भारतीय जनता पार्टी के आईटी ऑपरेशंस चीफ अमित मालवीय ने शुक्रवार, 19 अप्रैल को राजनेता और चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव के पुराने भाषण का वीडियो का एक हिस्सा ट्वीट किया, जिसे लेकर यादव के ऊपर सांप्रदायिक राजनीति करने का दावा किया गया है.
मालवीय ने अपने ट्वीट में कहा कि योगेंद्र यादव ने हरियाणा में मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र में भाषण के दौरान “अपनी मुस्लिम पहचान” का इस्तेमाल किया है.
मालवीय ने वीडियो के साथ एक कैप्शन भी शेयर किया है जिसमें लिखा है: “मैं आमतौर पर सोशल मीडिया पर टीवी की बहस नहीं लाता, लेकिन योगेंद्र यादव के दो मुंहे चेहरे को बेनकाब करने के लिए एक अपवाद बनता है. यहां एक वीडियो है जिसमें उन्हें मुस्लिम बहुल मेवात इलाके में मुस्लमान बहुल लोगों के बीच अपनी मुस्लिम पहचान को भुनाते हुए देखा जा सकता है. अगर यह राजनीति निंदनीय नहीं है, तो और क्या है?”
मालवीय ने जो वीडियो जारी किया है उसे टेक्स्ट, ग्राफिक्स और बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ बनाया गया है. वीडियो की शुरुआत इस टेक्स्ट से होती है, “हरियाणा में मुस्लिम बहुल मेवात के एक महापंचायत में, योगेंद्र यादव अपनी 'मुस्लिम पहचान' के बारे में उपस्थित लोगों को जानकारी देते हुए बताते हैं कि उनका नाम सलीम है.”
यादव के भाषण को लगभग एक मिनट दिखाने के बाद, वीडियो इस लाइन के साथ समाप्त होता है: “आप सार्वजनिक जीवन से कब हट रहे हैं?”
क्या है ये मामला?
इंडिया टुडे टीवी चैनल पर हुए हाल ही में एक बहस के दौरान यादव ने मालवीय को बताया था कि कैसे उनके दादा को मुस्लिम भीड़ ने मार दिया था. मालवीय ने योगेंद्र यादव पर अपने चुनावी प्रचार के दौरान इसे सांप्रदायिक कार्ड के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था.
इसके बाद योगेंद्र यादव ने अमित मालवीय को उनके दावे के समर्थन में एक भी साक्ष्य पेश करने की खुली चुनौती दी थी.
दावे में कितनी सच्चाई?
अमित मालवीय ने जो वीडियो डाला है. उसमें मालवीय ने अपनी बात को संदर्भ से अलग साबित करने के लिए सिर्फ एक छोटे से हिस्से को शेयर किया है. इस दावे की सच्चाई पूरे भाषण को देखने के बाद पता लगाया जा सकता है.
योगेंद्र यादव ने पूरे वीडियो का लिंक ट्वीट किया है, जिससे पता चला कि ये जुलाई 2018 की बात है. यादव राजस्थान के अलवर में रकबर खान की हत्या के बाद कोलगांव में लोगों को संबोधित कर रहे थे.
योगेंद्र यादव ने आरोपों पर क्या कहा?
योगेंद्र यादव ने अमित मालवीय के आरोपों की हवा निकाल दी. उन्होंने वीडियो के साथ,अपने ट्वीट में लिखा, “अमित मालवीय के फर्जी वीडियो का पुख्ता सबूत. मेरे भाषण के छोटे अंश को सुनिए. बीजेपी के झूठ की फैक्ट्री ने मेरे शब्दों को काट-छांट कर दिखाया. ना हिंदू बनेगा ना मुसलमान बनेगा ”! इसके अलावा: नफरत का जवाब मोहब्बत से देना है’ क्या आश्चर्य हो रहा है? ”
इस वीडियो क्लिपिंग के पीछे के कंटेक्स्ट को देखने के बाद, ये साफ हो जाता है कि यादव अपने दादा की हत्या का जिक्र, शांति की आवश्यकता पर जोर देने के लिए कर रहे थे न कि अपने चुनावी अभियान के एक मुद्दे के तौर पर.
इस दावे की जांच बूम लाइव ने भी की और उन्होंने मालवीय से उनके ट्वीट को लेकर सवाल भी पूछा. बीजेपी के नेता अपने दावे के साथ कायम थे और कह रहे थे, “ये वीडियो एक खास संदर्भ में है और इस बात का सबूत है कि यादव मुस्लिम बहुल इलाकों में जाकर अपना मुस्लिम नाम बता रहे हैं.”
रिपोर्ट के मुताबिक, मालवीय ने कहा है कि योगेंद्र यादव को पसंद आने वाला वीडियो डालना मेरा काम नहीं है.
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