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फेसबुक के CEO जकरबर्ग के बयान से डैमेज कंट्रोल हो पाएगा?

फेसबुक का एक बड़ा रेवेन्यू मॉडल है, इसका सारा रेवेन्यू मॉडल ढ़ाई अरब लोगों की निजी जानकारी के इर्द-गिर्द ही है

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फेसबुक का बनना एक कमाल का आइडिया रहा है. इससे जुड़ना काफी कूल माना जाता है. फेसबुक फ्रेंड्स की अलग दुनिया है. लाइक्स और फॉलोवर्स का घटना-बढ़ना एक नशा है. निर्बाध रूप से किसी की धज्जियां उड़ाना, बिना ये सोचे कि सामने वाला इस पर कैसे रिएक्ट करेगा, इसकी वजह से सभ्य-असभ्य संवाद की सीमा टूटी है.

कुल मिलाकर फेसबुक ने एक नई संस्कृति बनाई और हर कल्चर की तरह इसमें कुछ अच्छा है और कुछ ऐसी बातें हैं जो ना होती तो अच्छा होता.

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फेसबुक संकट में है...

फेसबुक की दिक्कत इससे बिल्कुल अलग है. कंपनी पर आरोप है कि पॉलिटिकल कंसलटेंसी फर्म कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक के करीब 5 करोड़ यूजर्स से जुड़ी जानकारी का गलत इस्तेमाल कर खास राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाया. जानकारी के गलत इस्तेमाल में फेसबुक की कोई भूमिका थी या नहीं, यह जांच का विषय है लेकिन आरोप लगने के बाद से फेसबुक संकट में है.

कंपनी के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने अब जाकर सफाई दी है. न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में जकरबर्ग ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी डेटा संभालकर रखना है. जब कभी भी ऐसी बात होती है कि डेटा किसी और के हाथ लग गया तो हंगामा होता है. लेकिन, जकरबर्ग ने भरोसा दिलाया है कि इस तरह से डेटा भविष्य में लीक नहीं होगा.

मार्क जकरबर्ग ने 2019 में भारत में होने जा रहे आम चुनाव के बारे में भी सफाई दी है, उनका कहना है कि भारत जैसे देशों में होने जा रहे चुनावों की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए फेसबुक अपने सुरक्षा सुविधाओं में इजाफा कर रहा है.

फेसबुक का एक बड़ा रेवेन्यू मॉडल है, इसका सारा रेवेन्यू मॉडल ढ़ाई अरब लोगों की निजी जानकारी के इर्द-गिर्द ही है
फेसबुक का एक बड़ा रेवेन्यू मॉडल है, इसका सारा रेवेन्यू मॉडल ढ़ाई अरब लोगों की निजी जानकारी के इर्द-गिर्द ही है
फेसबुक का एक बड़ा रेवेन्यू मॉडल है, इसका सारा रेवेन्यू मॉडल ढ़ाई अरब लोगों की निजी जानकारी के इर्द-गिर्द ही है

लेकिन, सवाल यह है कि क्या इससे सबकुछ ठीक हो जाएगा? हो सकता है कि राजनीतिक उद्देश्य से डेटा आगे जाकर लीक नहीं हो लेकिन दिक्कत इससे काफी बड़ी है. फेसबुक के पास एक विशाल यूजर बेस है. दुनिया के करीब ढ़ाई अरब लोगों की कुछ ना कुछ जानकारी कंपनी के पास है. इस जानकारी का इस्तेमाल कंपनियां अपने प्रोडक्ट के विज्ञापन के लिए करती हैं.

आपका पर्सनल डेटा, इतना भी पर्सनल नहीं रह गया?

फेसबुक एक कंपनी है. इसका एक रेवेन्यू मॉडल है. इसका सारा रेवेन्यू मॉडल ढ़ाई अरब लोगों की निजी जानकारी के इर्द-गिर्द है और ये सारी जानकारी सिर्फ फेसबुक के पास ही नहीं, कुछ इससे जुड़े कई एप डेवेलपर्स के पास है. ये जानकारी कैसी हैं— मैं क्या पहनता हूं, कैसे सोचता है, किससे दोस्ती करता हूं, किस तरह के लोगों से कैसी बातचीत करता हूं, किस विचारधारा पर कैसे रिएक्ट करता हूं. कहने का मतलब ये कि मैं क्या हूं, इसकी कुछ जानकारी तो फेसबुक के पास है. कंपनी के भारत में करीब 24 करोड़ यूजर्स हैं. और यही फेसबुक की सबसे बड़ी दिक्कत है कि इसका यूजर बेस बहुत ही बड़ा है और यूजर्स के बारे में इसके पास जरूरत से ज्यादा जानकारी है.

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इस जानकारी का एक बार गलत इस्तेमाल हुआ है. क्या गारंटी है कि आगे इसका किसी और तरीके से गलत इस्तेमाल नहीं होगा?

जानकारी के इतने बड़े पूल का एक साथ इकट्ठा होना है खतरे की घंटी है क्योंकि इसके गलत इस्तेमाल का खतरा हमेशा बना रहता है. गलत इस्तेमाल करने वाला कोई भी हो सकता है. जकरबर्ग के आश्वासन देने के बाद भी वो खतरा कम नहीं होता है.

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