वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम
जो भी हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी का ‘इंटरव्यू’ करता है, वो कड़े सवालों में यकीन नहीं करता. हां अगर सवाल- नवरात्रि का व्रत रखने जैसा ‘अहम’ हो तो बात अलग है!
लोकसभा चुनावों के नजदीक आते ही पीएम नरेंद्र मोदी के 2 इंटरव्यू सामने आ गए हैं. रिपब्लिक भारत के अर्नब गोस्वामी के बाद उन्होंने एक और इंटरव्यू दिया- इस बार एबीपी न्यूज के रुबिका लियाकत और सुमित अवस्थी को.
इस बार भी पीएम मोदी के इंटरव्यू में एक समानता थी- जमीनी मुद्दों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया, काउंटर-सवाल नदारद थे. इसकी बजाय इस बात पर ज्यादा जोर दिया गया कि पीएम का 'नवरात्रि शेड्यूल' क्या है.
मिसाल के तौर पर- आप नवरात्रि का इस बार व्रत रखेंगे? और फिर काउंटर क्ववेश्चन, तो आप कुछ भी नहीं खाते?
एबीपी न्यूज के एंकर सुमित अवस्थी और रुबिका लियाकत ने मोदी जी से ऐसा ही एक इंटरव्यू किया. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस इंटरव्यू को चैनल ने ‘दमदार’ सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू का नाम दिया.
NaMo TV से जुड़ा सवाल और 'मोदी जी' का जवाब
नमो टीवी, 31 मार्च को लॉन्च हुआ एक 24X7 चैनल है, जो डीटीएच के सभी प्लेटफॉर्म पर आता है. उस पर पीएम मोदी की चुनावी रैलियां और भाषणों का बदस्तूर प्रसारण होता है. खबरों के मुताबिक चैनल के पास कोई ब्रॉडकास्ट लाइसेंस नहीं है और ना ही उसने प्रसारण की कोई इजाजत ली है. लेकिन एबीपी न्यूज ने इनमें से कोई मुद्दा नहीं उठाया.
नमो टीवी जैसे बड़े मुद्दे को एंकर्स ने हंसते हुए पूछा, 'आजकल आपके नाम से एक चैनल भी चला है'. इसपर पीएम का जवाब था, 'चला रहे हैं कुछ लोग. मैं देख नहीं पाया अभी मुझे समय नहीं मिलता है.'.
राहुल गांधी के वायनाड से लड़ने के मामले पर
कांग्रेस अध्यक्ष के 2 जगह से लोकसभा चुनाव लड़ने पर भी पीएम की राय मांगी गई, लेकिन 1 अप्रैल को महाराष्ट्र के वर्धा में प्रचार के दौरान उनके विवादित बयान पर सवाल नहीं पूछा गया. राहुल गांधी का नाम लिए बिना पीएम ने कहा कि कांग्रेस डरी हुई है.
वो इसमें हिंदू-मुस्लिम, मेजॉरिटी-माइनॉरिटी का एंगल ले आए और उन्होंने 'हिंदुओं की नाराजगी' की बात कही. अपनी चुनावी रैलियों में भी वो लोगों से पूछ रहे हैं, ‘क्या हजारों साल के इतिहास में कोई भी ऐसी घटना है, जिसमें हिंदू, आतंकवाद से जुड़े पाए गए हों?’
मॉब लिंचिंग पर एक सवाल नहीं
मोदी सरकार के कार्यकाल में हुई दलितों और मुसलमानों की मॉब लिंचिंग जैसी दूसरी दागदार घटनाओं पर भी कोई सवाल नहीं किया गया. क्या गुरुग्राम में हाल की घटना या यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की रैली के दौरान दादरी लिंचिंग के आरोपी के शामिल होने पर कोई सवाल नहीं होना चाहिए था?
न नौकरी है और न सवाल?
एबीपी के इंटरव्यू में नौकरी के मुद्दे पर सवाल किया गया, लेकिन इस फुल टॉस को भी पीएम मोदी ने बाउंड्री के पार भेज दिया, और फिर कोई क्रॉस क्वेश्चन नहीं कि सरकार बेरोजगारी का ऑफिशियल डेटा क्यों नहीं जारी कर रही?
इंटरव्यू से कश्मीर भी गायब!
अगर गृह मंत्रालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2013 में 170 आतंकवादी-संबंधी घटनाओं में 135 लोग मारे गए. ये आंकड़ा 2017 में दोगुना हो गया, जिसमें 342 आंतकवादी-संबंधी घटनाओं में 333 लोग मारे गए, लेकिन पीएम मोदी के दावे से ऐसा लग रहा है जैसे जम्मू-कश्मीर में सब कुछ मजे में चल रहा है.
इन चैनलों से आगे बढ़िए पीएम
रिपब्लिक टीवी, टाइम्स नाउ, एएनआई, जी न्यूज और एबीपी न्यूज के आगे मोदी जी कभी बढ़ते ही नहीं हैं. मोदी जी शायद अकेले प्रधानमंत्री होंगे जिन्होंने अपने पूरे 5 साल में प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की!
पीएम मोदी के इंटरव्यू देने का क्या मतलब है, जब वो असली मुद्दों का जवाब भी नहीं देते और उनसे असली सवाल पूछे भी नहीं जाते.
ये मैच-फिक्सिंग जैसा लगता है, क्या ऐसा नहीं है? और उसके बाद तारीफ पर तारीफ, तारीफ पर तारीफ: डियर प्राइम मिनिस्टर, आप ऐसा कैसे कर लेते हैं? आप तो फकीर ही हैं. आपको एनर्जी कहां से मिलती है?
वो इस बार नवरात्रों के दौरान फास्ट करेंगे या नहीं, क्या सितंबर-अक्टूबर में फास्ट करना कम मुश्किल है, असली मुद्दों को छोड़ एबीपी न्यूज के एंकर्स ने मोदी के 'नवरात्रि प्लान' में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई.
यहां कुछ बातें सोचने वाली हैं: क्या ये बेहतर नहीं होगा कि इस स्क्रीन टाइम का उपयोग बेरोजगारी, नोटबंदी और कृषि संकट जैसे अहम मुद्दों पर सवाल करने के लिए किया जाए?
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