चीन के लोग आखिरकार कोरोनावायरस के कहर से बाहर निकल आएंगे.
कोरोनावायरस के कारण फैली महामारी के खिलाफ चीन प्रतिकूल परिस्थितियों में संघर्ष कर रहा है. यह लगातार पैर पसार रहा है और खबर लिखे जाने तक 14 देशों में फैल चुका है.
चीनी सरकार ने एहतियातन कई कदम उठाए हैं- जैसे स्प्रिंग फेस्टिवल की छुट्टियों को बढ़ा देना, स्कूलों में स्प्रिंग सेमेस्टर रद्द कर देना और कई इलाकों में यातायात प्रतिबंधों को लागू करना.
चूंकि मैं एक विदेशी के तौर पर चीन में हूं, खबर मिलते ही मेरा परिवार मेरे लिए फिक्रमंद हो गया और मुझसे घर लौट आने के लिए आग्रह करने लगा. लेकिन मेरा दिल इसके लिए राजी नहीं हुआ.
चीन में 13 साल तक रहने के बाद मैं इसे दूसरा घर मानता हूं. इसलिए मैंने यहां रहने का फैसला किया और जितना हो सका मैंने मदद की.
सेफ्टी फर्स्ट
यह सर्दी मैंने बीजिंग में बितायी है. साल के पहले दिन कुछ शॉपिंग मॉल और सुपर मार्केट रोज की तरह खुले हुए थे. मेरे लिए सबकुछ सामान्य था, क्योंकि शहर जैसा पिछले साल था और इससे पहले हर साल जैसा रहता आया है, वैसा ही था.
स्प्रिंग फेस्टिवल अपने परिवार के साथ मनाने के लिए बड़ी संख्या में लोग अपने होम टाउन को लौट चुके हैं. इसके बाद बीजिंग की सड़कों पर पसरी खामोशी और वीराने को देखते हुए कुछ लोगों ने इसे ‘घोस्ट सिटी' यानी 'भूतहा शहर’ करार दिया.
बीजिंग की सड़कें हमेशा खाली रहती हैं और हर साल इस मौसम में ज्यादातर दुकानें बंद रहती हैं. फर्क केवल इतना है कि इस साल लोगों ने मास्क पहन रखा है और तकरीबन हर स्थानीय कम्युनिटी में ‘बाओन’ (सिक्योरिटी गार्ड) नाम से एक किस्म की सुरक्षा जांच की व्यवस्था है. इसमें कम्युनिटी के बीच आने वाले हर व्यक्ति के शरीर का तापमान मापा जाता है. सुरक्षा के लिए यह भी सुनिश्चित कर लिया जाता है कि यहां रहने वाले लोग ‘कम्युनिटी एन्ट्री और एक्जिट कार्ड’ दिखाकर ही आना-जाना करें.
यात्रा करने और इकट्ठा होने को लेकर भी पाबंदियां हैं, जो इस मायने में सुखद नहीं है कि यह मौसम चीनी लोगों के लिए हर्ष और उत्सव का आनन्द लेने का होता है और वे पूरे साल को इसी हिसाब से आगे देखते हैं. लेकिन ज्यादातर लोग कहते हैं, ‘सेफ्टी फर्स्ट’. वायरस को फैलने से रोकने के लिए आवाजाही पर पाबंदियां अहम हैं.
छोटे-छोटे योगदान
आज करोड़ों चीनी लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. यह तब नहीं था जब SARS का प्रकोप 2003 में हुआ था. इसका नकारात्मक प्रभाव यह है कि बड़ी संख्या में फेक न्यूज और बढ़ा-चढ़ा कर बातें फैलायी जा रही हैं और सोशल मीडिया पर संकट का शोर मचाया जा रहा है.
दुनिया के शेष हिस्सों में रहने वाले लोग खास तौर से फेसबुक वॉल पर फेक न्यूज की वजह से घबरा रहे हैं. लॉक डाउन की वजह से खाने की कमी की खबरों से लेकर कोरोनावायरस के प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर बताए जाने से हर कोई परेशान है. ऐसा लग रहा है मानो सारे लोग इससे पीड़ित हों और मक्खियों की तरह वे बेमौत मर रहे हों.
परेशान करने वाली अफवाहों ने मुझे इस बात के लिए प्रेरित किया कि मैं कोरोनावायरस महामारी से जुड़े हर चैप्टर के बारे में चीन में मौजूद एक विदेशी के तौर पर अपने वास्तविक अनुभवों को साझा करूं.
मैंने अपने देश ट्यूनीशिया के तीन बड़े रेडियो स्टेशनों के साथ रेडियो इंटरव्यू रिकॉर्ड कराया, ताकि लोगों को चीन की मौजूदा वास्तविक स्थिति के बारे में बता सकूं और गलत सूचनाओं को खारिज कर सकूं. मुझे लगा कि इस कठिन परीक्षा की घड़ी में चीन के लिए कम से कम इतना जरूर कर सकता हूं. मेरी इच्छा थी कि और भी कुछ करूं.
साझा प्रयास
प्रकोप को रोकने के लिए चीन की कोशिशें अब तक प्रभावशाली रहे हैं. वुहान जैसे शहर को, जहां 1 करोड़ 10 लाख लोग रहते हैं, पूरी तरह से लॉकडाउन कर देना और इस दौरान उन्हें सुरक्षा और जीवन की जरूरी सुविधाएं जारी रखना बड़ी उपलब्धि है.
महज 10 दिनों के भीतर वुहान में वायरस से निपटने के लिए अस्पताल का निर्माण कर देने पर मैं चीन के सामने सिर झुकाता हूं, जहां 1000 बेड हैं और आधुनिक चिकित्सा उपकरण.
ऐसे करिश्माई कोशिशों ने ट्यूनीशियाई मीडिया को यह मजाक करने का मौका दिया कि जब तक आपके लिए वे खबर लेकर आएंगे तब तक चीन के बिल्डर आपके लिए विला तैयार कर सकते हैं. चीन की जनता में क्षमता और जिम्मेदारी का अहसास दो ऐसे प्रभावशाली गुण हैं, जिनका प्रदर्शन संकट के दौरान हुआ है.
कई देशो ने एकजुटता का संदेश देते हुए वुहान के लिए चिकित्सा सामग्रियों की आपूर्ति की. मैंने दिल को छू लेने वाले एक वीडियो में देखा कि संयुक्त अरब अमीरात स्थित मशहूर बुर्ज खलीफा पर चीन का राष्ट्रीय झंडा लहरा रहा है और बैनर पर लिखा है : “वुहान! यू कैन डू इट!”
जैसा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि चीन के लोग बहुत गम्भीर लड़ाई लड़ रहे हैं. अगर देश का आत्मविश्वास बना रहे और वैज्ञानिक तरीके से लक्ष्य केंद्रित साझा प्रयास जारी रहे तो इस संक्रामक बीमारी को रोकने और नियंत्रित करने के संघर्ष में जीत जरूर मिलेगी. महामारी और भूकम्प से देश कई बार हिला है, लेकिन चीन ने हर बार मुश्किलों पर जीत हासिल की है.
इस कहानी का इकलौता अंत हो सकता है और यह कोरोनावायरस के लगातार जारी संक्रमण के थमने तक सीमित नहीं है. बल्कि यह चीनी जनता का आत्मविश्वास और साहस है जो इस महामारी के खिलाफ संघर्ष में उनकी जीत सुनिश्चित करेगा.
(यह स्टोरी बीजिंग स्थित चाइना पिक्टोरियल की ओर से मुहैया करायी गयी है. लेखक सिनोलिंगुआ पब्लिशिंग कंपनी में ओवरसीज डेवलपमेंट मैनेजर हैं.)
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