सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद कर्नाटक में उठा तूफान कुछ देर के लिए शांत हुआ था, लेकिन अब तीसरी सुनवाई से ठीक एक दिन पहले बागी विधायकों ने फिर नया विवाद खड़ा कर दिया है. मुंबई के एक होटल में ठहरे कर्नाटक के बागी विधायकों ने एक बार फिर पुलिस को चिट्ठी लिखी है. पहली बार की तरह इस चिट्ठी में भी विधायकों ने खुद को खतरा बताया है.
कर्नाटक के बागी विधायकों ने इस बार पवई पुलिस थाना इंचार्ज को चिट्ठी लिखकर कहा है कि उन्हें नेताओं से खतरा है. उन्होंने अपनी इस चिट्ठी में लिखा,
‘हमारा कांग्रेस के नेताओं से मिलने का कोई भी इरादा नहीं है. मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद और किसी भी कांग्रेस नेता से नहीं मिलना चाहते हैं. इन नेताओं से हमें गंभीर खतरा है. हम आपसे निवेदन करते हैं कि इन्हें होटल के बाहर ही रोकने के लिए उचित इंतजाम किए जाएं.’
फिर दिख सकता है राजनीतिक 'ड्रामा'
अब एक बार फिर कर्नाटक का सियासी ड्रामा मुंबई के रेनसां होटल के बाहर नजर आ सकता है. इससे कुछ दिन पहले जब कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार बागी विधायकों से मिलने मुंबई पहुंचे थे, तब भी यहां खूब बवाल देखने को मिला था. उनके पहुंचने से पहले ही विधायकों की मांग पर होटल के गेट सील कर दिए गए. कांग्रेस नेता शिवकुमार और मिलिंद देवड़ा सहित अन्य नेताओं को हिरासत में लिया गया. पूरे इलाके में धारा 144 लगा दी गई.
अब अगर कांग्रेस के सीनियर नेता खड़गे और गुलाम नबी आजाद बागी विधायकों से मिलने की कोशिश करते हैं तो एक बार फिर वही सब देखने को मिल सकता है. होटल के बाहर पहले से ही पुलिस की पहरेदारी है, अब खतरे की आशंका वाली चिट्ठी के बाद सुरक्षा और बढ़ सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक मामले पर सुनवाई करते हुए 16 जुलाई तक सुनवाई टाल दी थी. जिसके बाद मंगलवार को कर्नाटक सरकार के भविष्य का फैसला हो सकता है. विधानसभा अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट में विधायकों के इस्तीफे पर लिए गए फैसले की जानकारी देनी होगी. जिसके बाद कर्नाटक में किसकी सरकार बनेगी ये तस्वीर लगभग साफ हो जाएगी
हार नहीं मान रहे डीके शिवकुमार
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार भले ही गिरने के कगार पर खड़ी हो, लेकिन कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने अभी तक हार नहीं मानी है. वो लगातार सरकार बचाने की कोशिशों में जुटे हैं. अब शिवकुमार ने बागी विधायकों को उनकी मांगें पूरी करने का भरोसा दिलाया है. उन्होंने बागी विधायकों से कहा कि अगर वे अपना इस्तीफा वापस ले लेते हैं और विधानसभा के चालू सत्र में हिस्सा लेते हैं तो उनकी मांगें पूरी की जाएंगी.
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