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नए नोट छापना इतना भी नहीं आसान, 7 सवालों में समझिए पूरी प्रक्रिया

नोट प्रिंटिंग पेपर के लिए 6 महीने की लाइन जबकि स्याही के लिए 1 साल पहले आर्डर देना जरूरी

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कोरोना की 2 जानलेवा लहरों और लॉकडाउन के कारण मंद पड़ी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सलाह दी जा रही कि नोट छापना चाहिए. अर्थशास्त्रियों का मत है कि इकनॉमी में करेंसी झोंक कर आम नागरिक की खर्च करने की क्षमता बढ़ाई जाए.लेकिन क्या कैश फ्लो बढ़ाने के लिए फौरी तौर पर नोट छापना संभव है, विशेषकर जब नोट छापने की पूरी प्रक्रिया के लिए 3 साल तक की एडवांस प्लानिंग की जरूरत होती है?

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नोट छापने में कितना समय लगता है?

RBI के साथ दो दशकों से भी ज्यादा काम कर चुके डॉ. चरण सिंह के अनुसार नोट छापने के लिए जरूरी प्रिंटिंग पेपर के लिए 6 महीनों की लाइन लगती है जबकि स्याही के लिए 1 साल पहले आर्डर देना होता है. नोट छापने की पूरी प्रक्रिया के लिए 3 साल तक की एडवांस प्लानिंग की जरूरत होती है.

बैंक नोट छापने के लिए जरूरी प्रिंटिंग पेपर का उत्पादन दो मिलों में होता है- होशंगाबाद (मध्यप्रदेश) और मैसूर (कर्नाटक) में. होशंगाबाद की मिल 1967 में स्थापित हुई और यह केंद्र सरकार के स्वामित्व में है जबकि मैसूर की मिल 2015 से ही शुरू हुई है और यह RBI द्वारा संचालित की जाती है. मैसूर मिल की क्षमता होशंगाबाद मिल की अपेक्षा दोगुनी है.लेकिन मिल से प्रिंटिंग पेपर पाने के लिए 6 महीने का अतिरिक्त समय चाहिए.

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कोरोना महामारी के बीच अतिरिक्त नोट छापने की वकालत क्यों ?

  • वित्त वर्ष 2020-21 में GDP -7.3% तक लुढ़क गयी. जहां सब की उम्मीद 21-22 में V शेप ग्रोथ की थी वहीं दूसरी लहर ने फिर से अर्थव्यवस्था पर अंकुश लगा दिया है. इस अप्रत्याशित समय में कई अर्थशास्त्रियों ने सरकार को घाटे की चिंता छोड़ मांग बढ़ाने के लिए कैश फ्लो बढ़ाने का सुझाव दिया है,ताकि लोगो क पास खर्च करने की क्षमता हो.

  • आर्थिक हालत पिछले 40 साल में सबसे खराब है. पिछले साल में V शेप रिकवरी के दावें गलत साबित हुए हैं.अगर अब मांग बढ़ाना है तो आम लोगों के हाथ में खर्च करने को कैश चाहिए और इसका एक उपाय सर्कुलेशन में नोटों की संख्या बढ़ाना हो सकता है.

"मुझे लगता है कि हमें ऐसा जरूर करना चाहिए.इससे हम गरीबों की मदद कर सकते हैं और कई लोगों को लोन डिफॉल्ट से बचाने में कामयाब हो सकते हैं."
अभिजीत बनर्जी, नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री.
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अतिरिक्त नोट छापने का अर्थव्यवस्था पर क्या बुरा असर पड़ सकता है?

  • अचानक से लोगों के पास काफी ज्यादा पैसा आने से मांग में अत्यधिक उछाल आ सकता है, जिससे अत्यधिक महंगाई का खतरा पैदा हो सकता है.

  • करेंसी की वैल्यू गिर सकती है ,डॉलर प्राप्त करने के लिए फिर ज्यादा रुपया देना पड़ेगा जिससे आयात महंगा हो सकता है.

  • वेनेजुएला, जिंबाब्वे जैसे देश की अर्थव्यवस्था खराब होने का अनुभव हम सबके सामने है.

"RBI कई जटिल चीजों को देखकर इस पर निर्णय करता है, जो देश की वित्तीय स्थिरता, महंगाई के स्तर, रुपए के विनिमय दरों को ध्यान में रखकर किया जाता है.मौजूदा स्थिति में इस सवाल के कोई मायने नहीं है"
RBI के गवर्नर अतिरिक्त नोट छापने के सवाल पर
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अभी किस मूल्य के कितने नोट र्कुलेशन में हैं?

31 मार्च 2021 तक वैल्यू के टर्म में ₹500 और ₹2000 के नोट की हिस्सेदारी कुल बैंक नोटों के सर्कुलेशन 85.7% थी जबकि ₹10 के नोटों की हिस्सेदारी 23.6% थी.अगर नोटों की संख्या की बात करें तो सबसे ज्यादा हिस्सेदारी ₹500 नोटों की है ,जबकि सबसे कम ₹2000 के नोटों की.

नोट प्रिंटिंग पेपर के लिए 6 महीने की लाइन जबकि स्याही के लिए 1 साल पहले आर्डर देना जरूरी
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RBI लोगों तक करेंसी का वितरण कैसे करता है?

वर्तमान में RBI अपने 19 इश्यू ऑफिसों के माध्यम से करेंसी ऑपरेशन को मैनेज करता है. यें ऑफिस अहमदाबाद ,बंगलुरु ,बेलापुर, भोपाल ,भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद ,जयपुर, जम्मू, कानपुर ,कोलकाता, लखनऊ ,मुंबई, नागपुर ,नई दिल्ली, पटना, तिरुवंतपुरम और कोच्चि ऑफिस का एक करेंसी चेस्ट हैं.

इश्यू ऑफिस फ्रेश बैंक नोटों को चारों करेंसी प्रिंटिंग प्रेस से प्राप्त करते हैं तथा देश के विभिन्न करेंसी चेस्ट को भेज देते हैं. कई बार सीधे प्रिंटिंग प्रेस से करेंसी चेंस्टों तक फ्रेश बैंक नोट पहुंचाए जाते हैं.विभिन्न बैंक ब्रांच इन करेंसी चेस्टों से नोट प्राप्त करते हैं तथा उसको आगे लोगों में वितरित करते हैं.

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भारत में नोट छापना किसकी जिम्मेदारी है?

RBI Act के सेक्शन 22 के अनुसार भारत में बैंक नोट जारी करने का अकेला अधिकार RBI के पास है, सिवाय ₹1 के नोट के-जो केंद्र सरकार छापती है. सेक्शन 25 के अनुसार भारतीय बैंक नोटों का डिजाइन,प्रकार और मटेरियल पर केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी है, जो RBI के सेंट्रल बोर्ड से सलाह करने के बाद यह मंजूरी देती है.

दूसरी तरफ Coinage Act 2011 के अनुसार सिक्कों के डिजाइनिंग और सिक्कों को ढालने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है. जबकि उसके वितरण का काम RBI करता है.

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नोट और सिक्के कहां छापे/ढाले जाते हैं?

भारत में नोट 4 करेंसी प्रेसों में छापे जाते हैं. जिनमें से दो करेंसी प्रेस भारत सरकार के अधीन कॉरपोरेशन- सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड(SPMCIL) के माध्यम से उसके स्वामित्व में है.SPMCIL करेंसी प्रेस नासिक (पश्चिम भारत) और देवास (केंद्रीय भारत) में स्थित है. अन्य दो करेंसी प्रेस का स्वामित्व RBI के पास उसके सब्सिडरी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रन प्राइवेट लिमिटेड(BRBNMPL) के माध्यम से हैं.BRBNMPL के 2 करेंसी प्रेस मैसूर (दक्षिणी भारत) और सालबोनी (पूर्वी भारत) में है.

सिक्के ढालने का टकसाल SPMCIL के माध्यम से केंद्र सरकार के स्वामित्व में है. ये टकसाल मुंबई ,हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में स्थित हैं.

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