सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में खुद को डॉ. तरुण कोठारी बता रहा एक शख्स ये दावा करता दिख रहा है कि Coronavirus सिर्फ एक Flu है, Mask लोगों को बीमार कर रहे हैं और Covid19 Vaccine की वजह से लोगों की मौत हो रही है.
लेकिन, ये पहला मौका नहीं है जब तरुण कोठारी ने कोरोना और वैक्सीन को लेकर इस तरह के भ्रामक दावे किए हैं. क्विंट की वेबकूफ टीम पहले भी तरुण कोठारी के कई फर्जी दावों की पड़ताल कर चुकी है. खुद को रेडियोलॉजिस्ट बताने वाले कोठारी के दावों को कई अन्य फैक्ट चेकर्स ने भी फेक बताया है.
दावा
वीडियो में खुद को डॉक्टर तरुण कोठारी बता रहा शख्स कहता है : कुछ भी हो जाए मास्क नहीं पहनना है. चाहे देश का प्रधानमंत्री बोले, गृह मंत्री बोले. आईएएस बोले, दिल्ली पुलिस कमिश्नर बोले. एक बात याद रखिएगा कोई मास्क नहीं पहनेगा. इस मास्क की वजह से आपको कई तरह की नई बीमारी होने वाली हैं. मास्क से ऑक्सीजन कम होगा, आप अस्पताल जाएंगे, गलत इलाज होगा, आपकी मौत होगी और गिनती होगी कि कोरोना से मर गया. मैं हिंदुस्तान के लोगों से अपील करता हूं मास्क नहीं पहनना है, सोशल डिस्टेंसिंग नहीं रखनी है और वैक्सीन नहीं लगवानी है. वैक्सीन से जितने लोग मर रहे हैं, वो कोरोना से भी ज्यादा हैं.
पड़ताल में हमने क्या पाया ?
दावे की पड़ताल से पहले हमने दावा कर रहे डॉक्टर की शैक्षणिक योग्यता चेक की. कोई ठोस जानकारी हमें नहीं मिली. इंटरनेट पर तरुण कोठारी को लेकर यही जानकारी उपलब्ध है कि वे एक रेडियोलॉजिस्ट हैं और नई दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में Indo-American Health Care नाम का डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित करते हैं.
हमें किसी प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल में छपा तरुण कोठारी का कोई रिसर्च पेपर भी नहीं मिला. न तो कोविड 19 के संबंध में न ही किसी और विषय पर. उनकी लिंक्डइन प्रोफाइल पर दी गई जानकारी को यदि सच माना जाए तो उन्होंने डॉ. सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज से MBBS किया है, उसके बाद उदयपुर स्थित रविंद्रनाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज से MD किया.
डॉ. तरुण ने दो किताबें भी लिखी हैं, उनमें दावा किया है कि कोरोनावायरस एक स्कैम है. उनके अधिकतर सोशल मीडिया पोस्ट्स में भी यही दावा किया गया है.
डॉ. तरुण कोठारी पिछले साल से ही कोरोनावायरस को लेकर भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं. पिछले साल उनका एक वीडियो सामने आया था जिसमें कोरोना को लेकर कई कॉन्सपिरेसी थ्योरीज थीं. इस वीडियो में किए गए दावों को Health Analytics Asia ने खारिज किया था.
इस साल की शुरुआत में डॉ.तरुण कोठारी ने डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी समेत कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन न लगवाने को लेकर एक एडवाइजरी जारी की थी. इस एडवाइजरी में किए गए दावों को क्विंट की वेबकूफ टीम ने पड़ताल में फेक साबित किया था.
लगातार फेक न्यूज फैलाने के लिए डॉ. कोठारी के फेसबुक अकाउंट को बंद किया जा चुका है. लेकिन, इसके बाद भी डॉ. कोठारी नई फेसबुक प्रोफाइल बनाते रहते हैं. उनके ट्विटर हैंडल से किए गए इस ट्वीट में ये देखा जा सकता है. वैक्सीन विरोधी थ्योरीज फैलाने वाले टेलीग्राम ग्रुप्स में भी कोठारी सक्रिय हैं.
अब जानते हैं उन दावों का सच जो वायरल वीडियो में किए गए हैं-
दावा 1: मास्क पहनने से शरीर में ऑक्सीजन लेवल गिरता है और इंसान बीमार हो सकता है
मास्क को नुकसानदायक बताता ये पहला दावा नहीं है. क्विंट की वेबकूफ टीम पहले भी इस दावे की पड़ताल कर चुकी है कि मास्क पहनने से ऑक्सीजन लेवल गिरता है. पड़ताल में ये दावा फेक निकला था.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) समेत दुनिया भर की स्वास्थ्य से जुड़ी संस्थाओं ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मास्क को जरूरी बताया है.
द क्विंट से बातचीत में लंग केयर फाउंडेशन के फाउंडर ट्रस्टी डॉ, अरविंद कुमार ने भी समझाया था कि कैसे मास्क शरीर को संक्रमण से बचाता है.
अगर मैं संक्रमित हूं और N95 मास्क पहनकर उस व्यक्ति के पास बैठा हूं जो संक्रमित नहीं है. तो 95% एयरोसोल तो मास्क की वजह से ही रुक जाएंगे. बाकी के 5% की वेलोसिटी भी कम हो जाएगी. बचे हुए एयरोसोल भी 1 मीटर दूर बैठे शख्स तक नहीं पहुंच पाएंगे. और अगर सामने वाले शख्स ने भी मास्क पहना है तो ये और भी ज्यादा सुरक्षित है.डॉ. अरविंद कुमार, फाउंडर ट्रस्टी, लंग्स केयर फाउंडेशन
हालांकि, डॉ. अरविंद कुमार ने ये भी कहा था कि फिजिकल एक्सरसाइज करते वक्त मास्क पहनने से ऑक्सीजन लेवल कम हो सकता है. लेकिन, सामान्य परिस्थितियों में इसे पहनने का कोई नुकसान नहीं है.
क्विंट से बातचीत में फोर्टिस हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. रिचा सरिन ने कहा था कि कार्बन डायोक्साइज मोलीक्यूल्स इतने छोटे होते हैं कि आसानी से मास्क के बाहर जा सकते हैं. मास्क वायरस को शरीर में प्रवेश करने या बाहर जाने से रोकता है. इससे ऑक्सीजन लेवल नहीं गिरता.
दावा 2 : कोरोना से ज्यादा मौतें वैक्सीन की वजह से हो रही हैं
ये दावा पूरी तरह निराधार है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोना से अब तक 4 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. वहीं कुछ लोकल सोर्सेज और स्टडीज में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों की असली संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा है, इनमें कोरोना से अब तक होने वाली मौतों की संख्या 13 लाख से 50 लाख के बीच बताई गई है.
23 जुलाई तक भारत में कोरोना वैक्सीन के 42 करोड़ डोज लगाए जा चुके हैं. अब तक केवल एक व्यक्ति की कोरोना वैक्सीन के बाद anaphylaxis के चलते मौत हुई है.
दावा 3 : कोविड 19 सामान्य फ्लू है इससे बहुत कम मौतें हुई हैं
कोरोना महामारी की शुरुआत से ही वायरस की तुलना फ्लू से करने वाले दावे किए जा रहे हैं. भले ही फ्लू और कोरोना वायरस दोनों का संबंध फेंफड़ों से हो, लेकिन दोनों में कई सारे अंतर हैं.
WHO के डेटा के मुताबिक, इंफ्लुएंजा के फैलने की रफ्तार कोविड 19 से तेज है. लेकिन पहले संक्रमित व्यक्ति से दूसरे संक्रमित व्यक्ति तक संक्रमण फैलने की रफ्तार कोविड 19 की इंफ्लुएंजा से कहीं ज्यादा है. फ्लू जैसे लक्षणों के अलावा कोरोनावायरस में खून के थक्के जमने जैसे खतरनाक लक्षण भी होते हैं.
हालांकि, चूंकि कोरोना वायरस से अब भी लोग संक्रमित हो रहे हैं इससे होने वाली मौतों का सिलसिला भी जारी है इसलिए अभी वायरस की मृत्यु दर का कोई सटीक आंकड़ा नहीं दिया जा सकता. लेकिन, अब तक हुई मौतों के लिहाज से देखें तो कोरोना वायरस की मृत्यु दर 2% से ऊपर है, जो कि फ्लू की मृत्यु दर (0.1%) से कहीं ज्यादा है.
इसके अलावा, कोविड 19 से रिकवर होने का मतलब ये कतई नहीं है कि इंसान सामान्य स्थिति में आ जाएगा. कई स्टडीज में ये सामने आया है कि रिकवर होने के बाद भी इस बीमारी के कई दूसरे प्रभाव भी सामने आते हैं, जिसे Long Covid नाम दिया गया है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट ये कहती है कि कोरोना संक्रमण की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले 45% मरीजों को आगे भी लगातार इलाज की जरूरत रहेगी.
मतलब साफ है - कोविड 19 को सामान्य फ्लू बताना एक कुतर्क से ज्यादा कुछ नहीं है.
(ये स्टोरी द क्विंट के कोविड-19 वैक्सीन से जुड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है)
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