे वरिष्ठ सहयोगी गुलाम नबी आजाद ने शायद अनजाने में आग में घी का काम किया. बुक लॉन्च के कुछ घंटे बाद ही उन्होंने जो बयान दिया उससे मुझे काफी हैरानी हुई. लेकिन दो बातों को ध्यान में रखने की जरूरत है. आजाद ने भी हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में खारिज कर दिया है, हालांकि वह किसी कारण से कहते नहीं हैं.

मुझे “killing me softly with a song” गीत के बोल याद आ रहे हैं. तुलना समानता के बारे में है, समान विशेषताओं के बारे में नहीं. मैं आजाद के उस वीडियों के बारे में बोलने का इच्छुक नहीं हूं जिसमें कुछ साल पहले आजाद ने हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस से की थी. ऐसे में क्या हम डिग्री में असहमत हैं या फिर समय बदल गया है?

मैं हर तरह की बहस के लिए तैयार हूं, लेकिन क्या इसे पार्टी के भीतर नहीं होना चाहिए था, बजाय इसके कि स्वत: संज्ञान लेकर बयान दिया जाए? कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और शीर्ष नेता राहुल गांधी द्वारा एक स्पष्ट राय व्यक्त की गई है, उन्होंने कहा था कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व दो अलग-अलग चीजें हैं. सच्चाई यह है कि हमने हिंदुत्व की ताकतों को बहुत लंबे समय तक अपने चारों ओर धकेलने की आजादी दी है, जिससे यह आभास होता है कि सत्य पर उनका एकाधिकार है.

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हिंदुत्व का प्रचार करने वाले सच्चाई से डरते हैं

अपने लेख में सलमान खुर्शीद आगे लिखते हैं कि हर बार जब हम एक इंच देते हैं तो विरोधी कई फीट पर कब्जा करने की कोशिश करता है.

जैसा कि हम जानते और कल्पना करते हैं कि यह न केवल हमारे कल्याण के लिए बल्कि हमारे राष्ट्र के अस्तित्व के लिए एक लाल रेखा खींचने का समय है.

यह केवल हिंदुत्ववादी ताकतों की प्रकृति और व्यवहार के बारे में असहमत होने के बारे में नहीं है, बल्कि एक गौरवशाली धर्म, हिंदू धर्म की रक्षा के लिए खुद को लागू करने के बारे में है, जो इसके मानवतावाद को कमजोर करने की धमकी दे रहे हैं और जो दो महत्वपूर्ण समुदायों के बीच स्थायी विभाजन चाहते हैं. हमें अभी और यहीं एक स्टैंड लेना होगा.

खुर्शीद लिखते हैं कि स्वतंत्रता की हानि केवल शारीरिक कारावास नहीं है, यह मन और जीभ की जंजीरों के बारे में है. हिंदुत्व का प्रचार करने वाले लोग सच्चाई से घातक रूप से डरते हैं. पहले वे चिल्लाने की कोशिश करते हैं और फिर जबरदस्ती इसे किसी न किसी तरह से दबाने का काम करते हैं.

हमारी गांधीवादी प्रतिबद्धता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम हिंसा और स्थूलता को त्याग दें. लेकिन निष्क्रिय प्रतिरोध के परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें. हम सच्चाई के नाम पर अडिग हैं. बाकियों को चुनना होगा कि वे कहां खड़े हैं.

जब नैनीताल में मेरी कॉटेज पर आग से हमला किया गया, तो मुझसे पूछा गया कि यह किसने किया है बोको हराम, आईएसआईएस, या हिंदुत्व? तब मैंने जवाब दिया कि इसका उत्तर बुद्धिमानों को तय करने दो.

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