World Contraception Day 2022: हर साल 26 सितंबर को वर्ल्ड कंट्रासेप्शन डे (World Contraception Day) के रूप में मनाया जाता है. वर्ल्ड कंट्रासेप्शन डे यानी कि विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाने का उद्देश है लोगों को परिवार नियोजन की महत्वता और कॉन्ट्रासेप्शन के तरीकों और उसके सही इस्तेमाल के बारे में बताना.
NFHS की रिपोर्ट 5 के मुताबिक देश की शादीशुदा आबादी का 99% गर्भनिरोधकों से परिचित है, पर तब भी दुनिया में प्रत्येक सात अनचाहे गर्भधारण में से एक अनचाहा गर्भधारण भारत में होता है.
99% शादीशुदा आबादी है कॉन्ट्रासेप्शन के तरीकों से परिचित
NFHS रिपोर्ट-5 के अनुसार भारत में कॉन्ट्रासेप्शन का ज्ञान अब लगभग सबको है (ग्रामीण और शहरी भारत में 99% विवाहित पुरुषों और महिलाओं को उनके बारे में पता था), वर्तमान में विवाहित आबादी का केवल 50% से थोड़ा अधिक गर्भनिरोधकों का विकल्प चुनता है.
उनका उपयोग रोजगार की स्थिति और आय के स्तर से भी निर्धारित होता है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी कि भारत में परिवार नियोजन के उपायों में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की तुलना कहीं ज्यादा है.
सभी किस्मों के परिवार नियोजन उपायों में से महिला स्टेरिलाइजेशन (female sterilisations) का हिस्सा 35% से ज्यादा है. यह सभी उपायों के एक तिहाई से ज्यादा है, जबकि पुरुष स्टेरिलाइजेशन (male sterilisations) की हिस्सेदारी केवल 0.3 फीसद है.
परिवार नियोजन में वृद्धि हुई है, वर्तमान में 15 से 49 आयु वर्ग की 66.7 विवाहित महिलाओं ने गर्भ निरोधकों का चयन किया है.
कंडोम, गोलियां, आईयूडी और इंजेक्शन सहित गर्भनिरोध के आधुनिक तरीकों का विवाहित महिलाओं में उपयोग भी 47 से बढ़कर 56.5 प्रतिशत हो चुका है.
दुनिया भर में गर्भधारण के लगभग आधे मामले अनचाहे
ऑरगेनन की साउथ एशिया में पॉलिसी एंड कम्युनिकेशन की मार्केट एक्सेस, प्राची गर्ग ने फिट हिंदी को बताया, "यूएनएफपीए (UNFPA) यानी यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड की विश्व जनसंख्या रिपोर्ट 2022 से पता चलता है कि दुनिया भर में होने वाले कुल गर्भधारण में से लगभग आधे अनचाहे होते हैं, और इनमें से 60% से ज्यादा अनचाही गर्भावस्था को गर्भपात के साथ खत्म कर दिया जाता है.".
दुनिया भर में होने वाले सभी गर्भपातों (Abortions) में लगभग 45 % गर्भपात असुरक्षित होते हैं, जो इसे मातृ मृत्यु (Maternal Mortality) का एक प्रमुख कारण बनाता है.
भारत में स्थिति कितनी खराब है?
"समाज में महिलाओं की स्थिति को समझने के लिए और प्रेग्नेंसी और चाइल्डबर्थ से संबंधित खतरों की पहचान करने के लिए मटर्नल मोर्टेलिटी रेट को मापना महत्वपूर्ण है. WHO का अनुमान है कि मटर्नल मोर्टेलिटी रेट, कम आय वाले देशों में 45 में से 1की तुलना में उच्च आय वाले देशों में 5,400 में से 1 है, जो विश्व स्तर पर आज भी मौजूद असमानताओं का उदाहरण है."मार्तण्ड कौशिक, स्पेशलिस्ट —मीडिया एंड कम्युनिकेशन, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PFI)
इस मामले में भारत की स्थिति पर प्राची गर्ग कहती हैं, "यूएनएफपीए (UNFPA) की विश्व जनसंख्या रिपोर्ट 2022 में आगे कहा गया है कि प्रत्येक सात अनचाहे गर्भधारण में से एक गर्भधारण भारत में होता है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में होने वाले कुल गर्भपात का एक तिहाई, यानी 67% गर्भपात असुरक्षित होते हैं".
दुनिया में अभी भी अनियोजित (unplanned) गर्भधारण का मुद्दा मौजूद है.
अनचाहा या अनप्लांड गर्भधारण, मां और नवजात के लिए खतरनाक
"NFHS रिपोर्ट -5 के अनुसार, एक चौथाई भारतीय महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो जाती है. उनके पास अक्सर एजेंसी और ऑटोनमी की कमी होती है और शायद ही कभी उन्हें अच्छी सेक्स एजुकेशन प्राप्त होती है. जिन क्षेत्रों में कम उम्र में विवाह अधिक कराए जाते हैं, वहां कम उम्र में प्रेगनेंसी एक स्वाभाविक परिणाम है. अक्सर ये महिलाएं गरीब सामाजिक-आर्थिक बैकग्राउंड से आती हैं, और क्योंकि अक्सर उनमें अच्छे पोषण की कमी होती है, कम उम्र में प्रेगनेंसी एक गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है."मार्तण्ड कौशिक, स्पेशलिस्ट —मीडिया एंड कम्युनिकेशन, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PFI)
यूनिसेफ (UNICEF) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 15 से 19 वर्ष की युवा महिलाओं की मौत के लिए गर्भधारण से जुड़ी समस्याएं एक प्रमुख कारण हैं.
"अनचाहा या अनप्लांड गर्भधारण (Unintended or unplanned pregnancies) महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है और यहां तक कि उनके और नवजात शिशु के लिए जीवन का खतरा भी हो सकता है."प्राची गर्ग, मार्केट एक्सेस, पॉलिसी एंड कम्युनिकेशन, साउथ एशिया, ऑरगेनन
परिवार नियोजन (Family planning) एक बुनियादी मानव अधिकार है, जो जोड़ों को अपने बच्चों की संख्या, जन्म अंतराल और समय तय करने की अनुमति देता है. यह न केवल बेहतर वित्तीय योजना (Financial Planning) प्रदान करता है बल्कि लंबी अवधि में महिलाओं के स्वास्थ्य को भी सुनिश्चित करता है.
कॉन्ट्रासेप्शन के बारे में जागरूकता की कमी
"भारत के कई हिस्सों में कॉन्ट्रासेप्शन (Contraception) के बारे में अभी भी लोग खुल कर बातचीत नहीं करते हैं. जागरूकता की कमी एक महत्वपूर्ण कारण है, जिससे अनपेक्षित (unintended) प्रेगनेंसी, अस्वच्छ और असुरक्षित परिस्थितियों में अबॉर्शन और मौतें हो सकती हैं."डॉ . मीनाक्षी आहूजा, निदेशक, प्रसूति एवं स्त्री रोग, फोर्टिस ला फेमे
डॉ . मीनाक्षी आहूजा आगे कहती हैं, "उचित शिक्षा और कॉन्ट्रासेप्शन के बारे में जानकारी अभी भी बहुत कम लोगों तक पहुंच पाती है. लोग मुख्य रूप से अपनी जानकारी अपने जान पहचान के लोगों, जैसे कि उनके दोस्तों या रिश्तेदारों से लेते हैं, जिन्हें खुद ठीक से पता नहीं होता, या फिर इंटरनेट पर देखते हैं. जहां बहुत सारी गलत जानकारी भी रहती है."
कॉन्ट्रासेप्शन तक मुश्किल पहुंच
भारत में सेक्स-एजुकेशन एक स्ट्रक्चर्ड तरीके से प्रदान नहीं की जाती है. इस कारण लोग न तो ये जानते हैं कि कौन से गर्भनिरोधक (शार्ट-एक्टिंग और लॉन्ग-एक्टिंग) उनके इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हैं और न ये कि उन गर्भनिरोधकों का प्रयोग कैसे करें. उन्हें सुरक्षित यौन प्रथाओं और सेक्शुअल हाइजीन के बारे में भी सही जानकारी नहीं होती.
"दुर्भाग्य से, कई महिलाएं अपने लिए उपलब्ध कॉन्ट्रासेप्शन विकल्पों के बारे में तभी जानती हैं, जब वे गलती से प्रेग्नेंट हो जाती हैं और उन्हें अबॉर्शन के लिए डॉक्टर के पास जाना पड़ता है."डॉ . मीनाक्षी आहूजा, निदेशक, प्रसूति एवं स्त्री रोग, फोर्टिस ला फेमे, दिल्ली
कॉन्ट्रासेप्शन पर क्या है लोगों की सोच?
दूसरे आर्टिकल के सिलसिले में फिट हिंदी से बाचीत के दौरान AIIMS, दिल्ली की डिपार्टमेंट ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की डॉ के अपर्णा शर्मा ने बताया था, "जो NFHS डेटा है इससे पता लगता है कि भारत के अधिकतर पुरुषों और महिलाओं को पता है मॉडर्न कान्ट्रसेप्शन के बारे में. उन्हें कम से कम एक मॉडर्न कांट्रेसेप्शन (modern contraception) का तरीका पता है. नए कान्ट्रसेप्शन तरीकों की जब हम बात करते हैं, तो उसमें आता है मेल और फीमेल स्टरलाइजेशन, कंडोम, पिल्स, इंजेक्टेबल्स आदि. अच्छी बात है कि अब 99% लोगों को इन बातों के बारे में पता है" ये कहना है डॉ अपर्णा का.
परिवार नियोजन में महिलाओं की भागीदारी में बढ़ती संख्या, जागरूकता के साथ-साथ उनकी मजबूरी भी दर्शाता है. मजबूरी का कारण है पुरुषों में परिवार नियोजन के प्रति उदासीनता.
कॉन्ट्रासेप्शन तक पहुंच बढ़ानी होगी
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PFI) में मीडिया एंड कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट, मार्तण्ड कौशिक कहते हैं, "लड़कियों की सामाजिक स्थिति का उनके स्वास्थ्य और कल्याण पर गहरा प्रभाव पड़ता है. हमें लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा पूरी करने, शादी देर से करने और खुद को सशक्त बनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. जैसा कि हाल के सरकारी आंकड़ों से पता चलता है, किशोरियों में एनीमिया, जो एक बड़ी समस्या बन गया है, को दूर करना बहुत जरूरी है. हमें यह समझना जरूरी है कि महिलाओं के स्वास्थ्य को वैक्यूम में नहीं देखा जा सकता है."
अपनी बात को आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा,
"हर मटर्नल मौत के पीछे कोई कारण होता है, और हमें उन सभी मौत के कारणों को खत्म करने के लिए काम करना चाहिए जिनसे बचा जा सकता था. उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अच्छी सेक्स एजुकेशन का प्रावधान और गर्भनिरोधक तक पहुंच आवश्यक है. इसलिए, स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों को समझना महत्वपूर्ण है."मार्तण्ड कौशिक, स्पेशलिस्ट —मीडिया एंड कम्युनिकेशन, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PFI)
डॉ . मीनाक्षी आहूजा फिट हिंदी से कहती हैं, "युवा पीढ़ी को सेफ सेक्स और गर्भनिरोधक विधियों (contraception methods) के बारे में जानकारी के लिए विश्वसनीय स्रोत (credible sources) की आवश्यकता होती है".
"इंटरनेट पर, सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले गर्भनिरोधक के बारे में, अवैज्ञानिक सूचना (Unscientific information) भरी पड़ी है. अफवाहों और मिथकों (hearsay and myths) को दूर करने की जरूरत है और ऐसा करने के लिए उचित रूप से स्ट्रक्चर्ड और सावधानी से तैयार की गई किशोर प्रजनन और यौन स्वास्थ्य (Adolescent reproductive and sexual health) के सरकारी प्रोग्राम्स की आवश्यकता है".डॉ . मीनाक्षी आहूजा, निदेशक, प्रसूति एवं स्त्री रोग, फोर्टिस ला फेमे, दिल्ली
एक्स्पर्ट्स के सुझाए कुछ महत्वपूर्ण उपाय:
युवाओं को एक ऐसा प्लेटफॉर्म प्रदान किया जाना चाहिए जहां वे सेफ सेक्स और अन्य स्वास्थ्य मुद्दों पर अपने प्रश्नों पर खुल कर चर्चा कर सकें और ताकि उन्हें मिथकों और गलत धारणाओं को कम करने का मौका मिले.
युवाओं को खुलकर बात करने के लिए प्रेरित करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि तभी वे सुरक्षित विकल्प चुनने के लिए पर्याप्त रूप से सशक्त होंगे.
युवाओं को सेफ और फ्रेंडली स्पेस चाहिए होता है, जहां वे सेक्शुअल हेल्थ के बारे में अपने माता-पिता, शिक्षकों या चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ खुलकर बात कर सकें. इससे उन्हें गर्भनिरोधक विकल्प चुनने, अनपेक्षित प्रेगनेंसी और सेक्सुअली ट्रान्स्मिटेड डिजीज को रोकने में मदद मिलेगी.
स्कूल और कॉलेज स्तर पर यौन शिक्षा प्रदान करना ताकि छात्रों को सही उम्र में सुरक्षित यौन तरीकों के बारे में जानकारी मिल सके.
अनियोजित गर्भधारण की घटनाओं को स्वीकार्य करना- सेक्स, गर्भपात, और अनियोजित गर्भधारण जैसे विषयों से जुड़ी सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करना.
एक समान और झिझक रहित गर्भनिरोधक सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना.
याद रखें, गर्भनिरोधक के बारे में सही जानकारी सब का अधिकार है और यह हर उस व्यक्ति के लिए उपलब्ध होनी चाहिए जो इसे उपयोग करना चाहता है.
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