अटल बिहारी वाजपेयी वो शख्स जिन्होंने बीजेपी को शून्य से शिखर पर पहुंचाया अब वो इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी में भी बीजेपी उनके नाम के सहारे आने वाले चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है. आने वाले कुछ महीनों में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और वहीं लोकसभा का संग्राम भी, ऐसे में बीजेपी अटल के नाम पर चुनावी समर में उतरने के लिए तैयार है.
अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियों की कलश यात्रा पूरे देश में निकाली जा रही है. मध्यप्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक अटल के नाम पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. योगी सरकार भी उनकी अस्थियों को राज्य के 75 जिलों की कई नदियों में विसर्जित करने का ऐलान कर चुकी है. इसके अलावा कई जिलों में स्मारक बनाने का भी ऐलान किया गया है.
अटल के नाम पर मध्यप्रदेश का चुनाव
अटल बिहारी वाजपेयी का मध्यप्रदेश से गहरा रिश्ता रहा है, ग्वालियर में उनका बचपन बीता और पढ़ाई हुई. यहीं से 1984 में अटल बिहारी ने कांग्रेस के माधवराव सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ा था हालांकि उनको हार का सामना करना पड़ा था.
1991 में अटल बिहारी विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़े. हालांकि लखनऊ से भी जीतने की वजह से उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था. वाजपेयी की खाली की गई सीट से ही शिवराज सिंह लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने थे.
पिछले 15 सालों से मध्यप्रदेश में बीजेपी की सत्ता है और अब चौथी बार सत्ता तक पहुंचने के लिए पार्टी फिर अटल के नाम के सहारे है. मध्यप्रदेश में बीजेपी कार्यकर्ता अटल बिहारी का संदेश लेकर घर-घर जाएंगे. वहीं अटल को श्रद्धांजलि देने के लिए 25 से 30 अगस्त तक सभा का आयोजन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले ही रेलवे स्टेशन से लेकर स्मार्ट सिटी तक का नामकरण वाजपेयी के नाम पर करने का ऐलान कर चुके हैं. स्कूल की किताबों में भी अटल की जीवनी पढाई जाएगी.
छत्तीसगढ़ का चुनाव भी अटल के नाम
छत्तीसगढ़ में भी अटल के नाम पर चुनाव लड़ने की तैयारी है. सीएम रमन सिंह ने 10 हजार ग्राम पंचायतों में अटल चौक के निर्माण का फैसला किया है. इसके साथ ही सभी जिलों में कम से कम एक महत्तपूर्ण इमारत का नाम अटल के नाम पर रहेगा. चुनाव से पहले पूरा छत्तीसगढ़ ही अटलमय हो गया है, नया रायपुर का नाम बदलकर अटल नगर कर दिया जाएगा. वहीं बिलासपुर यूनिवर्सिटी भी अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी के नाम से जानी जाएगी. बीजेपी के इस चुनावी रणनीति पर प्रदेश कांग्रेस ने ऐतराज जताया है, कांग्रेस का कहना है कि पिछले 9 सालों से किसी को अटल की याद नहीं आ रही थी, लेकिन अचानक उनके निधन के बाद और चुनाव के ठीक पहले आखिर क्यों उनकी इतनी याद आने लगी है.
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यूपी में चल रहा है मेगा इवेंट
विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में भी अटल का खूब इस्तेमाल करने की तैयारी है. अटल बिहारी वाजपेयी का बचपन भले ही ग्वालियर की गलियों में बीता, लेकिन उनकी असली कर्मभूमि तो उत्तरप्रदेश है. उन्होंने पहला चुनाव भी यूपी से ही लड़ा और यहीं से जीतकर वो भारत के प्रधानमंत्री बने. अटल ने 1991 में लखनऊ और विदिशा दोनों लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा और दोनों पर जीते थे. जब एक सीट छोड़ना हुआ तो अटल ने विदिशा की सीट छोड़कर लखनऊ की सीट अपने पास रखी.
सबसे बड़ा मेगा इवेंट तो यूपी में चल रहा है. 80 लोकसभा सीटों वाले यूपी में पिछले उपचुनावों में मिली हार के बाद अब बीजेपी को अटल का ही सहारा है. योगी सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियों का 42 नदियों में विसर्जन कर रही है. उनकी अस्थि कलश यात्रा 80 लोकसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी. इसमें 350 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्र कवर होंगे. इस यात्रा में प्रदेश सरकार के एक मंत्री और साथ ही क्षेत्र के सांसद, विधायक और केंद्रीय मंत्री भी रहेंगे.
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19 अगस्त को हरिद्वार के हर की पौड़ी में खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ ने वाजपेयी की अस्थियों को प्रवाहित किया था.
अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के लिए 22 अगस्त को भी दिल्ली में मेगा इवेंट रखा गया. जहां खुद पीएम नरेंद्र मोदी मौजूद रहे. पीएम के साथ-साथ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज भी मौजूद थीं.
जिस पार्टी को अटल ने 50 साल दिए अब इस दुनिया से जाने के बाद भी अटल अपनी पार्टी के लिए संकटमोचन बन गए हैं.
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