943 उम्मीदवार. करीब 13 करोड़ वोटर. 9 राज्य. 71 सीटें...ये है लोकसभा चुनाव का चौथा चरण. गिरिराज सिंह, कन्हैया कुमार, उर्मिला मांतोडकर, साक्षी महाराज, सलमान खुर्शीद, डिंपल यादव, उपेंद्र कुशवाहा, कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ और प्रमोद महाजन की बेटी पूनम जैसे वीआईपी उम्मीदवार सुर्खियां बनाएंगे. लेकिन सबसे बड़ा सवाल - क्या बीजेपी इन 71 में से दोबारा 45 सीटें जीत पाएगी? राजस्थान की हिस्ट्री, महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश की मिस्ट्री और उत्तर प्रदेश-झारखंड की बदली केमिस्ट्री देखकर तो ऐसा नहीं लगता.
राजस्थान-यूपी में 13 का फेरा
29 अप्रैल को चौथे चरण के चुनाव में जिन 13 सीटों पर मतदान होना है उनमें से हर सीट पर बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। क्या फिर यही होगा? लगता नहीं है. क्योंकि तब से अब के बीच एक विधानसभा चुनाव हो गया और वहां बीजेपी की सरकार चली गई. राजस्थान का ट्रेंड ये है कि जो पार्टी विधानसभा चुनाव में जीतती है, लोकसभा चुनाव में भी बढ़त उसे ही मिलती है. विधानसभा चुनाव के समय लोकल बीजेपी में कुछ अंदरुनी झगड़ों की भी खबरें आई थीं, आशंका है उसका असर अभी तक है. तब मोदी लहर थी, अब लहर पर सवाल है.
यूपी में जिन 13 सीटों पर वोट पड़ने हैं, पिछली बार उनमें से 12 बीजेपी जीती थी. तब विपक्ष बंटा था, अब यूपी की दो बड़ी ताकतें बीएसपी और एसपी साथ हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए 12 सीटें जीतना तो मुश्किल लग रहा है. खासकर कन्नौज, फर्रूखाबाद और उन्नाव में रास्ता टेढ़ा है.
महाराष्ट्र में 17 को खतरा
महाराष्ट्र में जिन 17 सीटों पर चौथे चरण में चुनाव हैं उनमें से पिछली बार आठ बीजेपी और 9 शिवसेना जीती थी. लेकिन जिस तरह से कांग्रेस-एनसीपी ने पिच सेट की है और जिस तरह से राज ठाकरे फ्रंट फुट पर खेल रहे हैं, बीजेपी-शिवसेना के लिए वही कामयाबी दोहराना मुश्किल लग रहा है.
मध्य प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव के बाद मूड बदला है. जिन 6 सीटों पर वोट पड़ने हैं, पिछली बार उनमें से पांच पर बीजेपी जीती थी, लेकिन विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार का कुछ असर तो लोकसभा चुनावों में देखने को मिलेगा.
पश्चिम बंगाल में जिन आठ सीटों पर वोट पड़ने हैं उनमें से सिर्फ एक सीट बीजेपी जीती थी. पीएम मोदी ने यहां पूरी ताकत झोंकी है, सो टैली में कुछ इजाफा हो सकता है.
झारखंड में भी नहीं फूलों की डगर
29 अप्रैल को पलामू, लोहरदगा और चतरा में चुनाव हैं. अभी इन तीनों पर बीजेपी के सांसद हैं लेकिन इस बार लोहरदगा और चतरा में बीजेपी को कांटे की टक्कर मिल रही है. पिछली बार राज्य की 14 सीटों में से बीजेपी को 12 सीटें मिली थीं. लेकिन इस बार इनमें आधी सीटें बीजेपी हार सकती है. कारण-कांग्रेस, राजद, झामुमो और झाविपा का गठबंधन. खासकर कोडरमा, चाइबासा, खूंटी, रांची, गिरिडीह, धनबाद, जमशेदपुर में बीजेपी के लिए चुनावी डगर पर फूल नहीं बिछे हैं.
बिहार में भी कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन के कारण बीजेपी को जीत आसानी से नहीं मिलेगी. चौथे फेज में जिन पांच सीटों पर चुनाव हैं उनमें से तीन फिलहाल बीजेपी के पास हैं. खासकर बेगूसराय सीट पर सीपीआई के कन्हैया कुमार बीजेपी को तगड़ा मुकाबला दे रहे हैं.
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