केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने नरेंद्र दाभोलकर (Narendra Dabholkar) हत्या मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) को अपने जवाब में बताया कि वीरेंद्र तावड़े "समाज के लिए एक गंभीर खतरा" है. शुक्रवार, 11 फरवरी को बार एंड बेंच में छपी खबर के मुताबिक, सीबीआई ने अनुरोध किया है कि दाभोलकर हत्याकांड का मुख्य आरोपी विरेंद्र तावड़े की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया जाए.
जवाब में बताया गया कि कैसे सार्वजनिक स्थान पर तावड़े के अपराध जनता में भय की भावना पैदा कर सकते हैं, जहां कोई भी कहीं भी अपराध कर सकता है.
तावड़े पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत सुनियोजित हत्या का आरोप लगाया गया है. जवाब में बताया गया कि ये हत्या आरोपी और पीड़ित के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी का परिणाम था.
जवाब में यह भी कहा गया कि तावड़े को हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ दुर्गेश सामंत ने 2007 में दाभोलकर के अंधश्रद्धा निर्मूलन विधेयक (अंधविश्वास प्रथा उन्मूलन विधेयक) पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया था.
क्या है नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड?
नरेंद्र दाभोलकर महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (MANS) के संस्थापक थे, जो एक ऐसा संगठन था जिसने महाराष्ट्र में अंधविश्वासों को मिटाने की दिशा में काम किया है. 20 अगस्त 2013 को पुणे में जब दाभोलकर ओंकारेश्वर मंदिर के पास सुबह सैर कर रहे थे तब उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
2016 में हुई घटना के तीन साल बाद सीबीआई ने तावड़े को गिरफ्तार किया था और उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) और धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप लगाए गए थे.
उसके बाद तावड़े को मामले में मुख्य साजिशकर्ता नामित किया गया था. सीबीआई ने विशेष अदालत में यूएपीए के आवेदन के लिए दलील दी थी, जिसे बाद में जोड़ा गया.
विशेष अदालत में तावड़े की पहले की तीन जमानत याचिकाएं बाद में खारिज कर दी गईं, जिसके बाद उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय में एक और याचिका डाली.
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