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प्रिय जीएन साईबाबा, जिंदगी से परे बेहतर वक्त की ओर हो आपका सफर

जीएन साईबाबा को लगभग एक दशक सलाखों के पीछे बिताने के बाद मार्च 2024 में बरी कर दिया गया. 12 अक्टूबर को उनका निधन हो गया.

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मार्च 2024 में, दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को लगभग एक दशक सलाखों के पीछे बिताने के बाद नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया. सात महीने बाद, 12 अक्टूबर, शनिवार को, 57 वर्षीय साईबाबा का पथरी की सर्जरी के बाद स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण हैदराबाद के एनआईएमएस हॉस्पिटल में निधन हो गया.

मैं समझती हूं कि हम सभी स्टारडस्ट हैं. यानी सितारों की धूल. हम अपने ब्रह्मांड के जमे हुए और आत्म-जागरूक टुकड़े हैं, जो युगों तक स्वतंत्र रूप से घूमते हुए, पृथ्वी की ओर चले आए और आखिरकार, धीरे-धीरे पृथ्वी ने अपने गुरुत्वाकर्षण में हमें खींचा. इस तरह हमने नश्वर प्राणियों में अपना रूप और घर पाया. आज, आप सितारों में लौट गए हैं. शायद आप अपने आशियाने में हो. स्टारडस्ट से स्टारडस्ट तक का सफर.

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मैं यह सोचना चाहती हूं कि आज, आप एक ऐसी आजादी का अनुभव कर रहे हैं और उसे साझा कर रहे हैं जिसे उन क्षुद्र तानाशाहों और अत्याचारियों द्वारा कम नहीं किया जा सकता है जो लाखों लोगों के भाग्य तय करना चाहते हैं. हालांकि वे शायद कुछ नहीं समझते हैं. उनकी समझ में उनका अपना छोटापन और लालच भी शामिल है.

बहुत लंबे समय तक, आपको एक छोटी सी कालकोठरी में बंद करके रखा गया था. सत्ता के अधिकारियों द्वारा एक हाथ से जमीन पर घसीटा गया था. उनके पास हमारी सामान्य मानवता को पहचानने की न तो कल्पना थी और न ही बुद्धि. बहुत लंबे समय तक, आपको दवाएं, चिकित्सा देखभाल और हॉस्पिटल में भर्ती होने से वंचित रखा गया. आपको उस हाथ की देखभाल से वंचित कर दिया गया जिसे उन्होंने नष्ट कर दिया था.

10 साल तक आपको एक अदालत से दूसरी अदालत, आगे-पीछे, उन लोगों के बीच धकेला गया, जिन्होंने आपके साथ हो रहे भयानक और अमानवीय अन्याय की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था. यहां तक ​​कि जब आपने जेल से स्पष्ट और मार्मिक पत्र लिखे, तो आपके शरीर और दिमाग पर अपने निरंकुश तर्क की क्रूरता और बुनियादी अधिकारों के प्रति अपनी पूर्ण उदासीनता की छाप छोड़ने की राज्य की इच्छाशक्ति और अधिक क्रूर हो गई.

आपका मन कभी नहीं डगमगाया, लेकिन आपका शरीर टूटने लगा. हाइपरटेंशन, हृदय की समस्याएं, पैंक्रियाज का बार-बार सूजना, COVID-19 का इलाज न मिला, और लगातार बढ़ती विकलांगताएं. जेल में वे यही करते हैं. वे तुम्हें डराते हैं और तुम्हें मारने की कोशिश करते हैं.

फादर स्टेन स्वामी की हत्या कर दी गई, पांडु नरोटे की हत्या कर दी गई, वरवरा राव लगभग मारे गए थे, और हैनी बाबू की स्वास्थ्य समस्याए स्थायी हो गई हैं.. इस तरह यह लिस्ट अंतहीन है.

लेकिन जब मैं यह लिख रही हूं, तब भी मैं आपको वैसे ही याद करती हूं जैसे मैंने आपको हमेशा अनुभव किया है: स्वतंत्र रूप में. मुझे स्पष्ट रूप से स्वतंत्रता और अपार संभावनाओं की वह भावना याद है जो आपकी व्हीलचेयर के बावजूद भी आपके पास थी. मुझे आपकी हंसी याद है जब मेरी बेटी, जो उस समय पांच या छह साल की थी, आपकी व्हीलचेयर को बहुत तेजी से धकेलती थी! शायद इसने आपको भी कुछ याद दिलाया हो.

आपने एक बार मुझे आजादी के शुरुआती अनुभव के बारे में बताया था. आपके पैरों को बर्बाद होने से बचाने के लिए आपके माता-पिता हर कोशिश की, लेकिन उसके बावजूद आप पोलियो से अपंग हो गए थे और काफी समय स्थिर अवस्था में बिताया था. फिर, एक दिन, आपके पिता ने आपको अपनी साइकिल पर बिठाया और एक लंबी यात्रा पर ले गए, और आपको वह गांव और दुनिया दिखाई जिसका आप हिस्सा थे. उन्होंने ऐसा दिन-ब-दिन किया. इसने आपके भीतर एक इच्छा और एक यात्रा जगाई जो और अधिक गहरी, अधिक से अधिक महत्वपूर्ण होती गई.

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शक्ति और स्वतंत्रता, दोनों के बारे में आपकी सहज लेकिन पूरी जानकारी के साथ समझ बहुत पुरानी है. आप बेलगाम सत्ता के अत्याचार और स्वतंत्रता पर उसकी बुरी नजर को कितनी अच्छी तरह समझते हैं. आपको सबसे अहम संवैधानिक मांगों - सबसे गरीब लोगों के लिए स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय - के लिए सबसे अराजक, अप्रक्रियात्मक और आपराधिक तरीके से UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था (आपको उठा लिया गया था!). यकीनन यह काम अधूरा है.

और अब, मैं उन अन्य चीजों के बारे में सोचने से खुद को नहीं रोक सकती जो आपने अधूरी छोड़ दी थीं - एक बातचीत जो हमने शुरू की और आपके हैदराबाद से लौटने के बाद जारी रखने का फैसला किया, एक आधी पढ़ी गई किताब, एक किताब लिखने का विचार, आम के अचार की योजना, एक यात्रा मेरे घर की, न्याय के लिए एक नए सिरे से लड़ाई.. आज, जब मैं आपको यह लिख रही हूं, मुझे आपकी असाधारण मां की याद आ रही है, जो आपकी कैद के सालों बाद टूटे हुए दिल से धीरे-धीरे मर गईं. मैं वसंता और मंजीरा के बारे में सोचती हूं, जो मेरे लिए परिवार का हिस्सा हैं.

आप बेहतर वक्त की ओर यात्रा करें और सितारों के साथ चमकें.

(करेन गेब्रियल दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टीफन कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाती हैं. यहां लिखे विचार लेखिका के व्यक्तिगत हैं.)

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