क्या आपको भी सोमवार पसंद नहीं हैं? अब अपने सप्ताह की शुरुआत 36 घंटे तक बिना किसी ठोस भोजन के उपवास के साथ करने की कल्पना करें. अधिकांश लोगों के लिए यह एक नाइटमेर है, लेकिन UK के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक हर हफ्ते की शुरुआत ऐसे ही करते हैं.
देश के प्रमुख की खाने-पीने की आदतों को लेकर ऑनलाइन पर बड़ी चर्चा छिड़ गई जब संडे टाइम्स ने बताया कि वे रविवार शाम 5 बजे से अगले मंगलवार सुबह 5 बजे तक पानी, चाय और ब्लैक कॉफी के अलावा कुछ भी नहीं खाते.
सुनक को क्वोट (Quote) करते हुए BBC ने बताया कि यह उनके लिए "डिसिप्लिन में" रहने और "एक मजेदार वीकेंड के बाद संतुलित लाइफस्टाइल" बनाए रखने का एक तरीका है.
इससे पहले कि आप यह सोचना शुरू करें कि क्या आपको अपने मील प्लान में भी बदलाव करना चाहिए, इन विशेषज्ञों की बात सुनें.
एक्सपर्ट इस डाइट के बारे में क्या कह रहे हैं?
आयुर्वेदिक डॉक्टर और खेल और फिटनेस न्यूट्रीशन एक्सपर्ट डॉ. गीतांजलि जसवाल बताती हैं, "कैलोरी की कमी के इस रूप में, शरीर पहले कार्बोहाइड्रेट रिजर्व को इस्तेमाल करना शुरू करता है और उसके बाद फैट रिजर्व को, जिसके कारण वजन कम होता है."
मैक्स हेल्थकेयर, नई दिल्ली में एंडोक्राइनोलॉजी और डायबिटीज के प्रमुख डॉ. अंबरीश मिथल ने फिट को बताया, "सुनक जैसे किसी व्यक्ति के पास पोषण एक्सपर्ट्स और फिटनेस एक्सपर्ट्स की एक पूरी टीम होती है और वह फिट रहने के लिए कई चीजें करते हैं. इसलिए उनके अच्छे हेल्थ और शरीर का श्रेय एक डाइट फैड को देना और उसे कॉपी करने की कोशिश करना गलत होगा."
न्यूट्रिशन कोचों की एक ऑनलाइन न्यूट्रिशन एडवाइजरी कंपनी, न्यूट्रीवेल हेल्थ की न्यूट्रीशन एक्सपर्ट और फाउंडर डॉ. शिखा शर्मा का कहना है कि उपवास से अधिक, जो बात उन्हें चिंतित करती है वह यह है कि सुनक कथित तौर पर इस दौरान चाय और कॉफी पीते हैं, जो डॉ. शर्मा के अनुसार "शायद और भी खराब है."
"हम कभी भी उपवास में चाय पीने की सलाह नहीं देते क्योंकि चाय से कब्ज होने की आशंका बढ़ती है और यह एक अस्ट्रिन्जन्ट भी है, जो आपके शरीर में टिशू को कन्स्ट्रिक्ट करता है और एसिडिटी का कारण बन सकता है. कॉफी भी एसिडिटी का कारण बन सकती है, खासकर खाली पेट."
'उपवास करने का मतलब सिर्फ भूखा रहना नहीं है': उपवास करने का एक सही तरीका है
उपवास के संभावित स्वास्थ्य लाभों का वर्षों से बड़े पैमाने पर पता लगाया गया है. हालांकि रिसर्च के रिजल्ट आशाजनक है, पर अभी भी इसमें बहुत अस्पष्टता है और बहुत से वेरीअबल हैं, जिन पर विचार किया जाना जरुरी है.
फिट ने पहले भी इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे और नुकसान के बारे में बात की है.
डॉ. जसवाल कहती हैं, "कम समय के लिए भोजन से परहेज करके, आप अपने ओवरलोड हुए पाचन तंत्र को आराम देते हैं और यह आपके पाचन को फिर से सक्रिय करने में मदद कर सकता है. जबकि लंबे समय का उपवास सफाई, हीलिंग और रीजेनरेशन पर अधिक फोकस करता है."
डॉ मिथल कहते हैं, "लंबे समय तक उपवास करने से शरीर के सेल्स को रीजेनरेट होने में मदद मिलती है. यह भी माना जाता है कि विभिन्न प्रकार के इंटरमिटंट फास्टिंग सेलुलर डेथ को कम करने में मदद करते हैं."
"यह ऐनिमल ट्रायलों में दिखाया गया है. हालांकि, जहां तक मनुष्यों का सवाल है, इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि उपवास से कोई स्पष्ट स्वास्थ्य लाभ होता है, खासकर नियमित कम कैलोरी वाली डाइट की तुलना में."डॉ. अंबरीश मिथल
डॉ. शर्मा का कहना है कि लोग जो फास्टिंग के तरीके अपनाते हैं वे अक्सर अवैज्ञानिक और खतरनाक होते हैं.
वह कहती हैं, "वैदिक सिस्टम में आपके शरीर के आधार पर उपवास के दौरान क्या और कैसे खाना चाहिए, इसका एक बहुत सख्त प्रोटोकॉल है."
इसके अलावा, वह आगे कहती हैं, "इतने लंबे समय तक खाना पूरी तरह से बंद करना भूखे रहने के बराबर है, जो सटीक और कंट्रोल्ड तरीके से किए गए उपवास से अलग है."
न्यूट्रियों कोचों की ऑनलाइन न्यूट्रीशन कंपनसेशन कंपनी, न्यूट्रीवेल हेल्थ की फाउंडर और न्यूट्रियों एक्सपर्ट डॉ. शिखा शर्मा कहती हैं, "एक DIY (खुद से बनाए गए) उपवास जो डॉक्टर की देखरेख में नहीं किया जाता है, वह 24 घंटे से अधिक नहीं चलना चाहिए."
"यदि कोई लंबे समय तक उपवास कर रहा है, तो इसे केवल डॉक्टर की देखरेख में किया जाना चाहिए जहां आपके वाइटल्ज (ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, हार्ट रेट) की लगातार निगरानी की जाती है."डॉ. शिखा शर्मा
'उपवास हर किसी के लिए नहीं है'
"हर किसी के लिए लंबे समय तक उपवास की सिफारिश नहीं की जाती है क्योंकि यह नॉजिया, सिरदर्द, चक्कर और थकान सहित कई एडवर्स इफेक्ट से जुड़ा होता है. इससे कई व्यक्तियों में मांसपेशियों की हानि और शारीरिक गतिविधि कम हो सकती है."डॉ. गीतांजलि जसवाल
डॉ. जसवाल के अनुसार, खासकर ऐसे लोगों को लंबे समय तक का उपवास रेकमेंड नहीं किया जाता है:
जिन्हें डायबिटीज हो
जिन्हें एसिडिटी की समस्या होती है
जो गैस्ट्रिक अल्सर से पीड़ित हैं
जिन्हें इटिंग डिसऑर्डर हों
जो प्रेग्नेंट हों
जो खेलों में अत्यधिक रुचि रखते हैं और कठिन कसरत करते हैं
(संडे टाइम्स और बीबीसी से इनपुट के साथ लिखा गया.)
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