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अपनी बदहाली के विज्ञापन देने को मजबूर कपड़ा इंडस्ट्री, जमकर छंटनी

टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने अपने कारोबार की खराब हालत पर लोगों और सरकार का ध्यान खींचने के लिए इश्तेहार निकाला है.

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भारत
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अपने फलते-फूलते कारोबार को लेकर लोग खूब इश्तेहार छपवाते हैं. नई-नई विस्तार योजनाओं के साथ कंपनियां खूब एडवर्टाइजमेंट छपवाती हैं. लेकिन आज के कुछ अखबारों में टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन ने जो विज्ञापन दिया है वो इसके उलट है. टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने अपने कारोबार की खराब हालत पर लोगों और सरकार का ध्यान खींचने के लिए इश्तेहार निकाला है.

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नॉर्दन इंडिया टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन ने आज कुछ अखबारों में ये विज्ञापन निकाला है-

टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने अपने कारोबार की खराब हालत पर लोगों और सरकार का ध्यान खींचने के लिए इश्तेहार निकाला है.
स्क्रीनशॉट- इंडियन एक्सप्रेस ई पेपर
टेक्सटाइल सेक्टर में जा रही नौकरियों पर  इश्तेहार

विज्ञापन का टाइटल है- Indian Spinning Industry Facing Biggest Crisis, Resulting in Huge Job Loses. मतलब भारत का बुनकर उद्योग एक बड़े संकट से गुजर रहा है और इसकी वजह से इस इंडस्ट्री भारी मात्रा में नौकरियां जा रही हैं.

  • टेक्सटाइल इंडस्ट्री का मानना है कि ये इंडस्ट्री 2010-11 की तरह ही बड़े संकट से गुजर रही है.
  • राज्य और केंद्र सरकार के टैक्स और कई तरह की लेवीज की वजह से भारत का ऊन महंगा हो जाता है जिससे ये ग्लोबल मार्केट में प्रतियोगिता नहीं कर पा रहा है.
  • इंडस्ट्री को कर्ज ही महंगा मिल रहा है.
  • कच्चा माल भी भारत में महंगा है. इसकी वजह से भारतीय मिलों को प्रति किलो 20-25 रुपये का नुकसान हो रहा है.
  • बांग्लादेश, श्रीलंका और इंडोनेशिया से सस्ता इंपोर्ट भी इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचा रहा है.
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क्यों अहम है टेक्सटाइल इंडस्ट्री

इस विज्ञापन के मुताबिक दावा किया गया है कि इन वजहों से टेक्सटाइल इंडस्ट्री का एक्सपोर्ट पुछले साल के मुकाबले (अप्रैल-जून) करीब 35% घटा है. इससे इंडस्ट्री की एक तिहाई क्षमता भी कम हुई है. मिलें इस हैसियत में नहीं रह गई हैं कि वो भारतीय कपास को खरीद सकें. साथ ही अब इंडस्ट्री में नौकरियां भी जाना शुरू हो गई हैं.

बता दें कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री करीब 10 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देती है. साथ ही ये इंडस्ट्री किसानों के उत्पाद जैसे कपास, जूट वगैरह भी खरीदती है. इंडस्ट्री इस पर सरकार का ध्यान खींचना चाहती है कि सरकार इस इंडस्ट्री की दिक्कतों को हल करने के बारे में सोचे.

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ऑटो इंडस्ट्री हालत पहले ही खस्ता

ऑटो सेक्टर में मंदी छाई हुई है. कारों की बिक्री में 19 साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है. इसके चलते ऑटो सेक्टर में 15,000 लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं और 10 लाख से ज्यादा नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है.सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटो मोबाइल मैन्यूफेचर्स (SIAM) की 13 अगस्त को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कुल कार बिक्री जुलाई में 18.71 फीसदी गिरकर 18,25,148 रही जो जुलाई 2018 में 22,45,223 थी. ये दिसंबर 2000 के बाद कार बिक्री में आयी सबसे बड़ी गिरावट है.

राजन ने भी कहा है- हालात इस बार बेहद खराब

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि देश में स्लोडाउन भारी चिंता की बात है. सरकार को जल्द से जल्द बिजली और एनबीएफसी सेक्टर के संकट से निपटना होगा और प्राइवेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए सुधार लागू करने होंगे

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