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पाक अधिकृत कश्मीर में जेहाद के नाम पर बनाया जा रहा सेक्स स्लेव

कश्मीर को आजादी दिलाने के नाम पर छेड़े गए जेहाद में आतंकवादी कश्मीरी महिलाओं को सेक्स स्लेव बना रहे हैं

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भारत के नियंत्रण से कश्मीर को आजादी दिलाने के नाम पर छेड़े गए जेहाद में आतंकवादी कश्मीरी महिलाओं को सेक्स स्लेव बना रहे हैं. 1947 में उपमहाद्वीप के विभाजन के वक्त जम्मू-कश्मीर रियासत के राजा ने ब्रिटिश संवैधानिक व्यवस्था का पालन करते हुए भारत में शामिल होने का फैसला लिया.

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इस फैसले ने ‘नवजात’ पाकिस्तान को गिलगित और मुजफ्फराबाद जिलों पर कब्जा करने का बहाना दे दिया. फिर पाकिस्तान ने पीछे हटने में आनाकानी की तो United Nations Commission for India and Pakistan ने चेतावनी दी कि पाकिस्तानी सैनिकों और भाड़े के इस्लामी लड़ाकों की अवैध मौजूदगी ने पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (PoK) में लोगों के जान, माल और इज्जत के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर दिया है और कश्मीर पर शांतिपूर्ण समझौते को रोक दिया है.

इस भविष्यवाणी को सच साबित करते हुए, पिछले सात दशक में पाकिस्तान ने अपनी उपनिवेशीय सोच से पीओके के निवासियों को मताधिकार से वंचित जनता बना दिया है. कश्मीर के मुद्दे पर ज्यादा से ज्यादा कूटनीतिक फायदा उठाने की नीति से प्रेरित होकर पाकिस्तान की सेना ने पीओके को इस्लामिक जेहादी संगठनों के हवाले कर दिया है, जो ना सिर्फ पीओके की सामाजिक-आर्थिक स्थिरता में रुकावटें पैदा करते हैं, बल्कि लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं.
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जेहाद के नाम पर कश्मीरी महिलाएं सेक्स स्लेव बनाई गईं

एक साक्षात्कार के दौरान, युनाइडेट कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी के प्रवक्ता नासिर अजीज खान ने खुलासा किया कि कई जिहादी संगठन पीओके में अपने वजूद को बनाए रखने के लिए सेक्स रैकेट चलाते हैं. हाल ही में अल-मुहाफिज फाउंडेशन के चेयरमैन सैयद जमीर बुखारी के वीडियो लीक का जिक्र करते हुए, अजीज ने बताया कि बुखारी हाफिज सईद के जमात-उद-दावा से जुड़ा था. बुखारी डिस्ट्रिक्ट बाग में फाउंडेशन के ऑफिस का इस्तेमाल सरकारी अधिकारियों को स्थानीय लड़कियां मुहैया कराने के लिए करता था. अजीज के मुताबिक, बुखारी के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही को रोकने के लिए पाकिस्तानी सीक्रेट सर्विस के एजेंटों और स्थानीय मंत्रियों ने पूरी ताकत लगा दी.

कश्मीरियों को भारतीय नियंत्रण से आजाद कराने के नाम पर जिहाद छेड़ने वाले आतंकवादी कश्मीरी महिलाओं का बतौर सेक्स-स्लेव इस्तेमाल करते हैं. हाल में कश्मीर में एक जेहादी ठिकाने पर छापा मारकर भारतीय पुलिस ने स्टेरॉयड, सेक्स पिल्स, गर्भनिरोधक और अश्लील सामग्रियां बरामद की. एक महिला बलात्कार पीड़िता ने मीडिया को बताया कि जैश-ए-मोहम्मद संगठन, जिसका उस इलाके में दबदबा है, के एक सदस्य ने दिन के उजाले में उसे घर से अगवा कर लिया.
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चुप्पी और सम्मान न्याय पर हावी

पीओके जैसे वॉर जोन में बलात्कार पीड़ितों के लिए न्याय मिलना किसी सपने जैसा हो जाता है, जहां बलात्कारी अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सियासतदानों से जान पहचान और सैन्य संस्थानों से अपने संबंध का इस्तेमाल करते हैं. सोफिया बानो के साथ सामूहिक बलात्कार पीओके के प्रधानमंत्री के होम टाउन में किया गया था. सोफिया ने कहा कि बलात्कारी पीएम से संबंधित थे. उसके पति को मौत की धमकियां मिलीं और आखिरकार उसने केस को छोड़ दिया क्योंकि वो लंबे समय तक अपने परिवार को खतरे में डालने का जोखिम नहीं उठा सकी.

चेहला बंदी से सामूहिक बलात्कार की एक और पीड़िता ने बताया कि उसका बलात्कार सत्तारूढ़ दल मुस्लिम लीग के सदस्यों ने किया, जिन्होंने तब से इस केस को रोकने के लिए पुलिस के सामने कई अड़चनें खड़ी की हैं.

हुसैनकोट की एक सामूहिक बलात्कार पीड़िता ने बताया कि उसके परिवार ने न्याय के बदले सम्मान को चुना. बलात्कारियों में से एक उसके पड़ोस का एक पुलिसकर्मी था, उसने पैसे वसूलने के इरादे से पूरी घटना का वीडियो बना लिया था इसलिए परिवारवालों ने उसे चुप रहने के लिए पैसे दिए.

ज्यादातर परिवार इस मुसीबत का सामना नहीं कर सकते कि उनकी बेटियां ‘अविवाहित’ रह जाएं और एक योग्य पति पाने में वंचित रह जाएं. ऐसी लड़कियों को अपनी पढ़ाई जारी रखने या नौकरी पाने के लिए बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा प्रभावशाली अपराधियों का सामना करने से इन परिवारों पर सामाजिक प्रतिष्ठा, संपत्ति या कारोबार के खोने का खतरा बना रहता है. कुछ परिवारों को समाज से बाहर भी कर दिया जाता है, जिसके बाद तिरस्कार और प्रतिशोध से बचने के लिए वो दूसरे शहरों में चले जाते हैं.

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बंकरों में शारीरिक शोषण एक महामारी की तरह है

पीओके के एक स्थानीय पत्रकार, जलालुद्दीन मुगल, ने सुरक्षा बंकरों में छेड़छाड़ और बलात्कार पर छपे अपने लेख में बताया कि इनमें से ज्यादातर बंकरों का निर्माण 1990 के दशक में इस्लामिक रिलीफ फाउंडेशन ने करवाया था जिसके तार ग्लोबल मुस्लिम ब्रदरहुड मूवमेंट से जुड़े हैं. चिकार के एक राजनीतिक कार्यकर्ता राजा सईम मंजूर ने बताया कि ऐसे बंकरों के निर्माण और देखरेख के लिए सेना की मंजूरी जरूरी होती है क्योंकि रात में मोर्टार-फायरिंग के दौरान महिलाएं यहीं शरण लेती हैं. सईम मंजूर ने खुलासा किया कि बंकरों में महिलाओं का शारीरिक शोषण एक महामारी की तरह है जिसका कोई जिक्र नहीं करता.

कई बार बलात्कारियों में सैनिक होते हैं जो कि ऐसे अपराधों को अंजाम देकर इसलिए बच जाते हैं क्योंकि पुलिस और सिविल कोर्ट के पास सैन्यकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार नहीं होता. इसके अलावा, सेना के साथ अपनी नजदीकियों का फायदा उठाते हुए, बंकर मालिक भी गोलाबारी से बचाने के बदले महिलाओं का यौन शोषण करते हैं.

पीओके की इन महिलाएं के एक तरफ कुआं है तो दूसरी तरफ खाई. कश्मीर की समानता पार्टी के अध्यक्ष सज्जाद राजा, जो कि अभी ब्रिटेन के मैनचेस्टर में रहते हैं, ने बताया कि गोलाबारी के दौरान घर में रहने से जान जाने का खतरा बना रहता है, जबकि कूप के आकार के अंधेरे बंकरों में रात बिताने से आबरू जाने का खतरा रहता है. ‘यौन हमलों के खिलाफ बोलने से दोहरा नुकसान होता है. बंकर मालिकों को शर्मिंदा कर बंकर में जगह खोने का जोखिम क्यों लिया जाए जबकि ये मालूम है उनके राजनीतिक रसूख के कारण न्याय की उम्मीद ना के बराबर है,’ राजा ने कहा.

PoK की महिलाएं पीड़ा सहने और इसकी कहानी बताने के लिए जिंदा रहती हैं

डॉन अखबार में अपने लेख में अनम जकारिया ने दो स्थानीय महिलाएं मेहनाज और नसरीन का जिक्र किया जिन्होंने गोलाबारी के दौरान अपने घरों के अंदर रहने का दर्दनाक विकल्प चुना. नसरीन ने जकारिया को बताया कि एक बार जान बचाने के लिए उसने अपने बच्चों के साथ बंकर में जाने की गलती की थी. वहां एक उम्रदराज आदमी ने उसकी 13 साल की बेटी, आयशा, का बलात्कार कर दिया. नसरीन ने बताया कि उस आदमी के हाथ में चाकू था जिससे उसने आएशा को जुबान खोलने पर मारने की धमकी दी. कुछ महीनों के बाद, आयशा गर्भवती हो गई और काउंसिल ने इज्जत बचाने के नाम पर बलात्कारी से उसका निकाह कराने का फैसला सुना दिया. इतनी कम उम्र में प्रसव की पीड़ा को झेलने में असमर्थ आयशा ने रक्तस्त्राव से दम तोड़ दिया. कुछ महीने बाद उसके बच्चे की भी मौत हो गई. जकारिया ने बताया कि कई परिवार बलात्कार संबंधित मामलों में घर पर ही गर्भपात का विकल्प चुन लेते हैं और सामाजिक कलंक से बचने के लिए इसमें डॉक्टरों को शामिल नहीं करते हैं. इससे उनकी जान खतरे में पड़ जाती है.

हताशा और कयामत की इन कहानियों के बीच, बिंबर जिला की एक गैंगरेप पीड़िता मारिया ताहिर की दास्तान बेहद हैरान करने वाली है. जान और सम्मान पर मंडराता खतरा मारिया को अपने बलात्कारियों को बेनकाब करने से रोक नहीं सका, जिन्हें सरकारी मंत्रियों और सैन्य अधिकारियों का शरण हासिल था. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मारिया ताहिर ने बताया कि बलात्कारियों ने पैसे वसूलने के लिए गैंगरेप का वीडियो तैयार कर लिया था. और जब मारिया ने पैसे देने से इनकार कर दिया, तो उन्होंने बच्चे के साथ उसे अगवा कर लिया. मारिया ने बताया कि पहले इस गैंग ने मुंह खोलने पर एक बलात्कार पीड़िता को जिंदा जला दिया था.

केस को आगे बढ़ाने से मारिया को रोकने के लिए और बलात्कारियों को बचाने की कोशिश में पुलिस ने उसके खिलाफ मानहानि का मुकदमा ठोक दिया. पुलिस ने जबरन मारिया से उन कागजातों पर दस्तखत करवाए जिसमें बलात्कार को सहमति से बनाया गया यौन संबंध बताने की कोशिश की गई, ताकि उस पर व्यभिचार का मुकदमा चलाया जा सके. लेकिन उसके दृढ़ संकल्प में कोई कमी नहीं दिखने पर, कानून के संरक्षकों ने उसके परिवार को प्रताड़ित किया और ग्राम परिषद को इस मामले को रफा-दफा करने को कहा. मारिया ताहिर ने पीओके के मुख्य न्यायाधीश को बयालीस पत्र लिखे और उनकी प्रतिक्रिया जानकर यह लेख पढ़ने वाले भी हैरान रह जाएंगे. कोर्ट चेंबर में मुख्य न्यायाधीश ने मारिया से कहा, ‘आप शादीशुदा हैं, आप कुंवारी नहीं हैं. आपको बलात्कार पर आपत्ति नहीं करनी चाहिए. कृपया इस केस को खत्म कर दीजिए.’

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क्या पीओके में वही हो रहा है जो पूर्वी पाकिस्तान में होता था?

जान से मारने की धमकियों की वजह से मारिया ताहिर पीओके लौट नहीं सकती. जरूरत है कि ताहिर जैसे साहसी बलात्कार पीड़ितों को व्यापक पहचान मिले वरना इनकी बहादुरी और बलिदान बेकार साबित हो जाएंगे. दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से मानवाधिकार-कार्यकर्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के वसंत सत्र में मारिया की तरफ से आवाज उठाई तो उसका हौसला जरूर बढ़ा. पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के उस समझौते पर हस्ताक्षर कर रखा है जिसमें महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरीके के भेदभाव को खत्म करने का भरोसा दिया गया है, जो लैंगिक समानता, इंसाफ और जान, माल और आबरू की सुरक्षा की गारंटी देता है.

फिर भी, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोगों के लिए ये किसी सपने जैसा है क्योंकि वहां शासक इलाके पर कब्जा बनाए रखने के लिए हथियार के तौर पर महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा का इस्तेमाल करते हैं.

पीओके में पूर्वी पाकिस्तान को दोहराया जा रहा है जहां स्थानीय महिलाएं दशकों तक पाकिस्तानी सैनिकों के रहम की मोहताज रहीं, इसके बाद स्थानीय बंगालियों ने पाकिस्तानी सेना को बाहर फेंकने के लिए भारतीय मदद मांगी. संयुक्त राष्ट्र को PoK में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में पाकिस्तानी अधिकारियों और सैन्य-नेतृत्व वाले इस्लामिक आतंकवादियों की भूमिका का पता लगाने के लिए महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को हटाने के लिए बनी कमेटी के सदस्यों को वहां भेजना चाहिए. इसके अलावा, पीओके पर दोबारा भारत के नियंत्रण में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मदद करनी चाहिए क्योंकि यही संवैधानिक वर्चस्व स्थापित कर नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित करने और आतंकी संगठनों को खत्म कर स्थानीय लोगों की स्वतंत्रता बहाल करने का इकलौता तरीका है.

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