ADVERTISEMENTREMOVE AD

मोदी सरकार की GST से ज्यादा थे UPA सरकार के टैक्स? इन वायरल आंकड़ों में झोल है

ग्राफिक में दिए गए आंकड़ों के जरिए दावा है कि मोदी सरकार में लगने वाला टैक्स यूपीए सरकार से काफी कम है

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

सोशल मीडिया पर एक ग्राफिक वायरल है, जिसमें मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) के नेतृत्व वाली UPA सरकार और पीएम मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली NDA सरकार में लगने वाले टैक्स की तुलना की गई है. इस लिस्ट में सैनेटरी नैपकिन, फर्टिलाइजर, टीवी और रेस्टोरेंट समेत कई तरह के प्रोडक्ट और सर्विसेज पर लगने वाला टैक्स UPA की तुलना में NDA के कार्यकाल में कम दिखाया गया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
हालांकि, ये तुलना करना ही तथ्यात्मक तौर पर भ्रामक है. क्योंकि GST आने से पहले देश भर में कोई भी एक टैक्स की पॉलिसी नहीं थी. 2005 में वैल्यू ऐडेड टैक्स (VAT) की शुरुआत हुई, जिसके तहत सभी राज्यों में टैक्स अलग होता था.

VAT के अंतर्गत, प्रोडक्ट और सर्विसेज में हर बार वैल्यू ऐड होने पर टैक्स जोड़ा जाता है, जब तक वो बिक नहीं जाता. 2017 में आए GST में प्रोडक्ट और सर्विसेज को देश भर में एक ही टैक्स पॉलिसी में शामिल कर दिया गया.

यूपीए और एनडीए की टैक्स कीमतों में की गई तुलना को लेकर जिंदल स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज में सेंटर फॉर न्यूज इकोनॉमिक स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर दीपांशू मोहन कहते हैं ''इस तरह दोनों टैक्सेस की तुलना करना सही नहीं है''

0

दावा

वायरल ग्राफिक के साथ शेयर हो रहा कैप्शन है - "जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स कहने वाले, ये अंतर नही बताएंगे। "

ग्राफिक में दिए गए आंकड़ों के जरिए दावा है कि मोदी सरकार में लगने वाला टैक्स यूपीए सरकार से काफी कम है

पोस्ट का अर्काइव यहां देखें

सोर्स : स्क्रीनशॉट/ट्विटर

फेसबुक पर भी ये ग्राफिक बड़े पैमाने पर शेयर हो रहा है

ग्राफिक में दिए गए आंकड़ों के जरिए दावा है कि मोदी सरकार में लगने वाला टैक्स यूपीए सरकार से काफी कम है

कई यूजर इस टेबल को शेयर कर रहे हैं 

फोटो : Altered by Quint

यही दावा करते सोशल मीडिया पोस्ट्स का अर्काइव यहां और यहां देख सकते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पड़ताल में हमने क्या पाया ? 

भारत की टैक्स प्रणाली में 1 अप्रैल 2005 से वैल्यू ऐडेड टैक्स (VAT) की शुरुआत हुई. VAT एक ऐसा टैक्स था जो सप्लाई चेन में हर पड़ाव पर जब भी वस्तु की कीमत बढ़ती थी, लगाया जाता था. ये प्रक्रिया किसी भी वस्तु के उत्पादन से लेकर ग्राहक को बेचे जाने तक चलती थी.

VAT के आने के बाद सेल्स टैक्स खत्म हुआ और राज्य के स्तर पर VAT लगने लगा. हर राज्य में VAT की दर और नियम अलग होते थे.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

VAT के आने के बाद हर राज्यों में टैक्स अलग लगने लगा. इसका मतलब ये कि उस वक्त पानी की बोतल की कीमत भी हर राज्य में टैक्स अलग होने की वजह से अलग होती थी. लेकिन, इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि जीएसटी से पहले केवल VAT ही एकमात्र टैक्स था जो प्रोडक्ट और सर्विसेज पर लगता था.

एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाले प्रोडक्ट्स पर केंद्र सरकार सेंट्रल सेल्स टैक्स (CST) लगाती थी. ये टैक्स वो राज्य कलेक्ट करता था जहां प्रोडक्ट आया है. यानी, एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाले प्रोडक्ट्स पर ग्राहक को VAT और CST का भुगतान करना होता था. VAT के आने से सेल्स टैक्स पूरी तरह खत्म नहीं हुआ था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वस्तु एवं सेवा कर (GST) 2017

2017 में केंद्र सरकार देश भर में एक टैक्स प्रणाली लागू करने के लिए नई टैक्स व्यवस्था लाई, जिसे GST नाम दिया गया. GST के तहत सभी प्रोडक्ट और सर्विसेज को अलग-अलग स्लैब में बांटा गया.

कुल जमा बात ये है कि GST के तहत किसी भी वस्तु के लिए निर्धारित किया गया एक टैक्स सभी राज्यों में लागू हुआ.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वायरल ग्राफिक में की गई टैक्स की तुलना कितनी सही ? 

आसान भाषा में समझें तो VAT की तुलना GST से नहीं की जा सकती, क्योंकि VAT हर राज्य में अलग होता था और GST हर राज्य में एक होता है.

इकोनॉमिक एक्सपर्ट दीपांशू मोहन ने क्विंट को बताया ''VAT लगाने का तरीका GST से काफी अलग था. GST प्रोडक्ट की फाइनल कीमत के बाद लगाया जाता है''

दीपांशू ने आगे कहा ''GST और VAT की तुलना इस आधार पर कर सकते हैं कि ये दोनों ही इनडायरेक्ट टैक्स हैं, लेकिन, दोनों को लगाने का तरीका बिल्कुल अलग है''

ये सच हो सकता है कि कई प्रोडक्ट्स पर लगने वाला टैक्स GST लागू होने के बाद कम हो गया हो. लेकिन, सिर्फ कुछ प्रोडक्ट्स की तुलना जीएसटी के पहले वाली व्यवस्था में लगने वाले टैक्स से करना थोड़ा सिलेक्टिव और भ्रामक है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ऐसी तुलना गलत क्यों है ? इसे एक उदाहरण से समझते हैं. नए GST रेट्स के मुताबिक, पैक्ट गेहूं पर 5% टैक्स लगता है. जबकि जीएसटी लागू होने से पहले गेहूं पर टैक्स महज 2.5% था. लेकिन, वायरल ग्राफिक में कहीं भी गेहूं का जिक्र नहीं है.


इसी तरह दही, लस्सी, छाछ पर GST लागू होने से पहले 4% टैक्स था और अब इनपर 5% टैक्स लग रहा है. और इन प्रोडक्ट्स का जिक्र भी वायरल ग्राफिक में नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अब ये संभव नहीं है कि ग्राफिक में दिए गए हर प्रोडक्ट की टैक्स दर को एक -एक कर क्रॉस चेक किया जाए क्योंकि GST से पहले एक टैक्स की कोई व्यवस्था ही नहीं थी. हर राज्य का टैक्स अलग था. VAT और GST फंडामेंटली बिल्कुल अलग अलग हैं.

ग्राफिक में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार पर निशाना साधने के लिए आंकडो़ं जिस तरह से पेश किया गया है वो भ्रामक है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×