ADVERTISEMENTREMOVE AD

मास्क पहनना बेकार? बंगाल में फर्जी वोटिंग? इन दावों का सच जानिए

इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए झूठे दावे और उनका सच

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है. चुनाव और कोरोना से जुड़े झूठे और भ्रामक दावों का सिलसिला जारी है. गलत नैरेटिव सेट करने के साथ कुछ भ्रामक दावे ऐसे भी होते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकते हैं. इसका उदाहरण है प्रशांत भूषण का वो ट्वीट, जिसमें उन्होंने दावा किया कि मास्क पहनने से कोरोना संक्रमण नहीं रुकता.

जिस समय कोरोना संक्रमण को रोकना एक चुनौती है, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग बेहद जरूरी है, उस समय मास्क को गैर जरूरी बताना किसी जानलेवा दावे से कम नहीं है. चुनावी फेक न्यूज के मामले में बंगाल टॉप पर है.कभी मणिपुर में वोटिंग के दौरान हुई हिंसा का वीडियो बंगाल का बताकर शेयर किया गया. तो कभी चुनाव प्रचार करते अमित शाह की एक तस्वीर को एडिट कर ये दावा भी किया गया कि वे कोलकाता के रेड लाइट एरिया गए थे. इस सप्ताह सोशल मीडिया पर किए गए इन सभी दावों का सच जानिए एक नजर में.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पोलिंग बूथ पर हिंसा का ये वायरल वीडियो बंगाल नहीं मणिपुर का है

एक पोलिंग बूथ में जबरन घुसती भीड़ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में चौथे चरण की वोटिंग के दौरान पोलिंग बूथ में भीड़ ने हमला कर दिया.

ये दावा कूचबिहार में केंद्रीय बलों की फायरिंग में करीब 4 लोगों की मौत के बाद किया जा रहा है.

वायरल वीडियो के साथ शेयर किए जा रहे ट्वीट में से एक का कैप्शन है, ''ममता बनर्जी के समर्थकों ने पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में एक मतदान केंद्र पर हंगामा किया. भीड़ को खदेड़ने में CRPF ने किया बहुत अच्छा काम.

इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए झूठे दावे और उनका सच
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)  

Invid के गूगल क्रोम एक्सटेंशन का इस्तेमाल करके हमने वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा और उनमें से कुछ पर रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. सर्च रिजल्ट में East Mojo का किया गया एक ट्वीट मिला.

18 अप्रैल 2019 को किए गए ट्वीट में बताया गया है कि ये फुटेज मणिपुर से है. जहां मतदाताओं ने ईवीएम पर कथित तौर पर आई खराबी की वजह से पोलिंग बूथ पर हमला कर दिया और EVM और VVPAT मशीनों को तोड़ दिया.

इसके अलावा हमें हमें Business Standard में पब्लिश PTI की एक रिपोर्ट मिली.

रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य चुनाव अधिकारी पीके सिंह ने PTI को बताया कि इंफाल पूर्व जिले के किआमेगी मुस्लिम माखा इलाके में एक बूथ पर कुछ अज्ञात लोगों ने सुबह करीब 11.30 बजे हमला करके EVM और VVPAT मशीन को तोड़ दिया. इन लोगों ने आरोप लगाया कि मतदान केंद्र में ‘प्रॉक्सी वोटिंग’ की जा रही है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस घटना पर Firstpost और The New Indian Express की भी रिपोर्ट मिलीं. दोनों रिपोर्ट्स में इस वायरल वीडियो का इस्तेमाल किया गया था.

मतलब साफ है कि 2019 के आम चुनावों की एक वीडियो क्लिप इस गलत दावे से शेयर की जा रही है कि ये घटना बंगाल के कूचबिहार में चौथे चरण के चुनाव के दौरान हुई.

पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोरोना के बीच चल रहे कुंभ की तस्वीर बताकर 2 साल पुरानी फोटो वायरल

सोशल मीडिया पर भीड़ दिखाने वाली एक फोटो इस दावे के साथ वायरल हो रही है कि है ये फोटो 1 अप्रैल 2021 को COVID-19 प्रतिबंधों के बीच शुरू हुए हरिद्वार महाकुंभ मेले की है.

हालांकि, कुंभ 2021 में काफी भीड़ थी, लेकिन ये वायरल फोटो वहां की नहीं बल्कि प्रयाग कुंभ की है. इस कुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में साल 2019 में किया गया था.

वायरल फोटो के साथ शेयर किए एक पोस्ट में कहा जा रहा है, ''ये भारत का कुंभ मेला है. दुनिया का सबसे बड़ा कोविड-19 हॉटस्पॉट. भारत सरकार के मुताबिक इससे कोविड-19 ठीक हो जाएगा.

इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए झूठे दावे और उनका सच
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)  

हमने वायरल फोटो को रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें साल 2019 की कई ऐसी न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें इस फोटो का इस्तेमाल किया गया था.

हमें कुंभ 2019 की ऑफिशियल वेबसाइट “kumbh.gov.in” पर भी यही फोटो देखने को मिली.

मतलब साफ है कि 2019 की प्रयाग कुंभ की फोटो कोविड 19 महामारी के बीच आयोजित 2021 के हरिद्वार महाकुंभ की बताकर फिर से शेयर की जा रही है.

पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

ADVERTISEMENTREMOVE AD

“मास्क से नहीं रुकता कोरोना संक्रमण”- प्रशांत भूषण का दावा भ्रामक

एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सोशल मीडिया पर ये दावा किया है कि कोविड-19 को रोकने में मास्क प्रभावी नहीं हैं. दावे के साथ प्रशांत भूषण ने एक स्टडी पेपर भी शेयर किया. वेबकूफ की पड़ताल में ये दावा भ्रामक निकला. प्रशांत किशोर ने जो स्टडी पेपर शेयर उसे न तो रिव्यू किया गया है, न ही उसमें किसी तरह के वैज्ञानिक प्रमाणों का जिक्र है.

प्रशांत भूषण ने लिखा - मास्क पर ये डिटेल्ट स्टडी पढ़िए : डेटा के मुताबिक, फेस मास्क कोविड 19 जैसी बीमारियों का संक्रमण रोकने में प्रभावी नहीं है. फेस मास्क पहनने के शारीरिक औऱ मानसिक कई तरह के विपरीत प्रभाव हैं.

इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए झूठे दावे और उनका सच
पोस्ट का अर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(सोर्स : स्क्रीनशॉट/ट्विटर)  

न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. सुमैया शेख ने प्रशांत भूषण के ट्वीट के जवाब में ट्वीट कर लिखा  - यह एक हाइपोथीसिस है, न की कोई ऐसी डिटेल्ट स्टडी जिसमें कोई डेटा शामिल हो. मास्क के पीछे का साइंस बिल्कुल क्लियर है. कई रिसर्च में ये साबित हुआ है कि मास्क आपकी और दूसरों की सुरक्षा करते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

The Lancet जर्नल में जनवरी, 2021 में छपी स्टडी और WHO  के मुताबिक, जानें बचाने और संक्रमण को रोकने के लिए मास्क पहनना जरूरी है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDS) और भारत के इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का भी यही मानना है कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए मास्क का उपयोग सही और जरूरी है.

मतलब साफ है - ये दावा झूठा है कि मास्क पहनने से कोरोना संक्रमण नहीं रुकता और मास्क पहनना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी है.

पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बंगाल के रेड लाइट एरिया में नहीं गए अमित शाह, एडिटेड है फोटो

गृहमंत्री अमित शाह की पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार करने के दौरान की एक फोटो एडिट कर इस गलत दावे से शेयर की जा रही है कि अमित शाह कोलकाता के रेड लाइट एरिया सोनागाछी गए थे.

हालांकि, हमने पाया कि ओरिजिनल फोटो में 'पता' और 'सोनागाछी' शब्द दोनों नहीं हैं. ये फोटो उस दौरान ली गई थी, जब अमित शाह भवानीपुर में घर-घर जाकर चुनाव प्रचार कर रहे थे.

इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए झूठे दावे और उनका सच
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)  

वायरल फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ओरिजिनल फोटो मिली जिसे अमित शाह ने 9 अप्रैल को ट्विटर पर शेयर किया था. नीच दिए गए स्क्रीनशॉट की पहली फोटो देख कर पता चलता है कि इसी फोटो को एडिट किया गया है.

इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए झूठे दावे और उनका सच
इस फोटो को अमित शाह ने ट्विटर पर 9 अप्रैल को शेयर किया था
(फोटो: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)  

हमें न्यूज एजेंसी UNI की वेबसाइट पर भी यही फोटो मिली.

मतलब साफ है कि पश्चिम बंगाल में अमित शाह के चुनाव प्रचार की फोटो के साथ छेड़छाड़ कर शेयर किया जा रहा है और गलत दावा किया जा रहा है कि अमित शाह सोनागाछी गए थे.

पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लाठी-डंडे से लैस भीड़ का ये वीडियो बांग्लादेश का है, बंगाल का नहीं

बांग्लादेश में पीएम मोदी के दौरे के दौरान हुए विरोध प्रदर्शन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर इस झूठे दावे से शेयर किया जा रहा है कि ये वीडियो पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की गुंडागर्दी का है.

इस वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, “पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की गुंडागर्दी देखिए सरकार,पुलिस, फौज सबको इनसे जान बचानी मुश्किल है।”

इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए झूठे दावे और उनका सच
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)  

पड़ताल में हमने पाया कि गाड़ी के नंबर प्लेट में बांग्ला में लिखा हुआ है. इसके अलावा, एंबुलेंस और सेना के जवानों की वर्दी में दो तलवारों वाला लाल लोगो दिख रहा है, जिससे पता चलता है कि ये बांग्लादेश की सेना के लोग हैं.

इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए झूठे दावे और उनका सच
ये लोगो बांग्लादेश की आर्मी का है
(फोटो: Altered by The Quint/फेसबुक/विकीपीडिया)  
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा और रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. हमें फेसबुक यूजर HM Al Amin का फेसबुक लाइव के तौर पर अपलोड किया गया लंबा वीडियो मिला, जिसे 28 मार्च को इस कैप्शन के साथ अपलोड किया गया था, “হাটহাজারী সড়কে সেনাবাহিনী” (अनुवाद: हथाजारी रोड पर सेना).

वीडियो में दिख रहे अकैडमी के बोर्ड की पड़ताल करने पर हमने पाया कि ये हथाजारी में फैजिया बाजार ईसापुर के रंगामाती रोड पर स्थित है.

इसके अलावा, हमने वीडियो में दिख रही बिल्डिंग को गूगल मैप पर भी चेक किया. वहां से हमें स्ट्रीट व्यू देखने पर वही बिल्डिंग दिखी जो वायरल वीडियो में दिख रही है.

मतलब साफ है कि बांग्लादेश में हुए विरोध प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर गलत दावा किया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में मुसलमान गुंडागर्दी कर रहे हैं.

पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

ADVERTISEMENTREMOVE AD

नमाजियों की गुंडागर्दी का बताकर सड़क सुरक्षा का वीडियो वायरल

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कुछ स्थानीय लोग हेलमेट न पहनने पर बाइक वाले को रोक कर उसे हेलमेट पहनने की सलाह दे रहे हैं. इसके बाद, मुस्लिमों की भीड़ तलवारें और बंदूक लहराते हुई आती दिख रही है. वीडियो शेयर कर कहा जा रहा है कि भारत में सेक्युलरिज्म की बात करने वालों को ये देखना चाहिए, क्योंकि ये वीडियो उनके लिए ''रिएलिटी चेक'' की तरह है.

इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए झूठे दावे और उनका सच
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)  

हालांकि, हमने पाया कि ये वीडियो किसी सच्ची घटना का नही हैं. बल्कि, इसे राघवेंद्र कुमार ने बनाया था ताकि बिहार के कैमूर जिले की मुस्लिम आबादी के बीच सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलाई जा सके.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हमने InVid Google Chrome extension का इस्तेमाल करके वायरल वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा और उनमें से एक कीफ्रेम पर रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें यूट्यूब पर Helmet Man India नाम के चैनल का 20 मार्च को अपलोड किया गया एक वीडियो मिला.

ये वीडियो वायरल वीडियो का बड़ा वर्जन है. इस वीडियो में एक शख्स मुस्लिम युवाओं को हेलमेट पहनने की सीख देता हुआ देखा जा सकता है. हमने ये वीडियो बनाने वाले शख्स राघवेंद्र से बात की. उन्होंने बताया कि उनके भाई की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद उन्होंने ठाने लिया था कि वो सड़क सुरक्षा जागरूकता के लिए काम करेंगे. उन्होंने बताया कि ये वीडियो उन्होंने स्थानीय मुस्लिम युवाओं के साथ बनाया है. और इसमें कोई कम्यूनल ऐंगल नहीं है.

मतलब साफ है कि बिहार में रोड सेफ्टी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए बनाया गया वीडियो, सांप्रदायिक ऐंगल देकर भ्रामक दावे से शेयर किया जा रहा है.

पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हाथ पकड़कर वोटिंग कराती महिला का ये वीडियो 2 साल पुराना है

सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें एक महिला मतदाता का हाथ पकड़कर ईवीएम का बटन दबवा रही है. इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो पश्चिम बंगाल में चल रहे विधानसभा चुनावों के दौरान का है. हालांकि, क्विंट ने पाया कि ये वीडियो 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से शेयर हो रहा है.

कई लोगों ने इस वीडियो को फेसबुक और ट्विटर पर शेयर कर इलेक्शन कमीशन से सवाल किए हैं और जवाब मांगा है.

इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए झूठे दावे और उनका सच
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(सोर्स: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)  

हमने InVid के गूगल क्रोम एक्सटेंशन का इस्तेमाल करके वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा और उनमें से एक कीफ्रेम पर रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. इससे हमें साल 2019 के कई ट्विटर और फेसबुक पोस्ट मिले. इन पोस्ट में ऐसे ही ''ईवीएम हैकिंग'' से जुड़े आरोप लगाए गए थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

Hindustan Times के पॉलिटिकल एडिटर विनोद शर्मा ने लोकसभा चुनावों के दौरान 15 मई 2019 को ये वीडियो शेयर किया था.

News Central नाम की एक वेबसाइट पर भी 16 मई 2019 को इस वीडियो से जुड़ी एक रिपोर्ट पब्लिश हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने बताया था कि ये वीडियो ग्रामीण बंगाल का है, लेकिन सही लोकेशन का पता नहीं चला है.

मतलब साफ है कि पश्चिम बंगाल में चल रहे विधानसभा चुनावों के बीच करीब 2 साल पुराना वीडियो हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है.

पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×