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'ब्रिटेन की शाही बहू का फर्टिलिटी टेस्ट कराया गया'-दावे के बीच जानें यह क्या है?

Fertility Test Explained: फर्टिलिटी टेस्ट कितने प्रकार के होते हैं? फर्टिलिटी टेस्ट कब करवाया जाता है?

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ब्रिटेन का शाही परिवार एक बार फिर चर्चा में है. हाल ही में पब्लिश हुई एक किताब में ब्रिटिश रॉयल फैमिली पर बड़ा आरोप लगाया गया है. 'Gilded Youth: An Intimate History of Growing Up in the Royal Family' नाम की इस किताब में लेखक टॉम क्विन दावा किया है कि रॉयल फैमिली ने अपनी बहू केट मिडलटन (प्रिंस विलियम की पत्नी) का शादी से पहले 2011 में यह फर्टिलिटी टेस्ट कराया था.

चलिए यहां आपको इन तमाम सवालों के जवाब एक्सपर्ट्स की मदद से बताते हैं

  • क्या होता है फर्टिलिटी टेस्ट?

  • फर्टिलिटी टेस्ट कितने प्रकार के होते हैं?

  • फर्टिलिटी टेस्ट कब करवाया जाता है?

  • फर्टिलिटी में सुधार कैसे लाएं?

  • खराब लाइफस्‍टाइल की वजह से फर्टिलिटी पर किस प्रकार असर पड़ता है?

'ब्रिटेन की शाही बहू का फर्टिलिटी टेस्ट कराया गया'-दावे के बीच जानें यह क्या है?

  1. 1. क्या होता है फर्टिलिटी टेस्ट?

    इस सवाल का जवाब देते हुए शालीमार बाग स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल की डायरेक्‍टर-ऑब्‍सटैट्रिक्‍स एंड गाइनीकोलॉजी डॉ. अपर्णा जैन बताती हैं कि

    "फर्टिलिटी टेस्ट पुरुष/महिला के रिप्रो‍डक्टिव हेल्थ के बारे में पता करने के लिए किया जाता है. आमतौर पर उस स्थिति में ये टेस्ट किए जाते हैं, जब कोई कपल गर्भधारण करने में कठिनाई महसूस करता है. फर्टिलिटी टेस्ट महिलाओं और पुरुषों दोनों के किए जा सकते हैं और ये प्रत्‍येक व्‍यक्ति की मेडिकल हिस्‍ट्री पर निर्भर करते हैं."
    डॉ. अपर्णा जैन

    डॉ. अपर्णा जैन आगे कहती हैं, "महिलाओं के मामले में, फर्टिलिटी टेस्ट के लिए खून की जांच कर हार्मोन लेवल पता किए जाते हैं या अल्‍ट्रासाउंड से प्रजनन अंगों की जांच की जाती है. पुरुषों में, आमतौर पर सीमेन की जांच की जाती है ताकि उसमें मौजूद शुक्राणुओं की संख्‍या (स्‍पर्म काउंट), उनकी गतिशीलता (मोटिलिटी) और बनावट (मॉर्फोलॉजी) पता की जा सके".

    यहां यह जानना बेहद महत्‍वपूर्ण है कि फर्टिलिटी टेस्ट करवाना गर्भधारण (प्रेगनेंसी) की गारंटी नहीं होता, लेकिन इनसे किसी व्‍यक्ति को अपनी रिप्रोडक्टिव हेल्थ के बारे में जरूरी बातों की जानकारी हो जाती है. 
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  2. 2. फर्टिलिटी टेस्ट से क्या पता लगाया जाता है?

    फर्टिलिटी टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि गर्भधारण में समस्‍या क्‍यों आ रही है. जैसे कि क्‍या हार्मोन असंतुलन की वजह से ऐसा है या अनियमित डिंबस्राव (ओव्‍यूलेशन) अथवा सीमेन में स्पर्म्स की कम संख्‍या के कारण ऐसा है. टेस्ट के नतीजों के आधार पर डॉक्‍टर इलाज के विकल्‍पों के बारे में बता सकते हैं. जैसे क्‍या सिर्फ दवाओं से या लाइफस्‍टाइल में बदलाव लाकर या फिर रिप्रोडक्टिव टैक्‍नोलॉजी की मदद से (जिनमें इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन – आईवीएफ शामिल है) ऐसा किया जा सकता है. 

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  3. 3. फर्टिलिटी टेस्ट कितने प्रकार के होते हैं?

    "इन्‍फर्टिलिटी टेस्ट दरअसल एक प्रकार की मेडिकल जांच होती है, जो उन कपल्‍स में बांझपन के कारणों का पता लगाने के लिए की जाती है, जो एकाध साल या अधिक समय से गर्भधारण की असफल कोशिश करते रहे हैं. इन्‍फर्टिलिटी टेस्ट कई प्रकार के हो सकते हैं, जिनसे बांझपन के बुनियादी कारणों का पता चलता है."
    डॉ. अपर्णा जैन, डायरेक्‍टर-ऑब्‍सटैट्रिक्‍स एंड गाइनीकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग
    • सबसे साधारण इन्‍फर्टिलिटी टेस्ट के तहत सीमेन की जांच की जाती है. इस जांच में किसी पुरुष के सीमेन में स्पर्म्स की संख्‍या और क्‍वालिटी दोनों का पता लगाया जाता है. इस टेस्ट के नतीजों से यह निश्चित किया जाता है कि क्‍या उस पुरुष के सीमेन में स्पर्म्स की संख्‍या कम है (स्‍पर्म काउंट) या उनकी गति‍शीलता (स्‍पर्म मोटिलिटी) में कमी है और शुक्राणुओं का आकार असामान्‍य (एब्‍नॉर्मल स्‍पर्म शेप) है. 

    • हिस्‍टेरोसैल्‍पिंगोग्राम (एचएसजी) फर्टिलिटी टेस्ट में इस बात की जांच करता है कि किसी महिला की फैलोपियन ट्यूब्‍स खुली हैं या उनमें किसी भी कारणवश कोई रुकावट है.

    • फर्टिलिटी टेस्ट की एक और जांच से ये पता लगाया जाता है कि डिंबस्राव (ओव्‍यूलेशन) हो रहा है या नहीं.

    • हार्मोन टेस्ट से यह पता चलता है कि महिला में नियमित ओव्‍युलेशन (डिंबस्राव) हो रहा है या नहीं और हार्मोन लेवल्स में ऐसे किसी भी असंतुलन की जांच की जाती है, जिसके कारण फर्टिलिटी पर असर पड़ता है, जैसे कि थाइरॉयड और प्रोलैक्टिन.

    • महिलाओं और पुरुषों में फर्टिलिटी को प्रभावित करने वाली आनुवांशिक गड़बड़‍ियों का पता लगाने के लिए जेनेटिक टेस्टिंग की जाती है. 

    • कुछ मामलों में लैपरोस्‍कोपी से भी टेस्ट किया जाता है. यह एक प्रकार की सर्जिकल प्रक्रिया है, जिससे डॉक्‍टरों को पेल्विस अंगों को देखने और उनमें किसी प्रकार की गड़बड़ी या रुकावट जिसके कारण फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) पर असर पड़ सकता है का पता लगाने में मदद मिलती है. 

    इंफर्टिलिटी टेस्ट कई प्रकार के हो सकते हैं और इनका इस्‍तेमाल अलग-अलग कारणों का पता लगाने के लिए किया जाता है. डॉक्‍टर हर कपल के व्‍यक्तिगत हालातों को ध्‍यान में रखकर इनमें से किसी टेस्ट की सलाह दे सकते हैं. 
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  4. 4. फर्टिलिटी टेस्ट कब करवाना चाहिए?

    • फर्टिलिटी टेस्ट उन कपल्‍स को करवाने की सलाह दी जाती है, जो एक या अधिक वर्षों से गर्भधारण के लिए प्रयास के बावजूद असफल रहे हों.

    • जिन महिलाओं की उम्र 35 वर्ष से अधिक होती है और जो छह माह से गर्भधारण की कोशिश कर रही हों, उन्‍हें भी फर्टिलिटी टेस्ट करवाना चाहिए. यह याद रखना जरूरी है कि बांझपन का कारण हमेशा महिलाओं में ही नहीं होता. पुरुषों का बांझपन भी एक आम समस्या है लेकिन अक्‍सर इसकी अनदेखी कर दी जाती है.

    • ऐसे कपल्‍स को भी फर्टिलिटी टेस्ट अवश्‍य करवाना चाहिए जिन्‍हें यौन संसर्ग जनित संक्रमणों (STD) का खतरा या इतिहास रहा हो. जो एंडोमीट्रियॉसिस, पेल्विस इंफ्लेमेट्री रोग और किसी ऐसी मेडिकल कंडिशंस से प्रभावित हों, जिसकी वजह से फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है.

    "अगर जोड़ा एक वर्ष से अधिक समय तक नियमित रूप से कोशिश करने के बावजूद गर्भ धारण करने में असमर्थ हैं तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए. कुछ स्थितियों में एक साल तक इंतजार करने के बजाय 6 महीनों में गर्भधारण नहीं हो तो किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है."
    डॉ. स्नेहा साठे, फर्टिलिटी कंसल्टेंट, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, चेंबूर
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  5. 5. लाइफस्‍टाइल की वजह से फर्टिलिटी पर किस प्रकार असर पड़ता है?

    "बांझपन एक मेडिकल कंडीशन है, जिसकी वजह से दुनियाभर में लाखों कपल्‍स की जिंदगी प्रभावित होती है. बांझपन के कई कारण हो सकते हैं और लाइफस्‍टाइल भी इस कंडीशन के लिए जिम्‍मेदार हो सकता है."
    डॉ. अपर्णा जैन, डायरेक्‍टर-ऑब्‍सटैट्रिक्‍स एंड गाइनीकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग
    • स्‍वास्‍थ्‍य के लिए नुकसानदायक आदतें जैसे कि धूम्रपान, अधिक शराब का सेवन और नशीले पदार्थों के सेवन की वजह से महिलाओं और पुरुषों में बांझपन की शिकायत हो सकती है. इन आदतों के चलते शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा होता है, स्‍पर्म काउंट घटता है, डिंब क्‍वालिटी पर असर पड़ता है और ये सभी कारण गर्भधारण की राह में रुकावट बन सकते हैं. 

    • मोटापा भी बांझपन का कारण हो सकता है, क्‍योंकि इसकी वजह से हार्मोन बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है और यह डिंबस्राव को भी प्रभावित कर सकता है.

    • एक्सरसाइज नहीं या कम करना फर्टिलिटी पर नकारात्‍मक असर डालता है. नियमित व्‍यायाम से हार्मोन प्रोडक्‍शन को रेगुलेट करने और प्रजनन अंगों में खून का दौरा बढ़ाने में मदद मिलती है, जिससे फर्टिलिटी में सुधार होता है. 

    • तनाव भी फर्टिलिटी पर बुरा असर डाल सकता है. इसकी वजह से हार्मोन लेवल्स और महिलाओं में ओव्‍युलेशन की प्रक्रिया तथा पुरुषों में स्‍पर्म काउंट प्रभावित हो सकता है. इसलिए तनाव घटाने वाली आदतें या व्‍यायाम जैसे कि योग, ध्‍यान, काउंसलिंग से तनाव प्रबंधन कर फर्टिलिटी को प्रभावित किया जा सकता है. 

    कुल-मिलाकर, यह जरूरी है कि सेहतमंद लाइफस्‍टाइल अपनाएं, पोषण युक्‍त खाद्य पदार्थों का सेवन करें, नियमित व्‍यायाम करें, धूम्रपान से बचें और शराब का सेवन कम से कम करें ताकि फर्टिलिटी में सुधार हो सके. 

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क्या होता है फर्टिलिटी टेस्ट?

इस सवाल का जवाब देते हुए शालीमार बाग स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल की डायरेक्‍टर-ऑब्‍सटैट्रिक्‍स एंड गाइनीकोलॉजी डॉ. अपर्णा जैन बताती हैं कि

"फर्टिलिटी टेस्ट पुरुष/महिला के रिप्रो‍डक्टिव हेल्थ के बारे में पता करने के लिए किया जाता है. आमतौर पर उस स्थिति में ये टेस्ट किए जाते हैं, जब कोई कपल गर्भधारण करने में कठिनाई महसूस करता है. फर्टिलिटी टेस्ट महिलाओं और पुरुषों दोनों के किए जा सकते हैं और ये प्रत्‍येक व्‍यक्ति की मेडिकल हिस्‍ट्री पर निर्भर करते हैं."
डॉ. अपर्णा जैन

डॉ. अपर्णा जैन आगे कहती हैं, "महिलाओं के मामले में, फर्टिलिटी टेस्ट के लिए खून की जांच कर हार्मोन लेवल पता किए जाते हैं या अल्‍ट्रासाउंड से प्रजनन अंगों की जांच की जाती है. पुरुषों में, आमतौर पर सीमेन की जांच की जाती है ताकि उसमें मौजूद शुक्राणुओं की संख्‍या (स्‍पर्म काउंट), उनकी गतिशीलता (मोटिलिटी) और बनावट (मॉर्फोलॉजी) पता की जा सके".

यहां यह जानना बेहद महत्‍वपूर्ण है कि फर्टिलिटी टेस्ट करवाना गर्भधारण (प्रेगनेंसी) की गारंटी नहीं होता, लेकिन इनसे किसी व्‍यक्ति को अपनी रिप्रोडक्टिव हेल्थ के बारे में जरूरी बातों की जानकारी हो जाती है. 
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फर्टिलिटी टेस्ट से क्या पता लगाया जाता है?

फर्टिलिटी टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि गर्भधारण में समस्‍या क्‍यों आ रही है. जैसे कि क्‍या हार्मोन असंतुलन की वजह से ऐसा है या अनियमित डिंबस्राव (ओव्‍यूलेशन) अथवा सीमेन में स्पर्म्स की कम संख्‍या के कारण ऐसा है. टेस्ट के नतीजों के आधार पर डॉक्‍टर इलाज के विकल्‍पों के बारे में बता सकते हैं. जैसे क्‍या सिर्फ दवाओं से या लाइफस्‍टाइल में बदलाव लाकर या फिर रिप्रोडक्टिव टैक्‍नोलॉजी की मदद से (जिनमें इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन – आईवीएफ शामिल है) ऐसा किया जा सकता है. 

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फर्टिलिटी टेस्ट कितने प्रकार के होते हैं?

"इन्‍फर्टिलिटी टेस्ट दरअसल एक प्रकार की मेडिकल जांच होती है, जो उन कपल्‍स में बांझपन के कारणों का पता लगाने के लिए की जाती है, जो एकाध साल या अधिक समय से गर्भधारण की असफल कोशिश करते रहे हैं. इन्‍फर्टिलिटी टेस्ट कई प्रकार के हो सकते हैं, जिनसे बांझपन के बुनियादी कारणों का पता चलता है."
डॉ. अपर्णा जैन, डायरेक्‍टर-ऑब्‍सटैट्रिक्‍स एंड गाइनीकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग
  • सबसे साधारण इन्‍फर्टिलिटी टेस्ट के तहत सीमेन की जांच की जाती है. इस जांच में किसी पुरुष के सीमेन में स्पर्म्स की संख्‍या और क्‍वालिटी दोनों का पता लगाया जाता है. इस टेस्ट के नतीजों से यह निश्चित किया जाता है कि क्‍या उस पुरुष के सीमेन में स्पर्म्स की संख्‍या कम है (स्‍पर्म काउंट) या उनकी गति‍शीलता (स्‍पर्म मोटिलिटी) में कमी है और शुक्राणुओं का आकार असामान्‍य (एब्‍नॉर्मल स्‍पर्म शेप) है. 

  • हिस्‍टेरोसैल्‍पिंगोग्राम (एचएसजी) फर्टिलिटी टेस्ट में इस बात की जांच करता है कि किसी महिला की फैलोपियन ट्यूब्‍स खुली हैं या उनमें किसी भी कारणवश कोई रुकावट है.

  • फर्टिलिटी टेस्ट की एक और जांच से ये पता लगाया जाता है कि डिंबस्राव (ओव्‍यूलेशन) हो रहा है या नहीं.

  • हार्मोन टेस्ट से यह पता चलता है कि महिला में नियमित ओव्‍युलेशन (डिंबस्राव) हो रहा है या नहीं और हार्मोन लेवल्स में ऐसे किसी भी असंतुलन की जांच की जाती है, जिसके कारण फर्टिलिटी पर असर पड़ता है, जैसे कि थाइरॉयड और प्रोलैक्टिन.

  • महिलाओं और पुरुषों में फर्टिलिटी को प्रभावित करने वाली आनुवांशिक गड़बड़‍ियों का पता लगाने के लिए जेनेटिक टेस्टिंग की जाती है. 

  • कुछ मामलों में लैपरोस्‍कोपी से भी टेस्ट किया जाता है. यह एक प्रकार की सर्जिकल प्रक्रिया है, जिससे डॉक्‍टरों को पेल्विस अंगों को देखने और उनमें किसी प्रकार की गड़बड़ी या रुकावट जिसके कारण फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) पर असर पड़ सकता है का पता लगाने में मदद मिलती है. 

इंफर्टिलिटी टेस्ट कई प्रकार के हो सकते हैं और इनका इस्‍तेमाल अलग-अलग कारणों का पता लगाने के लिए किया जाता है. डॉक्‍टर हर कपल के व्‍यक्तिगत हालातों को ध्‍यान में रखकर इनमें से किसी टेस्ट की सलाह दे सकते हैं. 
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फर्टिलिटी टेस्ट कब करवाना चाहिए?

  • फर्टिलिटी टेस्ट उन कपल्‍स को करवाने की सलाह दी जाती है, जो एक या अधिक वर्षों से गर्भधारण के लिए प्रयास के बावजूद असफल रहे हों.

  • जिन महिलाओं की उम्र 35 वर्ष से अधिक होती है और जो छह माह से गर्भधारण की कोशिश कर रही हों, उन्‍हें भी फर्टिलिटी टेस्ट करवाना चाहिए. यह याद रखना जरूरी है कि बांझपन का कारण हमेशा महिलाओं में ही नहीं होता. पुरुषों का बांझपन भी एक आम समस्या है लेकिन अक्‍सर इसकी अनदेखी कर दी जाती है.

  • ऐसे कपल्‍स को भी फर्टिलिटी टेस्ट अवश्‍य करवाना चाहिए जिन्‍हें यौन संसर्ग जनित संक्रमणों (STD) का खतरा या इतिहास रहा हो. जो एंडोमीट्रियॉसिस, पेल्विस इंफ्लेमेट्री रोग और किसी ऐसी मेडिकल कंडिशंस से प्रभावित हों, जिसकी वजह से फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है.

"अगर जोड़ा एक वर्ष से अधिक समय तक नियमित रूप से कोशिश करने के बावजूद गर्भ धारण करने में असमर्थ हैं तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए. कुछ स्थितियों में एक साल तक इंतजार करने के बजाय 6 महीनों में गर्भधारण नहीं हो तो किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है."
डॉ. स्नेहा साठे, फर्टिलिटी कंसल्टेंट, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, चेंबूर
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लाइफस्‍टाइल की वजह से फर्टिलिटी पर किस प्रकार असर पड़ता है?

"बांझपन एक मेडिकल कंडीशन है, जिसकी वजह से दुनियाभर में लाखों कपल्‍स की जिंदगी प्रभावित होती है. बांझपन के कई कारण हो सकते हैं और लाइफस्‍टाइल भी इस कंडीशन के लिए जिम्‍मेदार हो सकता है."
डॉ. अपर्णा जैन, डायरेक्‍टर-ऑब्‍सटैट्रिक्‍स एंड गाइनीकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग
  • स्‍वास्‍थ्‍य के लिए नुकसानदायक आदतें जैसे कि धूम्रपान, अधिक शराब का सेवन और नशीले पदार्थों के सेवन की वजह से महिलाओं और पुरुषों में बांझपन की शिकायत हो सकती है. इन आदतों के चलते शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा होता है, स्‍पर्म काउंट घटता है, डिंब क्‍वालिटी पर असर पड़ता है और ये सभी कारण गर्भधारण की राह में रुकावट बन सकते हैं. 

  • मोटापा भी बांझपन का कारण हो सकता है, क्‍योंकि इसकी वजह से हार्मोन बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है और यह डिंबस्राव को भी प्रभावित कर सकता है.

  • एक्सरसाइज नहीं या कम करना फर्टिलिटी पर नकारात्‍मक असर डालता है. नियमित व्‍यायाम से हार्मोन प्रोडक्‍शन को रेगुलेट करने और प्रजनन अंगों में खून का दौरा बढ़ाने में मदद मिलती है, जिससे फर्टिलिटी में सुधार होता है. 

  • तनाव भी फर्टिलिटी पर बुरा असर डाल सकता है. इसकी वजह से हार्मोन लेवल्स और महिलाओं में ओव्‍युलेशन की प्रक्रिया तथा पुरुषों में स्‍पर्म काउंट प्रभावित हो सकता है. इसलिए तनाव घटाने वाली आदतें या व्‍यायाम जैसे कि योग, ध्‍यान, काउंसलिंग से तनाव प्रबंधन कर फर्टिलिटी को प्रभावित किया जा सकता है. 

कुल-मिलाकर, यह जरूरी है कि सेहतमंद लाइफस्‍टाइल अपनाएं, पोषण युक्‍त खाद्य पदार्थों का सेवन करें, नियमित व्‍यायाम करें, धूम्रपान से बचें और शराब का सेवन कम से कम करें ताकि फर्टिलिटी में सुधार हो सके. 

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