वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
पहले पुलवामा हमला और अब आर्टिकल 370 पर सरकार के फैसले से घाटी में टूरिज्म इंडस्ट्री को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसे नजदीक से समझने के लिए क्विंट पहुंचा डल झील और शिकारावालों से बात की. पेश है ग्राउंड रिपोर्ट की 7वीं कड़ी -
“पहले ही पुलवामा अटैक के बाद हमारा काम 2-3 महीना खराब हुआ अब 1 महीने से जो अमरनाथ यात्रा चल रही थी, उन यात्रियों को भी निकाला गया. उन्हें बोला गया, आप पर हमला हो सकता है. आजतक किस टूरिस्ट के साथ यहां छेड़छाड़ हुई? 1000-500 कमा रहे थे, अब कुछ नहीं है.” ये कहना है हनीफ नाम के शिकारावाले का, जो डल लेक में टूरिस्टों के लिए शिकारा चलाते हैं.
पर्यटकों को वापस बुलाने के सरकार के फैसले से शिकारावालों का काफी नुकसान हुआ है. उनका सारा काम धंधा ठप हो गया है.
“अभी कमाने का सीजन था. हम दिनभर में 1500-2000 कमाते थे, लेकिन अभी खाली पड़ा हुआ है. अभी कुछ नहीं है. घर में हम दिनभर सोते हैं, खाना खाते हैं, फिर सो जाते हैं. शाम को उठते हैं फिर सोते हैं. सब ठप है.”गुलाम, शिकारावाला
सरकार के फैसले से इन लोगों में नाराजगी है. फैसले की वजह से सारे टूरिस्ट वहां से लौट गए. सब कुछ बंद हो गया है.
“केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 के साथ छेड़छाड़ कर गलत किया. टूरिस्ट सारे चले गए, सभी को वापस बुला लिया गया. टूरिस्ट, यात्री, स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे सभी को बुला लिया गया. कश्मीर को खाली कर दिया गया और हमें कर्फ्यू में रखा गया है. मोबाइल-टीवी बंद है. लाइट भी बंद है.”शिकारावाला
शिकारा खाली पड़े हैं और डल लेक में सन्नाटा पसरा है. जो लोग हाउसबोट या शिकारा चलाते थे, वो फिलहाल बेरोजगार हो चुके हैं. अब सवाल ये है कि जिसे जमीन की जन्नत कहा जाता है, वहां टूरिस्ट वापस लौटेंगे? क्या कश्मीर में फिर से खुशहाली आएगी?
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