आरजेडी सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद समेत 16 लोगों को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट चारा घोटाले से संबंधित एक मामले में गुरुवार को सजा सुनाएगी. सभी को चारा घोटाले के देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सीबीआई कोर्ट ने 23 दिसंबर 2017 को दोषी करार दिया था. इसके बाद से लालू यादव बिरसा सेंट्रल जेल में है और उन्हें कैदी नंबर 3351 मिला हुआ है.
सजा का ऐलान आज नहीं
अधिवक्ता विन्देश्वरी प्रसाद के निधन के कारण लालू यादव पर फैसला टल गया है. उनकी सजा का ऐलान कल होगा.
कोर्ट पहुंचे लालू
लालू यादव समेत अन्य सभी दोषी सजा सुनने रांची की विशेष सीबीआई अदालत में पहुंच गए हैं. सुरक्षा घेरे में लालू को कोर्ट रूम ले जाया गया.
...तेजस्वी यादव के खिलाफ समन
लालू यादव के छोटे बेटे और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, आरजेडी के सीनियर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह और आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा को अदालत की अवमानना का दोषी पाया गया है. कोर्ट ने इन तीनों के खिलाफ समन जारी किया है और 23 जनवरी को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है.
लालू कोर्ट के लिए हुए रवाना
सजा के ऐलान के दौरान कोर्ट में पेश रहने के लिए लालू यादव बिरसा मुंडा जेल से अदालत के लिए रवाना हो गए.
कोषागार से गबन के मामले में सजा
यह मामला देवघर के जिला कोषागार से फर्जी तरीके से 84.5 लाख रुपये निकालने से जुड़ा हुआ है. इस पूरे मामले में कुल 34 आरोपी थे, जिनमें से 11 की मौत हो चुकी है. जबकि एक आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और सीबीआई का गवाह बन गया. अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और अन्य छह आरोपियों को बरी कर दिया था.
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इनकी सजा का ऐलान
- लालू प्रसाद
- सुशील कुमार सिन्हा
- सुनील कुमार सिन्हा
- राजाराम जोशी
- गोपीनाथ दास
- संजय अग्रवाल
- ज्योति कुमार
- सुनील गांधी
- फूलचंद सिंह
- बेक जूलियस
- महेश प्रसाद
- आरके राणा
- जगदीश शर्मा
- कृष्ण कुमार
- त्रिपुरारी मोहन
अदालत ने इन्हें किया बरी
इस मामले में अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत सहित 7 लोगों को निर्दोष करार देते हुए मामले से बरी कर दिया.
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चारा घोटाले में कैसे-कैसे आरोप
- 1990 के दशक के चारा घोटाले ने बिहार की राजनीति पर गहरा असर डाला. इसमें पैसे के गबन और फर्जीवाड़े के जो मामले सामने आए, वो चौंकाने वाले थे. आरोप ये भी थे:
- गाय-भैंस और सांडों की ढुलाई के नाम पर फर्जी तरीके से पैसे बनाए गए.
- जिन गाड़ियों से मवेशियों की ढुलाई कागज पर दिखाई गई थी, उनमें से ज्यादातर के नंबर स्कूटर-मोटरसाइकिल के निकले.
- मवेशियों की दवा के नाम पर फर्जी बिल लगाए गए.
- कई दवा कंपनियों का तो कहीं कोई अता-पता नहीं था. कुछ कंपनियां तो सचमुच की थीं, लेकिन उन्होंने केवल बिल बनाकर फायदा पहुंचाया.
- पशुओं के चारा के नाम पर कोषागार से पैसे की निकासी की गई.
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