उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में अखिलेश यादव के नाम से एक फेक स्क्रीनशॉट शेयर कर ये झूठा दावा किया गया कि अखिलेश यादव ने उनके सीएम बनते ही बाबरी मस्जिद बनवाने का वादा किया है. तो वहीं, दूसरी ओर विवादस्पद कृषि कानूनों के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे किसानों को लेकर भी कई झूठे दावे किए गए. एक पूर्व नेता की पुरानी फोटो को एडिट कर शेयर किया गया और उन्हें किसान बताकर ये दावा किया गया कि उनकी जेब में कंडोम का पैकेट है.
इसके अलावा, कोरोना और बाबा रामदेव और रिलायंस से जुड़े फेक दावे भी इस हफ्ते वायरल हुए. असम बीजेपी के प्रवक्ता सहित कई लोगों ने ये दावा किया कि दुनिया में सिर्फ भारत ही ऐसा देश है जहां कोरोना की वैक्सीन मुफ्त लग रही है. बिल्कुल ऐसा ही एक बिना सिर पैर का झूठा दावा और किया गया कि हिमालया कंपनी के मालिक ने रिलायंस और बाबा रामदेव के उत्पाद नहीं खरीदने के लिए कहा है.
क्विंट की वेबकूफ टीम ने इन सभी झूठे दावों की इस हफ्ते पड़ताल की. एक नजर में जानिए इन सभी दावों का सच.
अखिलेश यादव ने नहीं किया बाबरी मस्जिद बनाने का वादा, फेक है स्क्रीनशॉट
उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव के बताए जा रहे एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है. दावा किया जा रहा है कि अखिलेश यादव ने वादा किया है कि अगर यूपी में 2022 में उनकी सरकार बनती है तो जिस जगह राम मंदिर बन रहा है, उसी स्थान पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराएंगे.
वायरल हो रहे ट्वीट का स्क्रीनशॉट एंड्रायड फोन का लग रहा है. हमने एंड्रॉयड फोन से अखिलेश यादव के एक असली ट्वीट का स्क्रीनशॉट लेकर इसे वायरल स्क्रीनशॉट से मिलाया.
दोनों को मिलाने पर टेक्स्ट के अलाइनमेंट में थोड़ा अंतर हमें दिखा.
हमने अखिलेश की ट्विटर टाइमलाइन पर ऐसे पुराने ट्वीट सर्च करने भी शुरू किए, जो उन्होंने राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर किए हों. राम मंदिर के विरोध में या बाबरी मस्जिद के समर्थन में किया गया अखिलेश का कोई ट्वीट हमें नहीं मिला.
हमें ऐसी कोई न्यूज रिपोर्ट भी नहीं मिली, जिससे पुष्टि होती हो कि अखिलेश यादव ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराने की बात कही है. ये संभव नहीं है कि एक पूर्व मुख्यमंत्री के इस तरह का बयान दियो हो और उसे मीडिया में जगह ही न मिले.
साफ है कि वायरल हो रहे ट्वीट का स्क्रीनशॉट फेक है, जिसके आधार पर दावा किया जा रहा है कि अखिलेश यादव ने उसी स्थान पर बाबरी मस्जिद बनवाने का वादा किया है, जहां राम मंदिर बन रहा है. ऐसा कोई ट्वीट अखिलेश यादव ने नहीं किया है.
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प्रदर्शनकारी किसान ने जेब में नहीं रखा था कंडोम, पुरानी एडिटेड फोटो वायरल
अकाली दल के पूर्व नेता सुच्चा सिंह लंगाह की एक एडिटेड फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. फोटो में उनके कुर्ते की जेब में कंडोम का पैकेट रखा नजर आ रहा है. इसे शेयर कर ये दावा किया जा रहा है कि ये फोटो हाल में चल रहे किसानों के प्रोटेस्ट में शामिल एक किसान की है.
फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करने पर, हमें 18 अगस्त 2018 को Tribune पर पब्लिश एक न्यूज रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट की हेडलाइन थी, ''Langah asks Akal Takht to review excommunication" (लंगाह ने अकाल तख्त से उनके बहिष्कार को लेकर फिर से सोचने को कहा).
इस रिपोर्ट में वायरल फोटो का ही इस्तेमाल किया गया था. इसमें उनकी जेब में कंडोम का पैकेट नहीं है. फोटो 2018 की है यानी किसानों का प्रोटेस्ट शुरू होने से काफी पहले की.
इन दोनों फोटो की तुलना करने पर पता चलता है कि दोनों एक ही फोटो हैं, जिनमें से एक को एडिट कर शेयर किया जा रहा है.
मतलब साफ है कि शिरोमणि अकाली दल के एक पूर्व नेता की पुरानी फोटो को एडिट किया गया है और एडिटेड फोटो को इस झूठे दावे से शेयर किया जा रहा है कि ये एक प्रदर्शनकारी किसान है जिसकी जेब में कंडोम का पैकेट है.
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पाकिस्तानी रेसलर को RSS से जुड़ी महिला ने नहीं दी मात, गलत दावे से वीडियो वायरल
सोशल मीडिया वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है कि रिंग में खड़ी महिला रेसलर भीड़ को उससे मुकाबला करने की चुनौती देती है. चुनौती स्वीकार करते हुए दूसरी महिला रेसलर रिंग में आती है और चुनौती देने वाली रेसलर को मात दे देती है. वीडियो शेयर कर ये दावा किया जा रहा है कि चुनौती देने वाली महिला Pakistan से है और उसे मात देने वाली महिला भारतीय.
वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें न्यूज वेबसाइट DNA की 16 जून, 2016 की एक रिपोर्ट में वीडियो से मिलते जुलते विजुअल्स मिले.
इस रिपोर्ट से पता चलता है कि वीडियो में दिख रहा मुकाबला भारत की पहली प्रोफेशनल महिला रेसलर BB Bull Bull और मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स (MMA) चैंपियन कविता के बीच का है.
वायरल मैसेज में ये दावा किया गया है कि वीडियो में खुद से लड़ने की चुनौती दे रही महिला रेसलर पाकिस्तानी और चुनौती स्वीकार करने वाली रेसलर RSS से जुड़ी महिला है.
हमें BB Bull Bull का एक इंटरव्यू मिला, जिसमें वे खुद बता रही हैं कि उनका असली नाम सर्वजीत कौर है. इंटरव्यू से स्पष्ट हो रहा है कि वे भारतीय ही हैं.
इसके अलावा, हरियाणा पुलिस में अधिकारी कविता देवी से जुड़े कई आर्टिकल्स हमने इंटरनेट पर खंगाले, कहीं भी उल्लेख नहीं है कि वे RSS से जुड़ी हैं. कविता WWE में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर भी हैं.
मतलब साफ है - सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा झूठा है कि वीडियो में पाकिस्तानी और भारतीय हिंदू महिला के बीच रेसलिंग हो रही है. असल में वीडियो में दिख रही दोनों महिला रेसलर्स भारतीय ही हैं.
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बाबा रामदेव और रिलायंस के विरोध में बोलता ये शख्स 'हिमालया' कंपनी का मालिक नहीं
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक शख्स दिल्ली के मुस्तफाबाद में CAA के विरोध में हुए एक प्रदर्शन के दौरान, रिलायंस और बाबा रामदेव के उत्पादों को नहीं खरीदने के लिए बोलता दिख रहा है. इस वीडियो को शेयर कर ये दावा किया जा रहा है कि ये शख्स दवा बनाने वाली कंपनी 'हिमालया (Himalaya) का मालिक' है.
वायरल वीडियो में लोगो में 'times express voice of democracy' लिखा दिख रहा है. हमने लोगो में लिखे शब्दों को कीवर्ड की तरह इस्तेमाल करके यूट्यूब पर सर्च किया. हमें 'Times Express' नाम के एक यूट्यूब हैंडल पर 25 जनवरी 2020 को अपलोड किया गया एक वीडियो मिला.
CAA के विरोध में प्रदर्शन के इस 12 मिनट के वीडियो में वायरल हिस्से को 4 मिनट 37 सेकंड से सुना जा सकता है. वीडियो में लिखे कैप्शन के मुताबिक दिल्ली के मुस्तफाबाद में स्पीच देते इस शख्स की पहचान एक वकील भानु प्रताप सिंह के रूप में की गई है.
हमने भानु प्रताप सिंह का सोशल मीडिया प्रोफाइल भी देखा. जिसके मुताबिक वो दिल्ली के एक वकील हैं.
इसके बाद, हमने दवा बनाने वाली कंपनी Himalaya के फाउंडर से जुड़ी जानकारी भी देखी. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, कंपनी के फाउंडर एम मनाल का 1986 में निधन हो गया था.
मतलब साफ है कि दिल्ली के मुस्तफाबाद में जनवरी 2020 में भाषण देने वाले एक वकील भानु प्रताप सिंह का वीडियो इस गलत दावे से शेयर किया जा रहा है कि ये Himalaya कंपनी के मालिक हैं.
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दुनिया में भारत ही अकेला देश, जहां लग रही है फ्री कोरोना वैक्सीन? झूठा दावा
असम के बीजेपी प्रवक्ता प्रमोद स्वामी ने ट्विटर पर कोरोना वैक्सीन की एक लिस्ट शेयर की है, जिसमें अलग-अलग कंपनी की वैक्सीन की कीमत लिखी हुई है. साथ ही, ये भी लिखा हुआ है कि दुनिया में भारत ही अकेला ऐसा देश है जहां फ्री कोरोना वैक्सीन लग रही है.
7 जून 2021 को अपने संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि भारत में 21 जून से 18 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को कोरोना वैक्सीन मुफ्त में लगाई जाएगी.
इसके पहले, वैक्सीन सिर्फ 45 साल के ऊपर वालों को मुफ्त में लगाई जा रही थी. वहीं 18 से 45 साल के बीच के लोगों को वैक्सीन के लिए भुगतान करना पड़ता था.
इसके अलावा, ये भी घोषणा की गई कि प्राइवेट सेक्टर 25 प्रतिशत वैक्सीन खरीदना जारी रख सकता है, लेकिन सर्विस चार्ज के तौर पर सिर्फ 150 रुपये और 5 प्रतिशत जीएसटी ही वसूल पाएगा.
यानी भारत में कोरोना वैक्सीन मुफ्त भी लग रही है और जो लोग इसे पैसे देकर लगवाना चाहते हैं वो प्राइवेट सेक्टर से वैक्सीन लेकर लगवा सकते हैं.
पूरी दुनिया में सिर्फ भारत में ही लग रही फ्री वैक्सीन?
सबसे पहले हमने अमेरिका में वैक्सीनेशन से संबंधित रिपोर्ट्स देखीं. हमें CDC (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन) की वेबसाइट पर जाकर देखा. इसमें साफ-साफ लिखा है कि अमेरिका में सबके लिए वैक्सीनेशन मुफ्त है
यूके में भी सभी नागरिकों को National Health Service (NHS) के माध्यम से फ्री वैक्सीन लगाई जा रही है.
New Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, मेक्सिको ने भी दिसंबर 2020 में सभी के लिए मुफ्त कोविड वैक्सीनेशन शुरू किया है.
यूरोपीय यूनियन के देश भी जैसे कि जर्मनी और फ्रांस भी सभी नागरिकों को फ्री वैक्सीन उपलब्ध करा रहे हैं.
पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के National Health Commission के मुताबिक, चीन में भी सभी नागरिकों को मुफ्त में वैक्सीन लगाई जा रही है.
इसके अलावा रूस, ब्राजील, जापान और सऊदी अरब भी अपने नागरिकों को मुफ्त वैक्सीन मुहैया करा रहे हैं.
मतलब साफ है कि भारत दुनिया में अकेला ऐसा देश नहीं है जो अपने नागरिकों को मुफ्त वैक्सीन लगा रहा है.
वायरल मैसेज में अलग-अलग वैक्सीन की कीमतें?
दावे में दुनिया भर में उपलब्ध वैक्सीन की कीमतों के बारे में भी लिखा गया है. हमें India Today, Hindustan Times और Scroll में पब्लिश जनवरी 2021 की रिपोर्ट मिलीं. जिनमें इन्हीं कीमतों के बारे में बताया गया था.
प्रेस इन्फर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने 12 जनवरी 2021 को एक प्रेजेंटेशन दी थी, जिनमें ये कीमतें देखी जा सकती हैं.
हालांकि, बता दें कि ये वो कीमतें नहीं हैं, जो लोगों को वैक्सीनेशन के लिए चुकानी पड़ती हैं. यहां ये बताना चाहिए कि ये कीमतें जनवरी की रिपोर्ट्स के मुताबिक हैं. और वैक्सीन की कीमत के निर्धारण के संबंध में बातचीत अभी जारी है.
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