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चंडीगढ़ पर पंजाब-हरियाणा और केंद्र ही नहीं हिमाचल का भी दावा- विवाद की जड़ क्या?

साल 1952 में चंडीगढ़ शहर की स्थापना हुई थी जिसे संयुक्त पंजाब की राजधानी बनाया गया था.

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भारत
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चंडीगढ़ (Chandigarh) एक बार फिर सुर्खियों में है. विवाद चंडीगढ़ के अधिकार को लेकर है. पंजाब (Punjab), हरियाणा (Haryana) और केंद्र सरकार (Central Government) आमने-सामने है. चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्र सरकार के नियम लागू करने के फैसले का विरोध शुरू हो गया है. इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने विधानसभा में चंडीगढ़ को पंजाब में तुरंत शामिल करने का एक प्रस्ताव पास किया है. तो वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) का कहना है कि ऐसे प्रस्ताव पहले भी आ चुके हैं. चंडीगढ़ पर हरियाणा का भी उतना ही हक है.

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'पंजाब के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा'

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने कहा कि आज केंद्र की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया है. उन्होंने ट्वीट किया कि चंडीगढ़ पर पंजाब के हक के लिए हर स्तर पर आवाज उठाई जाएगी. देश के लिए गोली खाने के लिए सबसे पहले अपना सीना आगे करने वाले शूरवीरों की धरती पंजाब के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

इन सब दावों के बीच समझने की कोशिश करते हैं कि आखिरकार चंडीगढ़ को लेकर विवाद है क्या ?

चंडीगढ़ का इतिहास

चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की राजधानी है और दोनों राज्यों के बीच इसे लेकर विवाद भी है. दरअसल, 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान पंजाब भी दो भाग में बंट गया. एक हिस्सा भारत में आया और दूसरा हिस्सा पाकिस्तान में चला गया. बंटवारे से पहले लाहौर पंजाब की राजधानी हुआ करती थी जो पाकिस्तान में जा चुका था. ऐसे में पंजाब को अपनी नई राजधानी चाहिए थी.

काफी चर्चा के बाद 1952 में चंडीगढ़ शहर की स्थापना हुई, जिसे पंजाब की राजधानी बनाया गया.

कब शुरु हुआ विवाद ?

करीब 14 साल तक चंडीगढ़ को लेकर कोई विवाद नहीं था. विवाद की शुरुआत 1966 में हुई, जब पंजाब का पुनर्गठन एक्ट पास किया गया. इस एक्ट के पास होने के बाद हरियाणा नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. वहीं चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करते हुए पंजाब और हरियाणा दोनों की संयुक्त राजधानी बनाया गया.

पंजाब पुनर्गठन एक्ट में ये भी तय किया कि चंडीगढ़ की संपत्तियों का 60 फीसदी हिस्सा पंजाब और 40 फीसदी हिस्सा हरियाणा को मिलेगा.

1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता

चंडीगढ़ पर पंजाब शुरू से दावा करता आ रहा है. पंजाब ने कई बार 1985 में हुए राजीव-लोंगोवाल समझौते का भी हवाला दिया है. जिसके तहत अगस्त 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच एक समझौता हुआ था.

इस समझौते के अनुसार, चंडीगढ़ को 1983 में पंजाब में सौंपना तय हुआ था. और हरियाणा की अलग राजधानी बनाने की बात थी. लेकिन कुछ प्रशासनिक कारणों के चलते इस हस्तांतरण में देरी हुई और यह मामला अधर में अटक गया.

चंडीगढ़ पर हिमाचल का भी दावा

पंजाब, हरियाणा के अलावा चंडीगढ़ पर हिमाचल प्रदेश भी अपना दावा करता है. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2011 में अपने एक आदेश में कहा था कि, पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ की 7.19 फीसदी जमीन पर हिमाचल का भी हक है.

क्या है केंद्र सरकार का आदेश ?

केंद्र सरकार के नए नोटिफिकेशन के मुताबिक चंडीगढ़ के 22 हजार सरकारी कर्मचारी केंद्रीय कर्मचारी हो गए हैं. नए नियमों के तहत ग्रुप ए, बी और सी ग्रेड के कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र 58 से बढ़कर 60 हो गई है. वहीं फोर्थ ग्रेड में रिटायरमेंट की उम्र 60 से 62 वर्ष हो गई है. जिसके बाद पंजाब और केंद्र सरकार आमने सामने आ गई है.

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