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Thyroid In Children|थायरॉयड की समस्या-बच्चों के विकास पर प्रभाव, ऐसे करें बचाव

बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में रुकावट बनता थायरॉयड प्रॉब्लम

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थायरॉयड को बढ़ती उम्र और खास कर महिलाओं में होने वाली बीमारियों में गिना जाता था लेकिन अब युवा और बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं. खराब जीवन-शैली और अनहेल्दी खानपान के कारण थायरॉयड की बीमारी आज के समय में बहुत ही आम समस्या बन चुकी है.

आजकल थायरॉयड की बीमारी छोटे बच्चों में भी देखने को मिल रही है. थायरॉयड में समस्या के लक्षणों को पहचानना आसान नहीं है. पर बात जब छोटे बच्चों की आती है, तो इसे पहचानना और भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं बच्चों में कैसे करें इस बीमारी की पहचान और क्या हैं बचाव के तरीके.

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इससे ग्रसित होने के बाद मरीज कई तरह की शारीरिक समस्याओं की चपेट में आ जाता है.

थायरॉयड किसे कहते हैं?

थायरॉयड एक तितली के आकार का ऑर्गन होता है, जो गर्दन में विंडपाइप के सामने होता है. यह ऑर्गन हार्मोन (टी3 और टी4) का निर्माण करता है. शरीर की सभी कोशिकाओं को ठीक से काम करने के लिए थायरॉयड हार्मोन की आवश्यकता होती है. थायरॉयड हार्मोन शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करने का काम करते हैं, जैसे शरीर कितनी तेजी से ऊर्जा का उपयोग करता है और हृदय कितनी तेजी से धड़कता है.

“दिमागी विकास के लिए जरूरी है थायरॉयड हार्मोन. जिस भी बच्चे में जीवन के पहले 7 साल में थायरॉइड कम सक्रिय होता है, वह इस हालत में मानसिक रूप से विकलांग हो सकता है.”
डॉ किशोर कुमार, नोनटोलॉजिस्ट, चेयरमैन क्लाउडनाइन हॉस्पिटल्स

वहीं मैक्स हॉस्पिटल,पटपड़गंज में पीडियाट्रिक एंडोक्रिनोलॉजिस्ट की कन्सल्टंट डॉ मनप्रीत सेठी का कहना है,

“हर बॉडी के फंक्शन में थायरॉयड हार्मोन का महत्व है. जब हम कहते कि किसी को थायरॉयड हो गया इसका मतलब है उस व्यक्ति के थायरॉयड ग्लैड के हार्मोन में कोई प्रॉब्लम हो गई है. अगर थायरॉयड हार्मोन कम बन रहा हो तो, उसे हम हाइपो थायरॉयड कहते हैं. यह रेयर कंडिशन होती है. या किसी का थायरॉयड हार्मोन बहुत ज्यादा बन रहा है, उस स्थिति को हम हाइपर थायरॉयड कहते हैं.”
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बच्चे हों या बड़े दोनों में दो प्रकार के थायरॉयड प्रॉब्लम्स पाए जाते हैं.

हाइपोथायरायडिज्म - इस स्थिति में थायरॉयड ग्लैंड हार्मोंस का निर्माण कम कर देता है. जिसकी वजह से कई स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां होने लगती हैं.

हाइपरथायरायडिज्म - इस स्थिति में थायरॉयड ग्लैंड जरूरत से ज्यादा हार्मोंस बनाने लगता है, जो शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है.

बच्चों में थायरॉयड के लक्षण क्या हैं?

“ग्रोथ फेलियर यानी कि ग्रोथ अच्छे से नहीं होती है. बच्चों की हाइट पर ज्यादा असर पड़ता है. काफी महीनों और सालों तक उनके कपड़े और जूते छोटे नहीं होते हैं. वजन पर भी असर पड़ सकता है. साथ ही बच्चे के मानसिक विकास और फिटनेस पर भी असर पड़ता है. सांस लेने में परेशानी भी होती है" ये कहना है डॉ मनप्रीत का.

छोटे बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण

  • विकास की धीमी गति

  • देर से दांत निकलना

  • स्कूल में बिगड़ा हुआ प्रदर्शन

  • ऊर्जा की कमी

  • सुस्ती रहना

  • कब्ज

  • ड्राई स्किन

किशोरों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण

  • विकास धीमी गति से होना

  • बाल झड़ना

  • आवाज का कर्कश होना

  • वजन बढ़ना

  • याददाश्त कमजोर होना

  • कब्ज की समस्या

  • अनियमित मासिक धर्म

एडोलिसेंट लड़कियों की बात की जाए तो:

छोटे बच्चों में हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण

  • धड़कन बढ़ना

  • चिड़चिड़ापन

  • अत्यधिक पसीना

  • वजन न बढ़ना

  • चढ़ी हुई आंखें

  • कंपकंपी

  • हाइपर अलर्ट


किशोरों में हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण

  • थायरॉयड ग्रंथि का बड़ा होना

  • सांस लेने में समस्या

  • थकान महसूस होना

  • वजन का घटना या बढ़ना

  • बेचैनी और घबराहट महसूस होना

  • गर्मी ज्यादा महसूस होना

  • दस्त लगना

  • आंखों में सूजन

हमारे विशेषज्ञ के अनुसार, सामान्य टीएसएच (TSH) यानी थायरॉयड स्टिमुलेटिंग हार्मोन टेस्ट रेंज बच्चों में अलग-अलग उम्र के आधार पर भिन्न होते हैं और दिन/रात के दौरान भी बदलते रहते हैं. हमें इसकी तुलना उस उम्र के नामोग्राम से करनी होगी.
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बच्चों में थायरॉयड के कारण

बच्चों में थायरॉयड की समस्या इन दिए गए कारणों से हो सकती है:

  • जन्मजात थायरॉयड की समस्या – जो समय से पहले जन्म लेते हैं, डाउन सिंड्रोम समस्या (एक प्रकार का आनुवांशिक विकार जिसमें बच्चों का विकास बाधित होता है) के साथ पैदा होते हैं, उनमें जन्मजात थायरॉयड विकार (disorder) होने का खतरा हो सकता है. वहीं कभी-कभी ऑटोइम्यून थायरॉयड से पीड़ित मां से भी बच्चे को थायरॉयड की समस्या हो सकती है.

डॉ मनप्रीत सेठी कहती हैं, “इस कंडीशन में न्यू बोर्न/नवजात बच्चे का थायरॉयड ग्लैंड, थायरॉयड हार्मोन नहीं बना रहा होता और जब वह अपने मां के गर्भ में होता है, तब मां का थायरॉयड हार्मोन बच्चे को पहुंचता रहता है और उसका विकास होता रहता है लेकिन जब बच्चा पैदा होता है, तो वह अपने थायरॉयड पर आश्रित हो जाता है. जिन बच्चों में किसी कारणवश अपना थायरॉयड हार्मोन नहीं बन रहा होता है उस स्थिति को हम कंजेटियल हाइपोथाइरॉएडिज्म कहते हैं. कंजेटियल हाइपोथाइरॉएडिज्म का पता जन्म के दो तीन दिन के अंदर चल जाता है. इसका इलाज बहुत ही आसान है".

"उसको सस्पेक्ट और डायग्नोज करना मुश्किल है. ट्रीटमेंट बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है. ट्रीटमेंट के लिए एक सिंपल सी थायरॉयड की गोली हमें देनी होती है”.
डॉ मनप्रीत सेठी
  • ऑटोइम्यून थायरॉयड – यह ऐसी अवस्था होती है, जिसमें शरीर की इम्यूनिटी थायरॉयड ग्रंथि को नुकसान पहुंचाने का काम करती है. ऑटोइम्यून थायरॉयड कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि:

  • हाशिमोटो थायरोडिटिस : हाशिमोटो थायरोडिटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम थायरॉयड ग्लैंड को नुकसान पहुंचाने का काम करता है, जिससे थायरायड ग्लैंड पर्याप्त हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाता है.

  • ग्रेव्स नामक बीमारी : ग्रेव्स रोग भी एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसे ऑटोइम्यून थायरॉयड का एक बड़ा कारण माना जा सकता है. इस बीमारी में शरीर का इम्यून सिस्टम, थायरॉयड ग्लैंड में ऐसा विकार (disorder) पैदा करता है, जिससे जरूरत से ज्यादा थायरॉयड हार्मोन बनने लगते हैं.

बच्चों में थायरॉयड के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे:

  • खाने में आयोडीन की कमी : बच्चों के आहार में आयोडीन की कमी के कारण भी थायरॉयड की समस्या हो सकती है.

  • सेंट्रल थायरॉयड: इस तरह की समस्या पिट्यूटरी ग्लैंड में विकार के कारण हो सकती है. ये विकार जन्मजात हो सकता है या फिर सिर में चोट व ट्रामा सर्जरी के रिजल्ट के रूप में सामने आ सकता है.

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बच्चों में थायरॉयड के कारण होने वाली समस्याएं 

"कम उम्र में थायरॉयड की समस्या या तो विकास न होने की वजह से या एक्टोपिक के कारण हो सकती है, जिसका अर्थ है कि थायरॉयड गर्दन के अलावा कहीं और मौजूद है या सामान्य रूप से मौजूद थायरॉयड ग्रंथि में थायरॉयड हार्मोन के निर्माण में समस्या हो सकती है. यदि थायरोक्सिन हार्मोन पर्याप्त मात्रा में मौजूद नहीं है, तो यह मस्तिष्क के विकास को धीमा कर सकता है."
डॉ किशोर कुमार

बच्चों में थायरॉयड की समस्या के लक्षणों पहचानना मुश्किल हो जाता है. वहीं अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो उसका रिजल्ट कभी-कभी गंभीर भी हो सकता है.

  • थायरॉयड में समस्या बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डाल सकता है

  • यह समस्या बच्चों में हार्ट सम्बंधी परेशानियों का कारण भी बन सकती है

  • कुछ मामलों में देखा गया है कि ये आगे चलकर थायरॉयड ग्लैंड में कैंसर का रूप ले लेता है

थायरॉइड की समस्या का पता लगाने के लिया जन्म के समय सभी बच्चों की जांच अवश्य करानी चाहिए.

थायरॉयड का इलाज

थायरॉयड समस्या का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे में इस बीमारी का मुख्य कारण क्या है.

  • हार्मोन की कमी की स्थिति में डॉक्टर द्वारा हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की जा सकती है

  • 'अंडरएक्टिव थायरॉयड' के लिए डॉक्टर थायरोक्सिन की सलाह देते हैं

  • थायरॉयड से पीड़ित कुछ बच्चों में मेंटल डिसऑर्डर भी देखने को मिल सकता है, इसलिए डॉक्टर माता-पिता को बच्चे के पालन पोषण के लिए विशेष दिशानिर्देश दे सकते हैं

  • हार्मोन की कमी नहीं होने पर, ज्यादातर डॉक्टर इलाज या दवाई की जगह रोजाना ऑब्जर्वेशन की सलाह देते हैं

  • डॉक्टर परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए कुछ विशेष दवाइयां दे सकते हैं, रेडियोआयोडिन थेरेपी कर सकते हैं या थायरॉयड सर्जरी कर सकते हैं

आमतौर पर ब्लड टेस्ट के जरिए इस समस्या का पता लग जाता है.
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कैसे समझें बच्चे को थायरॉयड की प्रॉब्लम है

परिवार में थायरॉयड की हिस्ट्री हो तो माता-पिता को सजग रहने की आवश्यकता है.

अगर बच्चे में नीचे दिए गए लक्षण साफ नजर आ रहे हों, तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें:

  • बच्चा अगर महीनों से सुस्त रह रहा हो

  • लंबे समय से खेलने कूदने की जगह बैठना पसंद करे

  • बच्चे की हाइट नहीं बढ़ रही हो पर वजन बढ़ रहा हो

  • कब्ज की समस्या लगातार बनी हुई हो

  • ड्राई स्किन

  • हेयर फॉल

  • बच्चे के गले में कुछ उभार सा दिखे

  • चेहरे में सूजन

  • सुबह-शाम हाथ पैर में सूजन

  • छोटे बच्चे में दांत देर से आना

दवाइयों को अपने मन से बंद नहीं करना चाहिए, जब तक कि डाक्टर उसे बंद करने को न कहें.

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