यूपी (UP) के बस्ती से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक व्यापारी को किराया न देने वाले सिपाही को घर से निकालने के लिए 20 साल की सजा सुनाई गई. पुलिस की साजिश का शिकार ये शख्स अब जाकर अपनी बेगुनाही साबित कर पाया है. मामले सामने आने के बाद, अब इसकी चर्चा हो रही है.
क्या है मामला?
पीड़ित व्यापारी अब्दुल अय्यूब की मानें तो, उन्होंने खुर्शीद आलम नाम के सिपाही को किराये पर घर दिया था, लेकिन वो लंबे समय तक किराया नहीं दे रहा था, जिसके बाद व्यापारी ने उन्हें घर से निकाल दिया.
घर से निकाले जाने के बाद से सिपाही ताक में बैठता था. उसने कुछ मुजरिम को किसी मामले में पकड़ा और मुझे भी उसी में फंसा दिया.अब्दुल अय्यूब, पीड़ित व्यापारी
पुलिस ने अय्यूब को कैसे फंसाया?
जानकारी के अनुसार, पुलिस ने हड़िया के पास से 14 मार्च 2003 को कथित तौर पर अय्यूब के पास से एक करोड़ की लागत वाली 25 ग्राम हीरोइन बरामद किया था. हैरानी की बात यह है कि उस वक्त अय्यूब के पास एक भी रुपया नहीं मिला था.
बताया जा रहा है कि खुर्शीद आलम नाम के सिपाही ने तत्कालीन सीओ सिटी अनिल सिंह, एसओ पुरानी बस्ती लालजी यादव और एसआई नर्मदेश्वर शुक्ला के साथ मिलकर पूरे मामले को अंजाम दिया.
अय्यूब का चौपट हुआ कोरोबार
पुलिस ने अय्यूब को फर्जी तरीके से दोषी साबित करने के लिए बाजार में बिकने वाले पाउडर को हीरोइन बताकर बरामद किया और फिर उसे जाल में डाल दिया. अय्यूब की मानें तो, 20 साल तक वो मुकदमा लड़ता रहा. इस दौरान उसके मां की मृत्यु हो गई, उसका सीमेंट और सरिया का व्यवसाय बंद हो गया, वो आर्थिक तरीके से पूरी तरह टूट गया, लेकिन 20 साल बाद जाकर उसे न्याय मिल सका.
अय्यूब को कैसे मिला न्याय?
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश विजय कुमार कटियार ने पुलिस के दावे को पूरी तरीके से खारिज कर दिया. उन्होंने नमून की पहचान के लिए लखनऊ से 2 वैज्ञानिकों को बुलाया, जिन्होंने बताया कि जिस हीरोइन का नमूना जांच के लिए दिल्ली भेजा गया था, उसमें हेराफेरी की गई है.
वैज्ञानिकों ने अदालत को बताया कि हीरोइन का रंग कभी नहीं बदलता है. दिल्ली की जांच में भूरा रंग का हीरोइन बदलकर भेजा गया है. इस पर अभियोजन पक्ष की दलील थी कि जलवायु में परिवर्तन के कारण हीरोइन का रंग बदल गया है.
हालांकि, वैज्ञानिक अदालत को यह समझाने में सफल हुए कि सैंपल में छेड़छाड़ हुई है, जिसके बाद कोर्ट ने माना का पुलिस ने पूरे मामले को गलत ढंग से पेश किया है. इस पूरे मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से चार गवाह पेश किये गये. वहीं, जज विजय कुमार कटियार के निर्णय की अब, हर तरफ तारीफ हो रही है.
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