वित्तमंत्री पीयूष गोयल 1 फरवरी के बजट की तैयारियों में जुटे होंगे, फिर भी मैं कुछ ऐसी जरूरी बातें बता रहा हूं जो शायद उनके काम आ जाएं. मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट तीन पैमानों पर खरा उतरना चाहिए.
- मुश्किल में फंसी खेती-किसानी की दिक्कतें दूर करने के उपाय
- ज्यादा से ज्यादा नौकरियों के मौके बनाए जाएं
- फिस्कल डेफिसिट की लक्ष्मण रेखा पार नहीं हो
मतलब पीयूष गोयल को बहुत सी मुश्किल काम करना है.
बजट से क्या क्या हासिल होगा?
इस बजट को वोट ऑन अकाउंट ही कहा जाएगा क्योंकि फुल बजट तो नई सरकार ही पेश करेगी. इसलिए इस अंतरिम बजट में क्या क्या मिलेगा यही करोड़ों का सवाल है.
एग्रीकल्चर सेक्टर
खेती किसानी से निपटने के लिए डबल डोज की जरूरत होगी. एक तरफ ऐसे उपाय जो फौरी तौर पर किसानों को मदद पहुंचाए और दूसरी तरफ ऐसे उपाय जिनसे लंबी अवधि में दिक्कत दूर करने का प्लान हो.
- किसानों को किसी तरह की नकद मदद दी जाए जिससे उनकी छोटी अवधि की दिक्कतें दूर हों. किसानों का कर्ज माफ करने के बजाए किसानों को सीधे नकद मदद की जाए. ये कर्जमाफी से ज्यादा असरदार होगा और सभी किसानों को फायदा होगा.
- किसानों के लिए देश में बहुत से एग्रीकल्चर मार्केट बनाए जाएं. खेत से पैदावार आसानी से बाजार तक पहुंच सके इसलिए इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त किया जाए.
- सिंचाई की व्यवस्था ठीक की जाए ताकि खेत जोखिम वाला पेशा न रह जाए. किसानों को इंश्योरेंस कवरेज दिलाया जाए.
हालांकि मोदी सरकार इस बजट में सिर्फ रोडमैप ही दे पाएगी लेकिन अमल के लिए नई सरकार बनने का इंतजार करना पड़ेगा.
गांवों में इंफ्रा का फायदा
एग्रीकल्चर के बाद सबसे ज्यादा रोजगार कंस्ट्रक्शन सेक्टर ही देता है. इसलिए गांवों में इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में लोगों को रोजगार भी मिलेगा और गांवों में रहने वाले सिर्फ खेती पर भी निर्भर नहीं रहेंगे.
किसी साल मॉनसून ने धोखा दिया तो किसानों को अतिरिक्त आय बढ़ाने में ये सबसे मददगार स्ट्रैटेजी हो सकती है. इसे फौरन लागू किया जाना जरूरी है क्योंकि मौसम विभाग के मुताबिक अल नीनो इफेक्ट की वजह से 2019 में मॉनसून बहुत अच्छा रहने के आसार नहीं हैं.
फिस्कल डेफिसिट कंट्रोल
सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी हालत में वित्तीय घाटा लक्ष्य को पार ना करे. ऐसा करने से रिजर्व बैंक को भी सही संकेत जाएगा और महंगाई का अनुमान लगाने में उसे आसानी होगी.
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रसूख और रुतबा बनाए रखने के लिए जरूरी है कि सरकार फिस्कल अनुशासन बनाए रखे.
(लेखक जानी मानी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के चीफ इकॉनॉमिस्ट हैं.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)