वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा / मोहम्मद इब्राहिम
एंकर: दीपशिखा यादव
क्या गर्म पानी पीने से कोरोनावायरस से बचाव में मदद मिल सकती है? क्या चाय पीने से कोरोना वायरस का असर नहीं होगा? क्या आपको ऐसा मैसेज मिला है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ने लोगों से कोरोना वायरस से संबंधित कुछ भी पोस्ट ना करने को कहा है? अगर इन सभी सवालों का जवाब ‘हां’ है, तो बहुत से लोगों की तरह आप भी ‘वेबकूफ’ बन चुके हैं.
नोवेल कोरोनावायरस की तरह ही इससे ताल्लुक रखने वाली अफवाहें भी तेजी से फैल रही हैं. संभावित इलाज के दावों से लेकर कॉन्सपिरेसी थ्योरी और हेरफेर किए गए कंटेंट तक, इंटरनेट पर इन फर्जी और अनवेरिफाइड मैसेज की भरमार है.
मसलन, गर्म पानी पीने का मैसेज जंगल की आग की तरह फैला है. मेडिकल जगत में इस बात की कोई पुष्टि नहीं है और यह साबित करने के लिए कोई स्टडी भी नहीं की गई है कि गर्म पानी कोरोनावायरस को ठीक करने या रोकने में मदद कर सकता है. दरअसल, डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि गर्म पानी गले में खराश के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन ये एक पुख्ता मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं है.
चाय के बारे में भी इसी तरह के दावे किए गए थे, लेकिन एक बार फिर, इसके भी कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं, कोई स्टडी नहीं है, कोई रिसर्च नहीं है, जो इस दावे को सही साबित करता हो. और अगर आप सोच रहे हैं कि नॉन वेज खाने से आपको वायरस के संक्रमण का ज्यादा खतरा है, तो जान लीजिए कि ये भी सच नहीं है. न तो WHO और न ही किसी एक्सपर्ट ने नॉन वेज खाने और कोरोनावायरस के बीच कोई संबंध पाया है.
हालांकि इनमें से ज्यादातर फॉरवर्ड किए गए मैसेज नुकसानदेह दिखते नहीं है लेकिन वो किसी इंसान की सेहत बिगाड़ जरूर सकते हैं अगर वो इंसान मेडिकल सलाह को नजरअंदाज करके उन नुस्खों को ही रामबाण समझता है.
याद रखिए, सतर्क रहना अच्छी बात है, लेकिन इन अनवेरिफाइड मैसेज पर आंख मूंदकर भरोसा भी मत कीजिए.
यही नहीं, एक तरफ जहां सोशल मीडिया पर 'इलाज' के कुछ दावे हैं, तो दूसरी तरफ फेक एडवायजरी की एक सीरीज भी वायरल हुई है. सरकारी अधिकारियों के हवाले से किए गए एडवायजरी के इन दावों ने लोगों में दहशत पैदा करने के अलावा और कुछ नहीं किया.
अगर आपने सुना है कि सरकार इंटरनेट बंद कर रही है तो इसका मतलब ये है कि आपको बहुत सारे अनवेरिफाइड मैसेज मिल रहे हैं. इंटरनेट शटडाउन के बारे में मैसेज ऑनलाइन टेम्प्लेट का इस्तेमाल करके बनाया गया था.
WHO, मेदांता हॉस्पिटल के डॉ. त्रेहन आदि के हवाले से सर्कुलेट किए गए इसी तरह के फर्जी मैसेज और ऑडियो नोट्स का पर्दाफाश भी किया गया है. ये फेक मैसेज खतरनाक हैं और लोगों में दहशत और घबराहट पैदा करते हैं.
लिहाजा, जिस तरह हम खुद को सुरक्षित रखने के लिए हैंड सैनिटाइजर, दस्ताने और मास्क का इस्तेमाल करते हैं, तो आइए, इसी तरह हम सोशल मीडिया में शेयर की जाने वाली हर जानकारी को वेरिफाई करने के बारे में भी ज्यादा सतर्क रहें. सावधानी बरतना न भूलें, लेकिन इन फर्जी मैसेज के चंगुल में बिलकुल न पड़ें! सभी ताजा अपडेट के लिए वेरिफाइड सरकारी हैंडल्स को फॉलो करें और अपनी जानकारी के सोर्स को जांच-परख लें. और अगर आपको किसी भी अनवेरिफाइड फॉरवर्ड मैसेज का पता चलता हैं, तो इसे webqoof@thequint.com पर हमें भेजें और हम इसे आपके लिए वेरिफाई करेंगे.
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