सरोगेसी (surrogacy), आईवीएफ (IVF) और आईयूआई (IUI) जैसी प्रक्रियाओं से आज करीब पूरा देश परिचित है. बड़े शहरों में ही नहीं बल्कि देश के छोटे-छोटे शहरों में भी इन्फर्टिलिटी क्लीनिक गली-मुहल्लों में किराने की दुकान की तरह खुली नजर आती है.
सरोगेसी (surrogacy), आईवीएफ (IVF) की प्रक्रिया एक फलता-फूलता व्यवसाय बन गया है, जिसमें भारतीयों में बढ़ती इन्फर्टिलिटी की समस्या ने आग में घी का काम किया है.
ऐसे में इन्फर्टिलिटी समस्या के इलाज और कानून की जानकारी होना बेहद जरूरी है.
आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे सरोगेसी (surrogacy) कानून पर. क्या हमारे देश में सरोगेसी (surrogacy) कानूनी है? सरोगेसी कौन करा सकता है? सरोगेसी (surrogacy) कानून के लिए क्या हैं सही मानदंड? सरोगेसी (surrogacy) प्रक्रिया करते समय इन्फर्टिलिटी क्लिनिक के काम करने का सही तरीका क्या है? ? सरोगेसी (surrogacy) कानून के तहत अपराध क्या है? ऐसे ही कई सवालों के जवाब हमारे एक्सपर्ट्स ने दिए.
आईवीएफ (IVF) और सरोगेसी (surrogacy) के लिए अलग-अलग कानून बने हैं. आईवीएफ के लिए बने ‘ART’ एक्ट में ही महिला एग/उसाइट डोनर (Oocyte/egg donor) के लिए भी नियम बने हैं.
क्या भारत में सरोगेसी (Surrogacy) कानूनी है?
आईवीएफ एक्सपर्ट, डॉ. आर.के.शर्मा ने फिट हिंदी को बताया कि भारत में सरोगेसी (Surrogacy) को कानूनी मान्यता मिली हुई है. वो आगे कहते हैं, "महिला जब किसी ऐसी शारीरिक समस्या से जूझ रही हों, जिसकी वजह से वो मां बनने में असमर्थ हों, तब ऐसे में वो सरोगेसी का विकल्प वो चुन सकती हैं. नई सरोगेसी एक्ट के तहत महिला या जोड़े की तरफ से “एप्रोप्रियेट अथॉरिटी” को आवेदन भेजा जाएगा. वो मामले की गंभीरता की जांच करेंगे और अगर उन्हें जांच में सब सही लगा, तो उसके आधार पर सरोगेसी की अनुमति दी जाएगी".
क्या हैं भारत में सरोगेसी (surrogacy) कानून?
बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ की कन्सल्टंट, डॉ.(प्रो) विनीता दास ने सरोगेसी (surrogacy) कानून के बारे में बताया:
भारत में सरोगेसी (रेगुलेशन) एक्ट, 2021 (2021 का 47) है. इस रेगुलेशन के तहत सरोगेसी क्लिनिक रेजिस्टर्ड होना चाहिए (फॉर्म 3) और नियुक्त कर्मचारियों को शेड्यूल 1, पार्ट 1 में निर्दिष्ट (specified) योग्यता को पूरा करना चाहिए. रेजिस्ट्रेशन 3 साल की अवधि के लिए वैध होती है. इसमें केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति है. कमर्शियल सरोगेसी की अनुमति नहीं है.
सरोगेसी क्लीनिक में कम से कम एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक एनेस्थेटिस्ट, एक एंब्रियोलॉजिस्ट (embryologist) और एक काउंसलर होना चाहिए. क्लिनिक असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी स्टेज 2 क्लीनिकों, द्वारा अडिशनल स्टाफ को नियुक्त कर सकता है. आम तौर पर डायरेक्टर, एंड्रोलॉजिस्ट और ऐसे स्टाफ की नियुक्ति करेगा जो क्लिनिक को दिन-प्रतिदिन के काम में सहायता करने के लिए आवश्यक हों.
भारतीय मूल के विवाहित जोड़े (23 से 50 वर्ष के बीच की महिला और 26 से 55 वर्ष के बीच पुरुष) / भारतीय मूल की इच्छुक महिला (35 से 45 वर्ष की आयु के बीच विधवा या तलाकशुदा) सरोगेसी की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. इच्छुक दंपत्ति “एप्रोप्रियेट अथॉरिटी” (appropriate authority) द्वारा जारी अनिवार्यता (essentiality) और पात्रता (eligibility) का प्रमाण पत्र प्राप्त करेंगे. उनका कोई जीवित बच्चा जैविक रूप से या पहले गोद लिया या सरोगेसी के माध्यम से नहीं होना चाहिए.
फॉर्म 2 (नियम 7) सरोगेट मदर की सहमति और सरोगेसी के लिए समझौते को पूरा किया जाना चाहिए. 25 से 35 वर्ष की आयु की विवाहित महिला, जिसका पहले से अपना बच्चा हो, सरोगेट मदर हो सकती है, वह भी अपने जीवनकाल में केवल एक बार. रजिस्टर्ड डॉक्टर से सरोगेसी प्रकिया से पहले होने वाली सरोगेट मदर के लिए चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक फिटनेस का प्रमाण पत्र लेना भी आवश्यक है.
गाइनकॉलजिस्ट द्वारा, ट्रीटमेंट साइकिल के दौरान एक सरोगेट मां के यूट्रस में, एक एम्ब्रियो ट्रांसफर किया जाएगा. केवल विशेष परिस्थितियों में तीन एम्ब्रियो तक ट्रांसफर किया जा सकता है
इच्छुक महिला या दंपत्ति एक बीमा कंपनी से 36 महीने की अवधि के लिए सरोगेट मां के पक्ष में एक जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कवर खरीदेंगे.
इच्छुक जोड़े/महिला को सरोगेसी की प्रक्रिया के दौरान सरोगेट मदर से संबंधित मेडिकल एक्सपेंस, स्वास्थ्य मुद्दों, स्पेसिफाइड लॉस, क्षति, बीमारी या सरोगेट मां की मृत्यु और इस तरह के अन्य निर्धारित खर्चों के लिए मुआवजे की गारंटी के रूप में अदालत में एक एफिडेविट देना होगा.
सरोगेसी का विकल्प कौन चुन सकता है?
इंडियन रिप्रोडक्टिव सोसाइटी द्वारा एक सर्वेक्षण में यह पाया गया कि 4 में से 1 जोड़े को गर्भधारण करने में कठिनाई होती है.
एक्सपर्ट्स के अनुसार सरोगेसी का विकल्प ये सभी चुन सकते हैं:
एक महिला सरोगेसी का विकल्प चुन सकती है यदि उसके पास यूट्रस नहीं है या यूट्रस मिसिंग है या ऐब्नॉर्मल यूट्रस है या गाइनेकोलॉजिकल कैंसर जैसी किसी मेडिकल कंडीशन के कारण उसके यूट्रस को सर्जिकली हटा दिया गया है.
एक अस्पष्ट चिकित्सा कारण के परिणामस्वरूप कई प्रेगनेंसी लॉस हो चुके हैं, या कोई बीमारी जिसके कारण महिला प्रेग्नेंट नहीं हो सकती या अगर प्रेगनेंसी उसकी जान के लिए खतरा है, तो सरोगेसी का विकल्प चुना जा सकता है.
हेट्रोसेक्शुअल कपल जिसमें पुरुष की आयु 26 से 55 वर्ष, और महिला की आयु 25 से 50 वर्ष हो.
कपल कम से कम पांच वर्ष से विवाहित हों.
उनका कोई अन्य जैविक, गोद लिया या सरोगेट बच्चा नहीं होना चाहिए (या फिर बच्चा मानसिक या फिजिकल रूप चैलेंज्ड हो या उसे कोई लाइफ-थ्रेटनिंग डिसऑर्डर हो)
क्या कोई अकेला व्यक्ति/सेम-सेक्स/क्वियर सरोगेसी (surrogacy) का विकल्प चुन सकता है?
भारतीय कानून में सिंगल व्यक्तियों, सेम-सेक्स या क्वियर संबंधों में शामिल व्यक्तियों को शामिल नहीं किया गया है.
सरोगेट मदर कौन हो सकती है?
"बच्चे का रंग, कद, स्वभाव जैसी बातें स्पर्म और एग पर निर्भर करती है. सरोगेट मां केवल 9 महीने के लिए बच्चे को अपने गर्भ में रखती है. यदि प्राप्तकर्ता मां या पिता अपना एग या स्पर्म देने में सक्षम नहीं है, तो डोनर एग या स्पर्म लिया जाता है. किसी भी स्थिति में सरोगेट मदर के एग का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.डॉ प्राची बेनारा, सीनियर कन्सल्टंट , बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ
सरोगेसी कानून के अनुसार, सरोगेट मदर बनने के लिए इन क्राइटेरिया को पूरा करना जरूरी है:
एक सरोगेट मां को कपल का एक करीबी रिश्तेदार होना चाहिए
सरोगेट मदर एक विवाहित महिला होनी चाहिए और उसके अपने बच्चे होने चाहिए
उसकी उम्र 25-35 वर्ष के बीच होनी चाहिए और वह जीवन में केवल एक बार सरोगेट बन सकती है
उसके पास सरोगेसी के लिए मेडिकल और साइकोलॉजिकल फिटनेस का सर्टिफिकेट होना चाहिए
सरोगेट मां पर सरोगेसी प्रक्रिया तीन बार से अधिक नहीं होनी चाहिए. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के अनुसार सरोगेसी की प्रक्रिया के दौरान सरोगेट मदर अबॉर्शन करा सकती है.
सरोगेसी (surrogacy) कानून के तहत अपराध क्या हैं?
"सरोगेसी के लिए एक निश्चित उम्र होनी चाहिए और उनका एक बच्चा होना चाहिए. यह शोषण को रोकता है क्योंकि बहुत सारे बिचौलिए और डोनर लाभ उठाते हैं. कई बार महिलाएं और परिवार इसे आर्थिक लाभ के लिए करना चाहते हैं. सरकार के नियम शोषण पर अंकुश लगाने में मदद कर रहे हैं और साथ ही व्यवस्था केंद्रीकृत होती जा रही है. यह समझना महत्वपूर्ण है कि न तो यह पेशा है, न ही किसी प्रकार का व्यवसाय."डॉ प्राची बेनारा, सीनियर कन्सल्टंट , बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ
डॉ.(प्रो) विनीता दास बताती हैं कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा गठित किए जाने वाले राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड और राज्य सरोगेसी बोर्ड को सरोगेसी क्लीनिकों में स्टैंडर्ड को लागू करने और उल्लंघनों की जांच करने का काम सौंपा गया है.
कमर्शियल सरोगेसी करने 10 साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे का अबैन्डनमेन्ट, डिस-ओनर्शिप या शोषण करने पर 10 साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
सरोगेट मां का शोषण करने पर 10 साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
सरोगेसी के उद्देश्य से एम्ब्रियो या गैमीट्स की बिक्री, आयात या व्यापार करने पर 10 साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
लिंग चयन करने पर भी 10 साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
सरोगेसी क्लिनिक में काम करने वाला और सरोगेसी करने वाला कोई भी व्यक्ति, यदि अधिनियम और नियमों और विनियमों के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है, तो उसे 5 साल तक की कैद और 10 लाख तक के जुर्माने की सजा दी जा सकती है. अपराध जारी रहने की स्थिति में रेजिस्ट्रेशन का निलंबन भी 5 साल के लिए किया जा सकता है.
किसी भी उल्लंघन के लिए जहां अधिनियम में कोई दंड प्रदान नहीं किया गया है, जेल को 5 लाख तक के जुर्माने के साथ 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है और उल्लंघन जारी रखने के मामले में 10,000 रुपये / दिन तक का अतिरिक्त जुर्माना दिया जा सकता है.
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